अमेरिका द्वारा सभी विदेशी निर्मित ऑटोमोबाइल्स पर 25% का टैरिफ 2 अप्रैल से लागू हो चुका है। जिसका उद्देश्य अमेरिका के ऑटो उद्योग को संरक्षण (Protection to auto industry) देना और घरेलू विनिर्माण (Domestic Manufacturing) को प्रोत्साहित करना है।
रोज गार्डन में आयोजित ‘मेक अमेरिका वेल्थी अगेन’ कार्यक्रम में फिर से डोनाल्ड ट्रंप ने अमेरिकी फर्स्ट पर जोर दिया।
यह 25% का ऑटो टैरिफ़ सभी वाहनों पर लगेगा, जो अमेरिका के बाहर बने हैं। यानी यूरोप, जापान, दक्षिण कोरिया, चीन या किसी अन्य देश से आए वाहनों को 25 प्रतिशत शुल्क चुकाना होगा। वहीं यदि कार्य अमेरिका में असेंबल की गई है, लेकिन उनके कलपुर्जे विदेश से आए हो तो उन्हें इस टैरिफ से मुक्ति मिलेगी।
यानी ऐसी कंपनियां जो अमेरिका में उत्पादन सुविधा रखती है, जैसे टोयोटा, बीएमडब्ल्यू, होंडा आदि, तो उन्हें टैरिफ से राहत मिलेगी।
USMCA एग्रीमेंट के तहत राहत
अगर कोई वाहन अमेरिका-मैक्सिको-कनाडा व्यापार समझौते (USMCA) के नियमों के तहत आयात किया जाता है, तो उस पर केवल गैर-अमेरिकी हिस्सों के लिए ही 25% शुल्क देना होगा। इससे इन देशों से आने वाली गाड़ियों पर कुछ राहत मिल सकती है। ट्रंप प्रशासन के इस फैसले से ऑटोमोबाइल इंडस्ट्री में हलचल तेज हो गई है, क्योंकि यह टैरिफ सीधे उपभोक्ताओं और निर्माताओं पर असर डाल सकते हैं।
ट्रंप प्रशासन का कहना है कि इस Auto Tariff से उन्हें सालाना 100 अरब डॉलर का अतिरिक्त राजस्व प्राप्त होगा। जिसका इस्तेमाल वे घरेलू बुनियादी ढांचे और उद्योगों में करेंगे। हालांकि से अमेरिकी उपभोक्ताओं के लिए विदेशी कारों की कीमत में वृद्धि हो जाएगी। इसके अलावा ट्राम प्रशासन का यह भी दावा है कि उनकी नीति से अमेरिकी ऑटो उद्योग में नौकरियां बढ़ेगी। जिससे कई अमेरिकंस को नौकरियां मिलेगी।