अगर हम बदसूरत हैं तो इसमें उस इंसान की तो कोई गलती नहीं। बल्कि इसे ईश्वर का निर्णय मान लिया जाता है, लेकिन अमेरिका की एक महिला ने अपनी शक्ल सूरत के लिए अपने माता पिता के जीन को दोषी ठहराया है। इसके साथ ही उन पर 17 करोड़ (2 मिलियन डॉलर) रुपये का दावा ठोंक दिया है।
नई दिल्ली। अगर हम बदसूरत हैं तो इसमें उस इंसान की तो कोई गलती नहीं। बल्कि इसे ईश्वर का निर्णय मान लिया जाता है, लेकिन अमेरिका की एक महिला ने अपनी शक्ल सूरत के लिए अपने माता पिता के जीन को दोषी ठहराया है। इसके साथ ही उन पर 17 करोड़ (2 मिलियन डॉलर) रुपये का दावा ठोंक दिया है।
अमेरिका कीं 44 वर्षीय एनाबेले जेफरसन (Annabelle Jefferson) ने कहा कि उसके माता-पिता उसकी बदसूरती के लिए पूरी तरह से जिम्मेदार हैं, जिसके कारण उसे तीन बार तलाक (Divorce), डिप्रेशन (Depression) तथा मनोवैज्ञानिक परेशानियों (Psychological Problems) का सामना करना पड़ा है। एनाबेले ने कहा कि “मेरे माता-पिता दोनों ही बहुत बदसूरत हैं, उन्होंने बच्चे पैदा करके बहुत ही क्रूर काम किया है। उन्हें प्रजनन करने की अनुमति नहीं दी जानी चाहिए। वह आगे कहती हैं कि बदसूरत लोगों की नसबंदी करने या कम से कम उनके लिए बच्चे पैदा करना असंभव बनाने के लिए सरकारी कार्यक्रम होने चाहिए।
माता-पिता के खिलाफ हो कानूनी कार्रवाई
एनाबेले ने अपने 82 वर्षीय पिता रॉबर्ट जेफरसन (Father Robert Jefferson) और 76 वर्षीय मां रूबी जेफरसन (Mother Ruby Jefferson) पर मुकदमा दायर किया है क्योंकि उसका कहना है कि इन दोनों को प्रजनन करने की अनुमति नहीं दी जानी चाहिए थी। एनाबेले जेफरसन ने अपने माता-पिता को अपनी असफल शादियों के लिए दोषी ठहराया है। एनाबेले के अनुसार, उसके पहले तलाक के दौरान उसके पूर्व पति ने जज से कहा कि हर सुबह जब वह मेरा चेहरा देखता था, तो उसे उल्टी जैसा महसूस होता था और अक्सर उसे बाथरूम में भागकर उल्टी करनी पड़ती थी। उसने कहा कि मेरा पिछला पति तकनीकी रूप से अंधा था, लेकिन एक सफल आपरेशन के बाद उसकी 40 फीसदी दृष्टि वापस आ गई। इसके अगले ही सप्ताह उसने मुझे तलाक दे दिया।
एनाबेले उन लोगों के लिए एक ग्रुप शुरू करने की योजना बना रही है, जिन्हें ऐसी ही समस्याएं हैं और जो अपने “बदसूरत माता-पिता” पर मुकदमा करना चाहते हैं। वह चाहती हैं कि सरकार ऐसा कानून बनाये जिससे उन लोगों पर प्रतिबंध लग सके जो कुछ सौंदर्य मानकों को पूरा नहीं करते हैं, ताकि भविष्य में होने वाली पीड़ा को रोका जा सके।