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केंद्रीय मंत्री किरेन रिजिजू ने 30 नवंबर को बुलाई ऑल-पार्टी मीटिंग, एक से 19 दिसंबर तक चलेगा पार्लियामेंट का विंटर सेशन

सूत्रों ने बताया कि पार्लियामेंट के विंटर सेशन से पहले, पार्लियामेंट्री अफेयर्स मिनिस्टर किरेन रिजिजू ने 30 नवंबर को एक ऑल-पार्टी मीटिंग बुलाई है। इससे पहले यूनियन मिनिस्टर अर्जुन राम मेघवाल ने बताया कि बिलों की लिस्ट विपक्ष के नेता के साथ शेयर करने और उनके सुझाव लेने के लिए एक ऑल-पार्टी मीटिंग होगी। मेघवाल ने कहा कि हम अलग-अलग डिपार्टमेंट के सेक्रेटरी के साथ मीटिंग करने जा रहे हैं। हम उन सभी पेंडिंग बिलों की स्क्रूटनी करेंगे जिन्हें पास किया जाना है।

By Satish Singh 
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नई दिल्ली। सूत्रों ने बताया कि पार्लियामेंट के विंटर सेशन से पहले, पार्लियामेंट्री अफेयर्स मिनिस्टर किरेन रिजिजू (Parliamentary Affairs Minister Kiren Rijiju) ने 30 नवंबर को एक ऑल-पार्टी मीटिंग (All-Party Meeting) बुलाई है। इससे पहले यूनियन मिनिस्टर अर्जुन राम मेघवाल (Union Minister Arjun Ram Meghwal) ने बताया कि बिलों की लिस्ट विपक्ष के नेता के साथ शेयर करने और उनके सुझाव लेने के लिए एक ऑल-पार्टी मीटिंग होगी। मेघवाल ने कहा कि हम अलग-अलग डिपार्टमेंट के सेक्रेटरी के साथ मीटिंग करने जा रहे हैं। हम उन सभी पेंडिंग बिलों की स्क्रूटनी करेंगे जिन्हें पास किया जाना है और फिर एक ऑल-पार्टी मीटिंग होगी, जहां हम बिलों की लिस्ट विपक्ष के नेता के साथ शेयर करेंगे। हम विपक्षी नेताओं के सुझावों के हिसाब से स्ट्रेटेजी बनाएंगे।

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केंद्रीय मंत्री किरेन रिजिजू ने अनाउंस किया था कि पार्लियामेंट का विंटर सेशन (winter session of parliament) एक से 19 दिसंबर तक चलेगा। प्रेसिडेंट द्रौपदी मुर्मू ने दी गई तारीखों पर सेशन बुलाने के सरकार के प्रपोज़ल को मंज़ूरी दे दी है। किरेन रिजिजू ने एक्स पर एक पोस्ट में बताया कि पार्लियामेंट में 19 दिनों में 15 सिटिंग्स होनी हैं। प्राइवेट मेंबर्स के बिल पांच और 19 दिसंबर को और प्राइवेट मेंबर्स के प्रस्ताव 12 दिसंबर को विचार के लिए रखे जाएंगे। इस बीच संविधान (131वां संशोधन) बिल, 2025 के तहत चंडीगढ़ को आर्टिकल 240 के तहत शामिल किए जाने की अटकलों के बीच, केंद्रीय गृह मंत्रालय (Union Home Ministry) ने रविवार को साफ किया कि केंद्र शासित प्रदेश चंडीगढ़ (Union Territory Chandigarh) के लिए केंद्र सरकार के कानून बनाने के प्रोसेस को आसान बनाने के मकसद से लाया गया प्रस्ताव अभी भी विचाराधीन है। साथ ही इस बात पर ज़ोर दिया कि कोई आखिरी फैसला नहीं लिया गया है और मौजूदा एडमिनिस्ट्रेटिव व्यवस्था (administrative system) पर कोई असर नहीं पड़ेगा। एक रिलीज़ के मुताबिक प्रस्ताव किसी भी तरह से चंडीगढ़ के शासन या एडमिनिस्ट्रेटिव ढांचे को बदलने की कोशिश नहीं करता है और न ही इसका चंडीगढ़ और पंजाब या हरियाणा राज्यों के बीच पारंपरिक व्यवस्थाओं को बदलने का इरादा है। मंत्रालय ने आगे कहा कि इस मामले पर कोई भी फैसला सभी स्टेकहोल्डर्स के साथ पूरी तरह से सलाह-मशविरा के बाद ही लिया जाएगा। ताकि यह पक्का हो सके कि चंडीगढ़ के हितों की पूरी तरह से रक्षा हो। इसने यह भी बताया कि इस मुद्दे के बारे में किसी भी चिंता की कोई ज़रूरत नहीं है।

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