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Shri Krishna Janmashtami: पापियों के वध के लिए बल्कि मां की ममता के धरती पर जन्में थे कान्हा

पौराणिक धर्म ग्रंथो के अनुसार भगवान श्री विष्णु ने पृथ्वी को पापियों से मुक्त कराने के लिए कृष्ण के रूप में जन्म लिया. भाद्रपद माह की कृष्ण पक्ष की अष्टमी के मध्यरात्री के समय रोहिणी नक्षत्र में देवकी और वासुदेव के पुत्ररूप में कृष्ण ने जन्म लिया.

By आराधना शर्मा 
Updated Date

Shri Krishna Janmashtami: पौराणिक धर्म ग्रंथो के अनुसार भगवान श्री विष्णु ने पृथ्वी को पापियों से मुक्त कराने के लिए कृष्ण के रूप में जन्म लिया. भाद्रपद माह की कृष्ण पक्ष की अष्टमी के मध्यरात्री के समय रोहिणी नक्षत्र में देवकी और वासुदेव के पुत्ररूप में कृष्ण ने जन्म लिया.

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कहते है पृथ्वी पर कंस का उपद्रव बढ़ता जा रहा था इसलिए कंस का नाश करने के लिए श्री कृष्ण ने मानव रूप में धरती पर जन्म लिया. लेकिन कुछ किताबो में भगवान कृष्ण जी के बारे में कुछ और ही लिखा है.

आपको बता दें, किताबो में लिखा है कि श्री विष्णु स्वार्थी थे. वे मानते थे कि दुनियाभर की शक्ति तो देवताओं के पास है. लेकिन माँ की ममता, पिता का प्यार और समाज जैसी दिलचस्प चीजे इंसानों को दे दी गई है.

विष्णु जी का मानना था कि कोई देवता चाहे ना चाहे लेकिन वे ज़रूर इंसान बनकर माँ की ममता, पिता का प्यार और समाज जैसे संबंधो से रिश्ता रखना चाहेंगे. इसलिए इंसानों की तरह जीकर, सभी रिश्तो नातो का आनंद लेने हेतु विष्णु जी ने भगवान कृष्ण के रूप में जन्म लिया. और इसीलिए भगवान कृष्ण को स्वार्थी भी कहा जाता है.

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श्री कृष्ण ने देवकी की कोख से जन्म लिया. यशोदा मइया की ममता के साथ पले बढे. गावं भर में ग्वालो के साथ मटकिया फोडी. खूब माखन चुराया और खाया.

माता यशोदा के हाथो पिटे. भाई बलराम के साथ बड़े हुए. राधा के साथ प्रेम किया. गावं भर की महिलाओं को अपना दीवाना बनाया. चरवाहे बने. सुरीली बासुरी बजाई और सभी को अपने धुन में गुम कर दिया.

श्री कृष्ण ने वो ज़िन्दगी जी, जिसके लिए श्री कृष्ण का जन्म हुआ था – वो ज़िन्दगी जो इंसानों को वरदान के रूप में देवताओं द्वारा दी गई थी. पृथ्वी से पापियों का वध तो एक बहाना था दरअसल श्री कृष्ण का जन्म मां का प्यार पाने के लिए हुआ था.

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