देश में इन दिनों एसआईआर को लेकर सियासी संग्राम छिड़ा हुआ है। विपक्षी दल के नेताओं की तरफ से लगातार चुनाव आयोग और भाजपा सरकार पर निशाना साधा जा रहा है। अब तृणमूल कांग्रेस (टीएमसी) 24 नवंबर को एक आतंरिक बैठक करेगी, जिसकी अध्यक्षता पार्टी के महासचिव अभिषेक बनर्जी करेंगे। इस बैठक में विशेष गहन पुनरीक्षण (एसआईआर) की समीक्षा और यह सुनिश्चित करना होगा कि मतदाता सूची में कोई भी नाम छूट न जाए।
नई दिल्ली। देश में इन दिनों एसआईआर को लेकर सियासी संग्राम छिड़ा हुआ है। विपक्षी दल के नेताओं की तरफ से लगातार चुनाव आयोग और भाजपा सरकार पर निशाना साधा जा रहा है। अब तृणमूल कांग्रेस (टीएमसी) 24 नवंबर को एक आतंरिक बैठक करेगी, जिसकी अध्यक्षता पार्टी के महासचिव अभिषेक बनर्जी करेंगे। इस बैठक में विशेष गहन पुनरीक्षण (एसआईआर) की समीक्षा और यह सुनिश्चित करना होगा कि मतदाता सूची में कोई भी नाम छूट न जाए।
इसके साथ ही, तृणमूल कांग्रेस की तरफ से 25 नवंबर को एसआईआर को लेकर एक बड़ी रैली आयोजित की जा सकती है। सीएम ममता बनर्जी ने राज्य में जारी एसआईआर प्रक्रिया को लेकर भी चिंता जताई है और चुनाव आयोग से इस मामले में दखल देने की अपील की है। उन्होंने इस संबंध में शुक्रवार को अपने पुराने पत्र को भी सोशल मीडिया एक्स पर शेयर किया है।
मुख्य चुनाव आयुक्त को लिखे गए पत्र में ममता बनर्जी ने लिखा कि, अब, मैं आपको यह लिखने के लिए बाध्य हूं क्योंकि चल रहे विशेष गहन पुनरीक्षण (एसआईआर) से जुड़ी स्थिति बेहद चिंताजनक स्थिति में पहुंच गई है। जिस तरह से यह प्रक्रिया अधिकारियों और नागरिकों पर थोपी जा रही है, वह न केवल अनियोजित और अराजक है, बल्कि खतरनाक भी है। बुनियादी तैयारी, पर्याप्त योजना या स्पष्ट संचार के अभाव ने पहले दिन से ही इस प्रक्रिया को पंगु बना दिया है। प्रशिक्षण में गंभीर कमियां, अनिवार्य दस्तावेज़ीकरण पर स्पष्टता का अभाव और अपनी आजीविका के बीच स्वयंसेवकों से मिलने की लगभग असंभवता ने इस प्रक्रिया को संरचनात्मक रूप से अस्थिर बना दिया है।
मैं इन अत्यंत विकट परिस्थितियों और भारी कार्यभार के बीच बीएलओ द्वारा किए गए अथक प्रयासों की तहे दिल से सराहना करती हूं। हालाँकि, इस बात से इनकार नहीं किया जा सकता कि बीएलओ को इस तरह के विशाल कार्य के लिए आवश्यक पर्याप्त प्रशिक्षण, सहायता और समय नहीं दिया गया है। अवास्तविक कार्यभार, असंभव समय-सीमा और ऑनलाइन दाल प्रविष्टि के लिए अपर्याप्त सहायता ने मिलकर पूरी प्रक्रिया और उसकी विश्वसनीयता को गंभीर खतरे में डाल दिया है। यह हमारे चुनावी लोकतंत्र की आत्मा पर प्रहार है।