प्रयागराज में सनसनीखेज उमेश पाल हत्याकांड (Umesh Pal Murder Case) में नामजद माफिया अतीक अहमद (Atique Ahmed) की इनामी पत्नी शाइस्ता परवीन (Shaista Parveen) को आखिर किसके इशारे पर छोड़ा गया? यह सवाल उसी तलाश में खाक छानने वाली पुलिस और एसटीएफ (STF) की टीमों को सता रहा है।
लखनऊ। प्रयागराज में सनसनीखेज उमेश पाल हत्याकांड (Umesh Pal Murder Case) में नामजद माफिया अतीक अहमद (Atique Ahmed) की इनामी पत्नी शाइस्ता परवीन (Shaista Parveen) को आखिर किसके इशारे पर छोड़ा गया? यह सवाल उसी तलाश में खाक छानने वाली पुलिस और एसटीएफ (STF) की टीमों को सता रहा है। बता दें कि अब जिस लेडी डॉन के पोस्टर जारी करने की नौबत आ गई है, उसे उमेश की हत्या के कुछ घंटे बाद ही हिरासत में ले लिया गया था। लेकिन, सख्ती से पूछताछ करने और जेल के अंदर से लेकर बाहर तक रची गई साजिशों का राज जानने की बजाए उसे न सिर्फ छोड़ा गया, बल्कि आसानी से दूर जाने का मौका भी दे दिया गया।
शाइस्ता परवीन (Shaista Parveen) पर उमेश पाल की हत्या की साजिश रचने के अलावा ठगी, आर्म्स एक्ट समेत कुल चार मुकदमे दर्ज हैं। हत्याकांड के 24 दिन बाद भी एसटीएफ (STF) की टीमें उसका सुराग नहीं लगा सकी हैं। अब उसका पोस्टर जारी करने की तैयारी की जा रही है। शाइस्ता पर इनाम की राशि भी बढ़ाई जा सकती है। लेकिन, अब उसकी गिरफ्तारी के लिए होने वाली मशक्कत को लेकर अंदरखाने पछतावा भी हो रहा है। दरअसल शाइस्ता परवीन (Shaista Parveen) को उमेश पाल हत्याकांड (Umesh Pal Murder Case) के बाद ही हिरासत में ले लिया गया था। चकिया स्थित जिस किराये के मकान में वह बेटों के साथ रहती थी, वहां पुलिस-पीएसी का पहरा लगा दिया गया था।
कई आला अफसरों ने उस दिन शाइस्ता से पूछताछ भी की थी। इस मामले में शाइस्ता परवीन को उमेश की पत्नी जया पाल की तहरीर पर 25 फरवरी की सुबह नामजद किया गया। नामजद होने के बाद तीन दिन तक शाइस्ता परवीन उसी घर में रह कर अपने पति और बेटों को बेगुनाह बताती रही। इस दौरान उसे क्यों पकड़ा नहीं गया। किसकी मेहरबानी से उसे छोड़ दिया गया? यह सवाल हर किसी के जेहन में कौंध रहा है।
इतना ही नहीं शाइस्ता अपने वकील की मदद से सीजेएम कोर्ट में पुलिस हिरासत में लिए गए अपने नाबालिग बेटों को प्रस्तुत करने को लेकर अर्जी भी डालती रही है। लेकिन, एसटीएफ (STF) उस तक नहीं पहुंच सकी। अलबत्ता शाइस्ता की तलाश पैसा, परिश्रम और वक्त बर्बाद करने के अलावा कुछ भी हासिल नहीं हो सका है। अहम बात तो यह है फरारी के समय जब लेडी डॉन का पोस्टर जारी करने की बात की जा रही है, तब पुलिस के पास उसकी एक अदद फोटो तक नहीं है। जबकि, उमेश पाल हत्याकांड (Umesh Pal Murder Case) को लेकर साबरमती और बरेली की जेलों के भीतर से बाहर तक के राज जानने से लेकर शूटरों को मोबाइल और सिम मुहैया कराने तक का शाइस्ता पर आरोप है।