टोक्यो ओलंपिक के बारे में सबसे खास बात यह है कि इसे प्रिंट, इलेक्ट्रानिक और हर तरह के मीडिया ने शानदार कवरेज दी है। महामारी के दौरान कई अखबारों के पत्रकार इसकी कवरेज के लिए टोक्यो नहीं जा सके, मगर इसके बावजूद उन सभी ने सर्वश्रेष्ठ अंदाज में अपनी कवरेज का प्रस्तुतिकरण दिया।
Tokyo Olympic: टोक्यो ओलंपिक(Tokyo Olympic) के बारे में सबसे खास बात यह है कि इसे प्रिंट, इलेक्ट्रानिक और हर तरह के मीडिया ने शानदार कवरेज दी है। महामारी के दौरान कई अखबारों के पत्रकार इसकी कवरेज के लिए टोक्यो नहीं जा सके, मगर इसके बावजूद उन सभी ने सर्वश्रेष्ठ अंदाज में अपनी कवरेज(Covrage) का प्रस्तुतिकरण दिया। इस दौरान टोक्यों से पदक(Medal) जीत के स्वदेश लौटें खिलाड़ियो को दिये जानें वाली कई ईनाम राशियों(Money) की घोषणा सरकारों और कंपनियों के द्वारा की गई है।
इस पर सवाल उठाते हुए भारत के पूर्व क्रिकेटर सुनील गावस्कर(Sunil Gavskar) ने कहा है कि खिलाड़ियों को जो ईनाम राशि देने की घोषणा की गई है वो उन तक समय से पहुंचे इसके लिए भी जांच होती रहनी चाहिए। उन्होंने ऐसा क्यों कहा है क्योंकि उनके पास 1983 क्रिकेट विश्व कप(Cricket world Cup) जीत का अनुभव है कि उस समय कितने पुरस्कार, राशि और न जाने किन-किन चीजों को देने की बात कही गई थी, लेकिन उसके बाद क्या हुआ, करीब 95 प्रतिशत से अधिक खिलाड़ियों(Players) को वादे के अनुसार कुछ भी नहीं मिला। कुछ कंपनियों ने अपना वादा पूरा किया एक दशक(Dashak) या उसके बाद उन्होंने अपने हाथ पीछे खींच लिए, जबकि कुछ ब्रांड बाजार से गायब हो गए, लेकिन कम से कम उन्होंने उन शुरुआती वर्षों के लिए अपने वादे को तो पूरा किया।