समाजवादी पार्टी (Samajwadi Party) के टिकट पर विधायक बने प्रसपा अध्यक्ष शिवपाल सिंह यादव (PSP President Shivpal Singh Yadav) ने अखिलेश को गुरुवार को बड़ा झटका दिया है। उन्होंने ऐलान किया कि प्रगतिशील समाजवादी पार्टी (Progressive Samajwadi Party) यूपी में नगर निकाय और महापौर चुनाव अखिलेश यादव (Akhilesh Yadav) की सपा से अलग लड़ सकती है।
लखनऊ। समाजवादी पार्टी (Samajwadi Party) के टिकट पर विधायक बने प्रसपा अध्यक्ष शिवपाल सिंह यादव (PSP President Shivpal Singh Yadav) ने अखिलेश को गुरुवार को बड़ा झटका दिया है। उन्होंने ऐलान किया कि प्रगतिशील समाजवादी पार्टी (Progressive Samajwadi Party) यूपी में नगर निकाय और महापौर चुनाव अखिलेश यादव (Akhilesh Yadav) की सपा से अलग लड़ सकती है।
शिवपाल ने कहा कि वह सपा में उपेक्षित महसूस कर रहे हैं। पार्टी अध्यक्ष अखिलेश यादव (Akhilesh Yadav) की उपेक्षा के कारण वह जल्द ही पूरे प्रदेश में अपनी प्रगतिशील समाज पार्टी (Progressive Samajwadi Party) के संगठन को सक्रिय करेंगे। उन्होंने कहा कि यूपी में होने वाले महापौर एवं नगर निकायों के चुनाव में मैदान में उतारेंगे।
शिवपाल बुधवार को शास्त्रीनगर में प्रगतिशील समाजवादी पार्टी (Progressive Samajwadi Party) के राष्ट्रीय महासचिव चक्रपाणि यादव के आवास पर पत्रकारों से बात कर रहे थे। शिवपाल ने कहा कि विधानसभा चुनाव से पहले पूर्व मुख्यमंत्री अखिलेश यादव (Akhilesh Yadav) मनाने घर पर आए थे तथा साथ ही चुनाव लड़ने एवं भविष्य में सम्मान देने की बात कहकर राजी किया था।
उन्होंने कहा कि वे अखिलेश यादव (Akhilesh Yadav) की बात में आकर समाजवादी पार्टी (Samajwadi Party) के टिकट पर चुनाव लड़े लेकिन उन्हें अफसोस है कि अखिलेश यादव (Akhilesh Yadav) ने विधानसभा चुनाव में उन्हें कोई जिम्मेदारी नहीं सौंपी। पार्टी के किसी बैठक में नहीं बुलाया जा रहा है। शिवपाल यादव ने नवंबर में होने वाले उत्तर प्रदेश के नगर निकाय चुनाव में समाजवादी पार्टी (Samajwadi Party) से अलग प्रत्याशी उतारने की बात कही। उन्होंने कहा कि जल्द ही प्रगतिशील समाजवादी पार्टी (Progressive Samajwadi Party) के संगठन को दोबारा खड़ा करेंगे और चुनाव की तैयारी में जुटेंगे।
समाजवादी पार्टी (Samajwadi Party) के विधायक होने के बावजूद पार्टी से अलग एनडीए की राष्ट्रपति उम्मीदवार द्रौपदी मुर्मू का समर्थन करने पर उन्होंने कहा कि विपक्ष और उनकी पार्टी ने उनसे कभी राष्ट्रपति उम्मीदवार के लिए वोट नहीं मांगा ना ही उन्हें मीटिंग में बुलाया गया। एनडीए ने उन्हें भोज पर बुलाया और वोट मांगा तो उन्होंने समर्थन देने की हामी भर दी।