सनातन धर्म में भोजन की पवित्रता को लेकर बहुत सी बाते कही गई है। भोजन के बारे में एक कहावत प्रचलित है - "जैसा खाये अन्न, वैसा बने मन"। पौराणिक ग्रंथों में भोजन बनाने और भोजन ग्रहण करने के लिए नियम बताए है।
Shakun Shastra: सनातन धर्म में भोजन की पवित्रता को लेकर बहुत सी बाते कही गई है। भोजन के बारे में एक कहावत प्रचलित है – “जैसा खाये अन्न, वैसा बने मन”। पौराणिक ग्रंथों में भोजन बनाने और भोजन ग्रहण करने के लिए नियम बताए है। अन्न की शुद्धता के बारे में भी पौराणिक ग्रंथों में विशेष रूप से बताया गया। आयुर्वेद में सात्विक भोजन और तामसिक भोजन के हानि लाभ के बारे बताया गया। आइये जानते है भोजन करने के शुभ अशुभ संकेतों के बारे में।
1.दक्षिण दिशा में बैठ कर भोजन करना अशुभ होता है, इससे व्यक्ति को पाचन समेत कई समस्याओं का सामना करना पड़ता है।
2.खाना खाने के बाद थाली में हाथ नहीं धुलना चाहिए। यह शुभ नहीं माना जाता है।
3.हमेशा भोजन बैठकर करें। कभी भी सीधे जमीन पर बैठकर भोजन न करें, बल्कि आसन बिछाएं।
4.बिस्तर पर बैठ कर भोजन नहीं करना चाहिए।
5.खाना खाते समय क्रोध और बातचीत न करें। इसके अलावा भोजन करते समय अजीब सी आवाजें निकालना भी अच्छा नहीं होता।
6.वास्तु शास्त्र के अनुसार रात को बाथरूम में बाल्टी में पानी भरकर रखने से घर में नकारात्मक ऊर्जा का वास नहीं होता है।
7.पानी से भरी बाल्टी किचन में रखने से आर्थिक स्थिति अच्छी होती है।
8.वास्तु शास्त्र के मुताबिक सूर्यास्त के बाद किसी को भी दान के रूप में दही, दूध और नमक नहीं देना चाहिए। ऐसा करने से घर में दरिद्रता का वास होने लगता है। आर्थिक तंगी का भी सामना करना पड़ सकता है।