भारतीय परिधान में साड़ी सबसे बेहतरी माना जाता है। यह सिंपल शोवर से लेकर रॉयल लुक तक देती है। चाहे टीचिंग करने वाली महिलाएं इसे सिंपली पहन लें या फिर बनारसी और कांजीवरम को पहन कर शादी या पार्टी में रॉयल लुक में नजर आ सकती है।
भारतीय परिधान में साड़ी सबसे बेहतरी माना जाता है। यह सिंपल शोवर से लेकर रॉयल लुक तक देती है। चाहे टीचिंग करने वाली महिलाएं इसे सिंपली पहन लें या फिर बनारसी और कांजीवरम को पहन कर शादी या पार्टी में रॉयल लुक में नजर आ सकती है।
अलग अलग जगहों पर साड़ियां पहनने का अलग बनावट होती है। बॉलीवुड एक्ट्रेस से लेकर नामी रॉयल फैमलीज तक में विभिन्न अवसरों पर साड़ी को ही पहनना पसंद करती है।
रेशम और सकप से की गई कमाल की कारीगरी , चटकीले रंग और फूल पत्तियों के बेहतरीन डिजाइन बनारसी साड़ियों को खास बनाती है। शादियों में विभिन्न अवसरों पर दुल्हन बनारसी साड़ियों पहनना पसंद करती है।
कांजीवरम साड़ी को भी लोग काफी पसंद करते है। साउथ में कांजीवरम साड़ी का खूब चलन है। तमिलनाडु के कांचीपुरम क्षेत्र में यह साड़ियां बनती है। साउथ में आम लोगो से लेकर खास तक कांजीवरम साड़ियों खूब चलन है।
दक्षिण भारतीय घरों में शादियों और शुभ मौको पर कसावु साड़ी पहनना अच्छा माना जाता है। वाइट या ऑफ वाइट कलर के फैब्रिक पर गोल्डन वर्क किया जाता है। वहीं पारंपरिक रुप से इसमें सोने या चांदी के धागे का काम किया जाता है। केरल की पारंपरिक कसावु साड़ी को कसावु मुंडु के नाम से जाना जाता है।
इसके अलावा ओडिशा के हथकरघा बोमकाई साड़ियां भी बहुत फेमस है। इस साड़ी का नाम ओडिशा के बोमकाई गांव के नाम पर पड़ा है क्योंकि यही से इस साड़ी की शुरुआत हुई थी। इस साड़ी में फूलो, पशु पक्षियों और प्रकृति की डिजाइन बनी होती है।
रेशम से तैयार पाटन पटोला और बांधनी साड़ी भी काफी मशहूर है। इस साड़ी को दोनो तरफ से पहना जा सकता है। असली पाटन पटोला साड़ी का फैब्रिक सौ साल तक खराब नहीं होता है।
चंदेरी साड़ी भी काफी पसंद की जाती है। इन साड़ियों पर कशीदाकारी बहुत अनूठा माना जाता है। प्योर सिल्क चंदेरी,कॉटन चंदेरी और सिल्क कॉटन चंदेरी साड़ियां मिल जातीहै।
इसके अलावा मूंगा साड़ी जो असम में पहनी जाती है। मूंगा सिल्क साड़ी की खासियत होती है यह जितनी पुरानी होती जाती है उतनी चमक बढ़ जाती है।