हिंदू धर्म में भोजन को को भगवान का दर्जा प्राप्त है। मां अन्नपूर्ण भोलन की देवी हैं। धर्म ग्रंथों के अनुसार, भगवान को भोग लगाने के बार ही थाली का भोजन ग्रहण करना चाहिए। शास्त्रों में की महिमा के बारे में बताया गया है।
Shakun Shastra : हिंदू धर्म में भोजन को को भगवान का दर्जा प्राप्त है। मां अन्नपूर्ण भोलन की देवी हैं। धर्म ग्रंथों के अनुसार, भगवान को भोग लगाने के बार ही थाली का भोजन ग्रहण करना चाहिए। शास्त्रों में की महिमा के बारे में बताया गया है। ऐसी मान्यता है कि भगवान को अर्पित कर दिए गए भोजन से व्यक्ति निरोगी और पुष्ट रहता है। भोजन के शिष्टाचार का पालन करने की परंपरा कई सदियों पुरानी है। धार्मिक ग्रंथों में वर्णित है भोजन केवल पेट भरने का साधन मात्र नहीं है बल्कि इससे मन में सात्विक शक्तियों का उदय होता है। शकुन शास्त्र में भोजन शुभ अशुभ संकेतों के बारे में बताया गया है। आइये जानते है।
दक्षिण दिशा में भोजन करना अशुभ होता है, इससे व्यक्ति को पाचन समेत कई समस्याओं का सामना करना पड़ता है। दक्षिण दिशा की ओर मुख करके भोजन करने से मान-सम्मान की हानि होती है। पूर्व की ओर मुख करके भोजन करने से आयु व पश्चिमी की ओर मुख करके भोजन करने से धन लाभ होता है।
भोजन करने के बाद थाली में हाथ नहीं घुलना चाहिए। यह शुभ नहीं माना जाता है। हमेशा भोजन बैठकर,आसन बिछा कर करें। बिस्तर पर बैठ कर भोजन नहीं करना चाहिए। खाना खाते समय चित्त को शांत रखें और बातचीत न करें।