सुप्रीम कोर्ट (Supreme Court) से तमिलनाडु की एम के स्टालिन सरकार (MK Stalin Government) को मंगलवार को बड़ी जीत मिली है। तमिलनाडु के राज्यपाल आर.एन. रवि (Tamil Nadu Governor R.N. Ravi) द्वारा दस विधेयकों को रोककर रखने पर नाराजगी जताई है। सुप्रीम कोर्ट (Supreme Court) ने कहा कि विधेयकों को रोककर रखना अनुच्छेद 200 का उल्लंघन और अवैध है।
नई दिल्ली। सुप्रीम कोर्ट (Supreme Court) से तमिलनाडु की एम के स्टालिन सरकार (MK Stalin Government) को मंगलवार को बड़ी जीत मिली है। तमिलनाडु के राज्यपाल आर.एन. रवि (Tamil Nadu Governor R.N. Ravi) द्वारा दस विधेयकों को रोककर रखने पर नाराजगी जताई है। सुप्रीम कोर्ट (Supreme Court) ने कहा कि विधेयकों को रोककर रखना अनुच्छेद 200 का उल्लंघन और अवैध है। कोर्ट ने कहा कि राज्यपाल के पास विधेयक यदि दूसरी बार भेजे गए हैं तो उन्हें इनकी मंजूरी जरूर देनी चाहिए। राज्यपाल किसी विधेयक को तभी रोककर रख सकते हैं जब बिल पहले वाले विधेयक से अलग हो।
Reservation of 10 Bills by TN governor for consideration of president is in contravention of Article 200 and declared erroneous: SC.
Governor must assent to Bills produced before it in second round, only exception is that bill is different from first one in second round. pic.twitter.com/G0hOwvuZHF
— Press Trust of India (@PTI_News) April 8, 2025
सुप्रीम कोर्ट (Supreme Court) ने कहा कि राज्यपाल विधानसभा से पारित विधेयकों को अनिश्चित समय तक रोके नहीं रह सकते। वह सरकार को दोबारा विचार के लिए विधेयक भेज सकते हैं, लेकिन अगर विधानसभा विधेयक को पुराने स्वरूप में वापस पास करती है, तो राज्यपाल के पास उसे मंजूरी देने के अलावा कोई विकल्प नहीं। वह उसे राष्ट्रपति के पास भेजने के नाम पर लटकाए नहीं रह सकते।
सुप्रीम कोर्ट (Supreme Court) के जज जे.बी. पारदीवाला ने कहा कि उनके सामने यह सवाल था कि संविधान के अनुच्छेद 200 की व्याख्या से जुड़ा यह अहम फैसला तमिलनाडु सरकार (Tamil Nadu Government) की याचिका पर दिया है। राज्य सरकार ने राज्यपाल पर विधानसभा से पारित बिलों को राज्यपाल की तरफ से अटकाए रखने का आरोप लगाया था। वहीं, राज्यपाल ने कहा था कि उन्होंने इन कानूनों को रोकने की जानकारी राज्य सरकार को दी थी। उन्होंने कई कानूनों को राष्ट्रपति के पास मंजूरी के लिए भेजा है। ऐसा करना उनके अधिकार क्षेत्र में आता है।
तमिलनाडु सरकार का कहना था कि राज्यपाल आर एन रवि ने 10 विधेयकों को स्वीकृति नहीं दी है। इनमें से सबसे पुराना विधेयक जनवरी 2020 का है। कई विधेयकों को राज्य विधानसभा दोबारा पारित कर राज्यपाल के पास भेज चुकी है। उनके पास उन विधेयकों को मंजूरी देने के अलावा कोई विकल्प नहीं है, लेकिन लंबे समय तक विधेयकों को रोके रखने के बाद अब राज्यपाल उन्हें राष्ट्रपति के पास भेजने की बात कह रहे हैं।
अब जस्टिस जे बी पारदीवाला और आर महादेवन की बेंच ने फैसला देते हुए राज्यपाल की तरफ से अपनाई गई प्रक्रिया को गलत करार दिया है। जजों ने कहा है कि राज्यपाल को संविधान ‘वीटो’ की शक्ति नहीं देता। सुप्रीम कोर्ट (Supreme Court) ने मामले में हुई देरी को देखते हुए संविधान के अनुच्छेद 200 के तहत मिली विशेष शक्ति का भी इस्तेमाल किया। कोर्ट ने आदेश दिया कि विधानसभा से राज्यपाल के पास दोबारा भेजे गए 10 विधेयक उसी तरीख से मंजूर माने जाएंगे, जब उन्हें दोबारा भेजा गया था।