नई दिल्ली: भारत एक ऐसा देश है जहां महिलाओं के सम्मान को सर्वोच्च स्थान दिया गया है। एक ओर जहां वीरांगनाओं ने अपने सम्मान के लिए जौहर की आग में आत्मदाह कर लिया था, तो वहीं कई वीर योद्धाओं ने स्त्रियों के सम्मान की रक्षा करने के लिए युद्ध किए और खून की नदियां तक बहा दी।
आपको बता दें, यूं तो भारत में महिलाओं की वजह से हुई लड़ाइयां, जिनका मकसद महिलाओं की रक्षा करना था। तो आइए आज हम आपको बताते हैं भारत की पांच बड़ी ऐतिहासिक महिलाओं की वजह से हुई लड़ाइयां…
रामायण की लड़ाई के बारे में तो हर कोई जानता है। जब रावण ने माता सीता का अपहरण कर लिया था तब उन्हें रावण के चंगुल से आज़ाद कराने के लिए श्रीराम ने लंका पर चढ़ाई की थी। कहा जाता है कि रावण की बहन शूर्पनखा श्रीराम से विवाह करना चाहती थी और वो सीता को नुकसान पहुंचाने की बार-बार धमकी दे रही थी इसलिए शूर्पनखा को सबक सिखाने के लिए लक्ष्मण ने उसकी नाक काट दी।
अपनी बहन शूर्पनखा का बदला लेने के लिए रावण ने सीता का अपहरण कर लिया। जिसके बाद माता सीता को छुड़ाने के लिए राम ने रावण से युद्ध किया और रावण को इसकी कीमत अपनी जान देकर चुकानी पड़ी।
महाभारत की लड़ाई भी द्रोपदी के सम्मान के लिए लड़ी गई थी। कहा जाता है कि पांचाल नरेश की बेटी द्रौपदी ने दुर्योधन के गलती से पानी में पैर रख देने पर उसकी खिल्ली उड़ाई थी।
जब पांचों पांडव पासा खेलने में दुर्योधन से हार गए तब उसे अपने अपमान का बदला लेने का मौका मिल गया और उसने भरी सभा में द्रोपदी का चीरहरण किया। हालांकि श्रीकृष्ण ने उस वक्त द्रोपदी की लाज बचा ली थी लेकिन द्रोपदी ने कसम खाई थी कि वो जब तक दुर्योधन के खून से अपने बाल नहीं धोएगी तब तक अपने बालों को नहीं बांधेगी।
कहा जाता है कि रुक्मिणी भगवान श्रीकृष्ण से प्रेम करती थी और उनसे विवाह करना चाहती थी। रुक्मिणी के माता-पिता भी चाहते थे कि उनकी बेटी का विवाह श्रीकृष्ण के साथ हो। लेकिन रुक्मिणी के पांच भाईयों में से रुक्म नाम का भाई चाहता था कि उसका विवाह चेदिराम शिशुपाल के साथ हो, जिसके चलते श्रीकृष्ण को रुक्मिणी का हरण कर उनसे विवाह करना पड़ा था। इस दौरान शिशुपाल और रुक्म दोनों से श्रीकृष्ण की सेना को युद्ध करना पड़ा था।
कहा जाता है कि कन्नौज के राजा जयचंद और दिल्ली के राजपूत राजा पृथ्वीराज चौहान की आपस में नहीं बनती थी। इसी बीच जयचंद की बेटी संयोगिता को पृथ्वीराज चौहान से प्यार हो गया, लेकिन जयचंद को दोनों का प्यार नागवार गुजरा। एक बार उन्होंने संयोगिता का स्वयंवर रचाया और देश के सभी राजकुमारों को इसमें आमंत्रित किया, लेकिन पृथ्वीराज को नहीं।
इतना ही नहीं उन्होंने पृथ्वीराज चौहान को अपमानित करने के लिए उनकी एक मूर्ति दरवाज़े पर द्वारपाल के रुप में लगवा दी, लेकिन संयोगिता ने पृथ्वीराज चौहान की मूर्ति के गले में जयमाला डाल दी। द्वारपाल की मूर्ति के पीछे छुपे पृथ्वीराज चौहान भरी सभा से संयोगिता को अपने साथ भगा ले गए। इसका बदला लेने के लिए जयचंद ने मोहम्मद गोरी को दुबारा हमला करने को उकसाया और साथ देने का वादा किया। इस कारण तराइन का एक और युद्ध हुआ।