सनातन धर्म में शीतला माता की विधि विधान से पूजा की जाती है। स्वच्छता और आरोग्य की देवी शीतला माता की पूजा भक्त गण पूरे विधि विधान से करते है।
Sheetala Ashtami 2025 : सनातन धर्म में शीतला माता की विधि विधान से पूजा की जाती है। स्वच्छता और आरोग्य की देवी शीतला माता की पूजा भक्त गण पूरे विधि विधान से करते है। शीतला माता स्वच्छता की अधिष्ठात्री देवी हैं। स्कंद पुराण में शीतला देवी का वाहन गर्दभ बताया गया है। ये हाथों में कलश, सूप, मार्जन (झाड़ू) तथा नीम के पत्ते धारण करती हैं। भक्त गण माता की पूजा करने के लिए व्रत उपवास भी रखते है। चैत्र माह के कृष्ण पक्ष की अष्टमी तिथि को शीतला अष्टमी के रूप में मनाया जाता है। सदियों से मान्यता चली आ रही है जो भक्त शीतला अष्टमी के व्रत का संकल्प करता है और माता शीतला को अर्पित किए भोग को अगले दिन यानी बासी प्रसाद को ग्रहण करता है वो अनेक रोगों से मुक्ति होकर स्वस्थ होता है। होली के 8 दिन बाद शीतला अष्टमी का व्रत रखे जाने की परंपरा है।
चैत्र माह के कृष्ण पक्ष में पड़ने वाली अष्टमी तिथि इस साल 22 मार्च को सुबह के 04 बजकर 23 मिनट पर प्रारंभ हो रही है। तिथि का समापन अगले दिन 23 मार्च को सुबह के 05 बजकर 23 मिनट पर हो रहा है। उदया तिथि के अनुसार शीतला अष्टमी का व्रत 22 मार्च 2025, दिन शनिवार को रखा जाएगा।
पूजा थाली
शीतला अष्टमी व्रत के दिन सुबह जल्दी उठकर स्नान करें। साफ-सुथरे कपड़े पहनकर शीतला माता का ध्यान करते हुए व्रत का संकल्प लें। अब एक पूजा थाली में एक दिन पहले बनाया गया प्रसाद जैसे मीठे चावल, हलवा, पूरी आदि रख लें।
सभी लोगों में बांटे प्रसाद
शीतला अष्टमी व्रत पूजा में आटे के दीपक, रोली, हल्दी, अक्षत, वस्त्र, बड़कुले की माला, मेहंदी,सिक्के आदि भी रख लें। शीतला माता को जल अर्पित करने के बाद पूजा की सामग्री अर्पित करें। अंत में व्रत कथा सुनकर माता की आरती करें और सभी लोगों में प्रसाद बांटे।