आखिर मंदिर परिसर में क्यों नही रुकते है राजा और मंत्री महाकाल के दर्शन से नही होती है अकाल मृत्यु काल भैरव में क्यो चढ़ाए जाता है मंदिरा
महाकालेश्वर मंदिर को लेकर कई सारी कहानियां हैं। लोगो का कहना है कि महाकालेश्वर का मेन मंदिर वो है जहां भगवान को शराब पिलाई जाती है, लेकिन मैं आपको बता दूं कि ये दो अलग-अलग मंदिर हैं। ये मंदिर बहुत दूर नहीं हैं और कहा जाता है कि इस मंदिर के गर्भग्रह में एक गुफा है जो महाकाल मंदिर से जुड़ी हुई है। जहां भैरो बाबा का मंदिर अपने आप में प्रसिद्ध है वहीं महाकाल मंदिर से जुड़े भी कई रहस्य हैं। आज हम आपको महाकाल मंदिर से जुड़े रहस्यों के बारे में बताने जा रहे हैं ।
उज्जैन के महाकालेश्वर मंदिर और काल भैरो के मंदिर के बारे में तो आप जानते ही होंगे। कालभैरो का मंदिर देश का ही नहीं बल्कि दुनिया का एकमात्र ऐसा मंदिर है जहां भगवान शिव को शराब पिलाई जाती है जैसा कि हम लोग जानतें है अन्य मंदिरों के आस-पास शराब आदि की दुकानें हटा दी जाती हैं ।
वहीं दूसरी ओर महाकाल के मंदिर परिसर से लेकर इसके रास्ते तक में बहुत सारी शराब की दुकानें लगवाई गई हैं और यही नहीं यहां प्रसाद बेचने वाले लोग भी शराब अपने पास रखते हैं। 12 ज्योतिर्लिंगों में से एक महाकालेश्वर का शिवलिंग स्वयंभू (अपने आप प्रकट हुआ) माना जाता है। आज तक ये कोई भी नहीं जानता कि भगवान शिव को मदिरा पिलाने का रिवाज कब से आया और आखिर इतनी शराब जो भगवान शिव पीते हैं वो जाती कहां है।
बताया जाता है कि महाकाल में भस्म आरती काफी शानदार होती है पहले यहां जलती हुई चिता की राख लाकर पूजा की जाती थी। इसलिए कहा जाता था कि महाकाल का संबंध मृत्यु से है, पर ये पूरा सच नहीं है। दरअसल, काल का मतलब मृत्यु और समय दोनों होते हैं और ऐसा माना जाता है कि प्राचीन काल में पूरी दुनिया का मनक समय यहीं से निर्धारित होता था इसलिए इसे महाकालेश्वर नाम दे दिया गया।
महाकालेश्वर मंदिर के परिसर में ऐसा माना जाता है कि विक्रमादित्य के समय से ही कोई राजा या मंत्री इस मंदिर के पास और शहर में रात नहीं गुजारता है। इससे जुड़े कई उदाहरण भी प्रसिद्ध हैं जिनके बारे में आपको जानकर आश्चर्य होगा। बताया जाता है कि देश के चौथे प्रधानमंत्री मोरारजी देसाई मंदिर के दर्शन करने के बाद रात में यहां रुके थे तो उनकी सरकार अगले ही दिन गिर गई थी|