नई दिल्ली: महाभारत एक महान गाथा है। इस महान गाथा में हर पात्र अहम था। अब आज हम आपको महाभारत के एक ऐसे पात्र के बारे में बताने जा रहे हैं जो अपनी कुटिल बुद्धि के लिए मशहूर है। आप समझ ही गए होंगे कि हम किसकी बात कर रहे हैं। जी दरअसल हम बात कर रहे हैं शकुनि मामा की। लोग उन्हें महाभारत का खलनायक भी कहते है।
शकुनि मामा छल, कपट और दुष्कृत्यों से भरे हुए थे उन्होंने अपने इन्ही कामों के चलते महाभारत में जगह तो पाई लेकिन अच्छी जगह नहीं। महाभारत में युद्ध तक, पांडवों के विनाश के लिए शकुनि मामा चालें चलते गए और उनकी वो चालें काफी हद तक कामयाब भी रहीं।
महाभारत में उनकी इन कुटिल चालों के कारण पांडवों के जीवन में पूरे समय तक उथल-पुथल रही और अंत में युद्ध की नौबत आ गई। अब आज हम आपको बताने जा रहे हैं शकुनि मामा के उन रहस्य्मयी पासो के रहस्य जिसके द्वारा शुरुआत हुई महाभारत की।
गांधार के राजा सुबाल शकुनि के पिता थे। शकुनि गांधारी के छोटे भाई थे और जब से वह जन्मे थे तभी से वह विलक्षण बुद्धि के स्वामी थे। उनका ऐसा होना राजा सुबाल को अच्छा लगता था।
आपने महाभारत में देखा होगा शकुनि मामा के पास जो पासे थे वह केवल उनकी बातें सुनते थे। बहुत कम लोग जानते हैं कि वह पासे शकुनि के मृत पिता के रीढ़ की हड्डी के बनाए गए थे। जी दरअसल जब शकुनि के पिता की मौत हुई तो शकुनि ने उनकी कुछ हड्डियों को अपने पास रख लिया। उसके बाद एक बार शकुनि जुआ खेलने के प्रति मोहित हो गए। वह जुआ खेलने में बहुत होशियार थे और इसी के चलते उन्होंने अपने पिता की हड्डियों के पासे बना डाले।
यह पासे केवल शकुनि की ही बातें सुनते थे और वह जो कहते थे उसी में ढल जाते थे। पासे उनके कहेनुसार प्रदर्शन करते थे। शकुनि को यह आज्ञा उनके पिता ने ही दी थी। जी दरअसल, शकुनि को उनके पिता ने कहा था, ‘मेरे मरने के बाद मेरी हड्डियों से पासा बनाना, ये पासे हमेशा तुम्हारी आज्ञा मानेंगे, तुमको जुए में कोई हरा नहीं सकेगा।’ शकुनि ने इसी आज्ञा का पालन किया और इस तरह वह जुए में कभी नहीं हारे।
महाभारत का सबसे बड़ा खलनायक शकुनि को माना जाता है लेकिन क्या सच में वह खलनायक थे…? कहा जाता है अगर किसी ने तुम्हे दुःख दिए है तो उससे बदला लेना स्वभाविक है तो शकुनि मामा ने भी तो वही किया तो क्या वो गलत थे? अब इन सवालों के जवाब आप कमेंट्स में दे सकते है और अपना मत रख सकते है।