विज्ञान समाचार सेवा ‘इंडिया साइंस वायर’ से जुड़े पत्रकार उमाशंकर मिश्र को वर्ष 2022 का प्रतिष्ठित देवऋषि नारद पत्रकारिता पुरस्कार प्रदान किया गया है।
नई दिल्ली : विज्ञान समाचार सेवा ‘इंडिया साइंस वायर’ से जुड़े पत्रकार उमाशंकर मिश्र को वर्ष 2022 का प्रतिष्ठित देवऋषि नारद पत्रकारिता पुरस्कार प्रदान किया गया है। इन्द्रप्रस्थ विश्व संवाद केंद्र, दिल्ली की ओर से आयोजित 12वें देवऋषि नारद पत्रकार सम्मान समारोह में बुधवार 18 मई को नई दिल्ली के कॉन्स्टिट्यूशन क्लब उन्हें यह पुरस्कार राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ के अखिल भारतीय प्रचार प्रमुख श्री सुनील अम्बेकर; राज्यमंत्री, मत्स्यपालन, पशुपालन और डेयरी मंत्रालय, भारत सरकार, श्री संजीव कुमार बालयान, और नेटवर्क 18 के प्रबंध संपादक, आनंद नरसिम्हन की उपस्थिति में प्रदान किया गया है।
सामाजिक सरोकारों से जुड़ी पत्रकारिता
यह पत्रकारिता पुरस्कार उन्हें ग्रामीण विकास श्रेणी में प्रदान किया गया है। विभिन्न श्रेणियों में विजेताओं का चयन एक सम्मानित निर्णायक मंडल, जिसमें प्रख्यात पत्रकार और शिक्षाविद शामिल हैं, द्वारा किया गया है। निर्णायक मंडल ने योग्यता के आधार पर सभी प्रविष्टियों पर विचार किया तथा विजेताओं का चयन किया है। सामाजिक सरोकारों से जुड़ी पत्रकारिता, विमर्श, जागरूकता, एवं जन केंद्रित नीतिगत पहल को बढ़ावा देने में योगदान के लिए देवऋषि नारद पत्रकार प्रदान किया जाता है। उमाशंकर मिश्र को यह पुरस्कार ग्रामीण विकास, कृषि एवं पर्यावरण पत्रकारिता तथा इस क्षेत्र में हो रहे शोध एवं विकास को उजागर करने से संबंधित उनके योगदान के लिए प्रदान किया गया है।
पत्रकारिता में डेढ़ दशक से अधिक समय से सक्रिय उमाशंकर मिश्र ने कृषि, ग्रामीण विकास और विज्ञान एवं प्रौद्योगिकी, पर प्रमुखता से लेखन एवं संपादन कार्य किया है। वह अमर, उजाला, हिंदुस्तान, पंजाब केसरी, एवं ग्रामीण विकास पर केंद्रित पत्रिका सोपानStep से नियमित रूप से जुड़े रहे हैं। अमर उजाला में कृषि एवं ग्रामीण विकास पर उनके द्वारा संपादित ‘चौपाल’ और सामाजिक राजनीतिक विषयों पर केंद्रित पृष्ठ ‘फोकस’ काफी लोकप्रिय रहे हैं। पूर्व सांसद श्री सुनील शास्त्री द्वारा सामाजिक राजनीतिक विषयों पर प्रकाशित की जाने वाली पत्रिका लिगेसी इंडिया (Legacy India) के संस्थापक सदस्य एवं संपादक के रूप में भी उमाशंकर मिश्र कार्य कर चुके हैं। वह अमर उजाला में तकनीक, स्वास्थ्य, मनोरंजन, लाइफस्टाइल और करियर जैसे विषयों पर आधारित परिशिष्टों के संपादन से जुड़े रहे हैं। कुछ समय बाद जब ‘चौपाल’ को मासिक पत्रिका के रूप में निकाला गया, तो उमाशंकर उसके संपादन से भी लगातार जुड़े रहे।
डब्ल्यूएचओ की सड़क सुरक्षा फेलोशिप भी मिली
कृषि मंत्रालय की ओर से उमाशंकर मिश्र को ‘Chaudhary Charan Singh Award for excellence in Journalism in Agricultural Research and Development’ प्रदान किया गया है। कुछ समय पूर्व उमाशंकर मिश्र को वर्ष 2019 की विश्व स्वास्थ्य संगठन (डब्ल्यूएचओ) की सड़क सुरक्षा फेलोशिप भी मिली थी। उन्हें यह फेलोशिप भारत में सड़क सुरक्षा से जुड़े विभिन्न आयामों को उजागर करने के लिए प्रदान की गई थी। उमाशंकर मिश्र को ग्रामीण पत्रकारिता के लिए न्यूजपेपर्स एसोसिएशन ऑफ इंडिया द्वारा भी पुरस्कृत किया गया है।
जल, जंगल तथा जमीन जैसे विषयों को कवर करने के लिए जाना जाता है
ग्रामीण एवं कृषि पत्रकारिता के साथ-साथ उमाशंकर मिश्र को विज्ञान एवं प्रौद्योगिकी, पर्यावरण, जैव विविधता, जलवायु परिवर्तन, स्वास्थ्य, स्वच्छता, शिक्षा, मीडिया एवं भाषा और जल, जंगल तथा जमीन जैसे विषयों को कवर करने के लिए प्रमुखता से जाना जाता है। उमाशंकर मिश्र, वर्तमान में विज्ञान प्रसार द्वारा संचालित विज्ञान समाचार एवं फीचर सिंडिकेट – ‘इंडिया साइंस वायर’ में कार्यरत हैं, और विज्ञान एवं प्रौद्योगिकी के साथ-साथ कृषि शोध पर समान रूप से लेखन, संपादन, एवं अनुवाद कार्य कर रहे हैं। इंडिया साइंस वायर में वह भारतीय वैज्ञानिक प्रयोगशालाओं में हो रहे शोध एवं विकास संबंधी खबरों को प्रमुखता से उठाते हैं। उनके 3000 से अधिक आलेख/रिपोर्ट्स हिंदी, अंग्रेजी और मराठी के विभिन्न पत्र-पत्रिकाओं एवं न्यूज पोर्टल्स में प्रकाशित किए गए हैं, जिनमें दैनिक जागरण, जनसत्ता, प्रभात खबर, सकाल-एग्रोवन, तेलंगाना टुडे, मेघालय गार्जियन, द असम पोस्ट, आउटलुक, द वायर, फर्स्ट पोस्ट, कैच न्यूज, द हिंदू बिजनेसलाइन, डाउन टू अर्थ, योजना, कुरुक्षेत्र, विज्ञान प्रगति, गाँव कनेक्शन, शरद कृषि, और चौथी दुनिया इत्यादि शामिल हैं।
जनांदोलन एवं पदयात्रा की कवरेज को काफी सराहा गया
उमाशंकर मिश्र बताते हैं कि करियर के शुरुआती दौर में वह पी. साईनाथ, हरवीर सिंह, अंशुमान तिवारी, डॉ महेंद्र मधुप, देविंदर शर्मा जैसे लेखकों/पत्रकारों के आलेख पढ़ते थे, जिससे ग्रामीण पत्रकारिता को लेकर उनका रुझान विकसित हुआ। सोपानStep में कार्य करते हुए वह किसानों की आत्महत्या के मुद्दे को कवर करने के लिए विदर्भ गए और किसानों की पीड़ा को करीब से देखा व कलमबद्ध किया। ऐसी कई रिपोर्टें सोपानStep, अमर उजाला, चौथी दुनिया, शरद कृषि और भारतीय पक्ष में प्रकाशित होती रहीं, जिनमें कृषि, पर्यावरण, ग्रामीण विकास और जल, जंगल, जमीन के सरोकार जुड़े थे। उन्होंने जल, जंगल, जमीन से जुड़े मुद्दों पर केंद्रित जनांदोलनों को भी कवर किया। वंचितों को भूमि अधिकार दिलाने से जुड़े एकता परिषद के जनांदोलन एवं पदयात्रा की उनकी कवरेज को काफी सराहा गया।
इंडिया साइंस वायर में कार्य करते हुए कृषि एवं पर्यावरण पर केंद्रित शोध कार्यों पर उनकी कई रिपोर्टें प्रकाशित हुई हैं, जिन्हें काफी सराहा गया है। कृषि एवं ग्रामीण पत्रकारिता में आगे बढ़ने के लिए प्रेरित करने के लिए वह मिशन फार्मर साइंटिस्ट के जनक एवं शरद कृषि पत्रिका के पूर्व संपादक डॉ महेंद्र मधुप, और चर्चित यूरिया घोटाला उजागर करने वाले वरिष्ठ पत्रकार के.ए. बदरीनाथ को देते हैं। उमाशंकर मिश्र बताते हैं कि अमर उजाला अखबार के समूह संपादकीय सलाहकार यशवंत व्यास ने किस प्रकार उन्हें कृषि एवं ग्रामीण पत्रकारिता पर कार्य करने के लिए न केवल प्रोत्साहित किया, बल्कि भरपूर अवसर प्रदान करके पत्रकारिता कौशल को तराशने में मदद की। इसी तरह, विज्ञान आधारित लेखन में आगे बढ़ने के लिए वह इंडिया साइंस वायर के पूर्व प्रबंध संपादक दिनेश सी. शर्मा को श्रेय देते हैं।
प्रतापगढ़ जिले के गाँव सरायनानकार में जन्म हुआ
उमाशंकर मिश्र उत्तर प्रदेश के प्रतापगढ़ जिले की पट्टी तहसील के मूल निवासी हैं। उनका जन्म प्रतापगढ़ जिले के गाँव सरायनानकार में हुआ है। उन्होंने दिल्ली विश्वविद्यालय के श्री गुरु तेग बहादुर खालसा (सांध्य) कॉलेज, जो अब श्री गुरु नानक देव खालसा कॉलेज के नाम से जाना जाता है, से पत्रकारिता की डिग्री प्राप्त की है। वर्धमान महावीर खुला विश्वविद्यालय (कोटा) से जनसंचार एवं पत्रकारिता में पोस्ट ग्रेजुएट उमाशंकर मिश्र पीएचडी शोध प्रबंध पूर्ण कर चुके हैं।
‘जय जवान, जय किसान और जय विज्ञान’ के ध्येय वाक्य के साथ कार्य करने वाले उमाशंकर मिश्र समाज में वैज्ञानिक चेतना के विकास को आवश्यक मानते हैं। उनका मानना है कि समाज में वैज्ञानिक चेतना विकसित करके ही हम स्वतंत्रता के शताब्दी वर्ष 2047 तक भारत को वैश्विक महाशक्ति बनाने के प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के सपने को साकार कर सकते हैं। वह कहते हैं कि ‘आत्मनिर्भर भारत’ का रास्ता ‘ग्रामीण आत्मनिर्भरता’ के बिना संभव नहीं है। उनका मानना है कि कृषि स्टार्टअप, नवाचार, और अभिनव प्रौद्योगिकी हस्तक्षेपों के माध्यम से यह लक्ष्य प्राप्त किया जा सकता है।