कोरोना काल में कई लोगों ने अपने परिजन खो दिये इसी के चलते जान गवाने वाले के परिजनों को मुआवजा देने को लेकर सुप्रीम कोर्ट में दायर याचिका पर केंद्र सरकार की ओर से हलफनामा दाखिल कर दिया गया है। बताया जा रहा है केंद्र सरकार ने सुप्रीम कोर्ट में यह बताया है कि, 'कोरोना से जान गंवाने वाले लोगों के परिजनों को 4 लाख रुपये का मुआवजा नहीं दिया जा सकता है।'
नई दिल्ली: कोरोना काल में कई लोगों ने अपने परिजन खो दिये इसी के चलते जान गवाने वाले के परिजनों को मुआवजा देने को लेकर सुप्रीम कोर्ट में दायर याचिका पर केंद्र सरकार की ओर से हलफनामा दाखिल कर दिया गया है। बताया जा रहा है केंद्र सरकार ने सुप्रीम कोर्ट में यह बताया है कि, ‘कोरोना से जान गंवाने वाले लोगों के परिजनों को 4 लाख रुपये का मुआवजा नहीं दिया जा सकता है।’
इसके अलावा उन्होंने यह भी कहा कि, ‘आपदा कानून के तहत अनिवार्य मुआवजा केवल प्राकृतिक आपदाओं जैसे भूकंप, बाढ़ आदि पर ही लागू होता है।’ इसी के साथ सरकार की ओर से यह कहा गया है कि, ‘अगर एक बीमारी से होने वाली मौत पर अनुग्रह राशि दी जाए और दूसरी पर नहीं तो ये गलत होगा।’ जी दरअसल केंद्र सरकार की तरफ से सुप्रीम कोर्ट को यह बताया गया है कि, ”हर किसी कोरोना संक्रमित मरीज की मौत पर मुआवजा देना राज्यों के वित्तीय सामर्थ्य से बाहर है।”
आपको यह भी बता दें कि सुप्रीम कोर्ट ने कोरोना से होने वाली मौत पर मुआवजा देने संबंधी याचिका दाखिल की गई है। इस याचिका में केंद्र और राज्यों को आपदा प्रबंधन अधिनियम 2005 के तहत संक्रमण के कारण जान गंवाने वाले लोगों के परिवार को चार लाख रुपये अनुग्रह राशि देने का अनुरोध किया गया है। आपको बता दें कि केंद्र सरकार की तरफ से सुप्रीम कोर्ट में जो हलफनामा दाखिल हुआ है, उसमें यह कहा गया है कि कोरोना के प्रसार और प्रभाव के कारण जिन मरीजों की मौत हुई है, उन्हें प्राकृतिक आपदा के तहत मुआवजा नहीं दिया जा सकता है।
इसके अलावा सरकार की तरफ से जानकारी देते हुए यह भी कहा गया कि ”केंद्र और राज्य पहले ही राजस्व की कमी और स्वास्थ्य खर्च में बढ़ोत्तरी होने के बाद से वित्तीय दबाव में हैं। अगर हमने कोरोना से होने वाली मौत पर 4 लाख मुआवजा देना शुरू कर दिया तो इससे महामारी के खिलाफ लड़ाई में उपयोग होने वाली राशि प्रभावित होगी।” आपको बता दें कि केंद्र सरकार की तरफ से सुप्रीम कोर्ट में जो हलफनामा दाखिल किया गया है, उस हलफनामे में यह कहा गया है कि, ”कोरोना के प्रसार और प्रभाव के कारण जिन मरीजों की मौत हुई है, उन्हें प्राकृतिक आपदा के तहत मुआवजा नहीं दिया जा सकता है।”