Supreme Court News: सुप्रीम कोर्ट ने एक याचिकाकर्ता पर 7,000 रुपये का जुर्माना लगाया, जिसने जस्टिस बी.आर. गवई के सीजेआई के रूप में पदभार ग्रहण करने के बाद अपने गृह राज्य महाराष्ट्र की पहली यात्रा के संबंध में प्रोटोकॉल के उल्लंघन को लेकर एक जनहित याचिका (पीआईएल) दायर की थी। कोर्ट ने याचिका को “सस्ती लोकप्रियता” हासिल करने के लिए दायर की गई “प्रचार हित याचिका” कर दिया है।
Supreme Court News: सुप्रीम कोर्ट ने एक याचिकाकर्ता पर 7,000 रुपये का जुर्माना लगाया, जिसने जस्टिस बी.आर. गवई के सीजेआई के रूप में पदभार ग्रहण करने के बाद अपने गृह राज्य महाराष्ट्र की पहली यात्रा के संबंध में प्रोटोकॉल के उल्लंघन को लेकर एक जनहित याचिका (पीआईएल) दायर की थी। कोर्ट ने याचिका को “सस्ती लोकप्रियता” हासिल करने के लिए दायर की गई “प्रचार हित याचिका” कर दिया है।
भारत के मुख्य न्यायाधीश बी.आर. गवई की अगुवाई वाली पीठ ने याचिका को खारिज करने से पहले कहा कि ऐसी याचिका कुछ और नहीं बल्कि “सस्ती लोकप्रियता” हासिल करने के लिए दायर की गई “प्रचार हित याचिका” है। दरअसल, जस्टिस बीआर गवई 14 मई को चीफ जस्टिस ऑफ इंडिया बनने के बाद 18 मई को पहली बार महाराष्ट्र गए थे। हालांकि, मुंबई में उन्हें स्टेट चीफ सेक्रेटरी, DGP या मुंबई पुलिस कमिश्नर में से कोई भी रिसीव करने नहीं आए थे। मीडिया रिपोर्ट्स के अनुसार, सीजेआई गवई के महाराष्ट्र दौरे के दौरान प्रोटोकॉल में ढिलाई बरती गई थी। जिस पर जस्टिस गवई ने नाराजगी जताई थी। इस घटना के बाद महाराष्ट्र सरकार को काफी शर्मिंदगी उठानी पड़ी थी।
रिपोर्ट्स के अनुसार, सीजेआई गवई की नाराजगी जाहिर के बाद राज्य में देवेंद्र फडणवीस सरकार हरकत में आई है। सरकार ने प्रोटोकॉल टूटने पर दिशा-निर्देश जारी कर दिए थे। राज्य सरकार चीफ जस्टिस गवई को महाराष्ट्र में परमानेंट स्टेट गेस्ट का दर्जा दिया है। इस मामले में राज्य के कैबिनेट मंत्री और भाजपा के प्रदेश अध्यक्ष चंद्रशेखर बावनकुले ने कहा कि उन्होंने प्रोटोकॉल में चूक के लिए राज्य सरकार की ओर से सीजेआई गवई से फोन पर माफी मांगी है।