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सावन में शिव शम्भू की मिलेगी कृपा, शहद और गंगाजल के इस प्रयोग से हो सकते हैं मालामाल

सावन का महीना भगवान शि‍व को अति प्रिय है। हर तरफ शिवालयों में हर हर, बम बम ,जय भोलेनाथ की ध्वनि गूंजती है। भोले नाथ के भक्त उनकी भक्ति में लीन होकर शिवलिंग पर गंगा जल,श्हद,दूध, दही, घी, पुष्प,वेलपत्र,शमी, भांग,धतूरा अर्पित करते हैं।

By अनूप कुमार 
Updated Date

श्रावण मास 2021: सावन का महीना भगवान शि‍व को अति प्रिय है। हर तरफ शिवालयों में हर हर, बम बम ,जय भोलेनाथ की ध्वनि गूंजती है। भोले नाथ के भक्त उनकी भक्ति में लीन होकर शिवलिंग पर गंगा जल,श्हद,दूध, दही, घी, पुष्प,वेलपत्र,शमी, भांग,धतूरा अर्पित करते हैं। ऐसी मान्यता है अगर बेल पत्र पर चंदन से ओम नम: शिवाय लिखकर, इसे महादेव को अर्पि​त किया जाए तो कोई भी कार्य सिद्ध हो सकता है। इसके अलावा आक का फूल महादेव को अति प्रिय है। यदि इसकी माला बनाकर महादेव को अर्पित की जाए तो वे अत्यंत प्रसन्न होते हैं।

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पंचांग के अनुसार 24 जुलाई 2021, शनिवार को आषाढ़ मास का पूर्ण होने जा रहा है। वहीं 25 जुलाई 2021, रविवार से श्रावण मास का आरंभ होगा। श्रावण मास को सावन का महीना भी कहा जाता है।सभी शास्त्रों में मिलता कि भगवान शिव भक्तों पर परम कृपा करते है। उनकी साधना में साधक को किसी तरह की कठिनाई का सामना नहीं करना पड़ता है। भगवान शिव का उपासक जीवन में कभी भी निराश नहीं हो सकता है क्योंकि भगवान शंकर तो औढरदानी हैं।’शिव पुराण’ में शिव के जीवन चरित्र पर प्रकाश डालते हुए उनके रहन-सहन, विवाह और उनके पुत्रों की उत्पत्ति के विषय में विशेष रूप से बताया गया है।

 गंगाजल से रूद्राभिषेक

कहा जाता है कि गंगा शिव की जटाओं से निकलती है। सावन में रुद्राभिषेक का खास महत्व है। मान्यता है कि रुद्राभिषेक करने से सभी मनोकामनाएं जल्दी पूरी होती हैं। साथ ही हर तरह का कष्ट और ग्रहों की पीड़ा दूर हो जाती है। गंगाजल से रुद्राभिषेक करने से विशेष फल की प्राप्ति होती है।

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