यूपी विधानसभा चुनाव (UP elections 2022) में भले ही बीजेपी 300 पार सीटें पाने का दावा कर रही है, लेकिन पूर्वांचल के इलाके में बीजेपी की चुनौतियां कम होती नजर नहीं रही हैं। विधानसभा चुनाव की बिगुल बजते ही योगी सरकार में कैबिनेट मंत्री स्वामी प्रसाद मौर्य और दारा सिंह चौहान जैसे दिग्गज नेताओं के पार्टी छोड़कर से पार्टी के सियासी समीकरण पहले से ही गड़बड़ा दिया है।
नई दिल्ली। यूपी विधानसभा चुनाव (UP elections 2022) में भले ही बीजेपी 300 पार सीटें पाने का दावा कर रही है, लेकिन पूर्वांचल के इलाके में बीजेपी की चुनौतियां कम होती नजर नहीं रही हैं। विधानसभा चुनाव की बिगुल बजते ही योगी सरकार में कैबिनेट मंत्री स्वामी प्रसाद मौर्य और दारा सिंह चौहान जैसे दिग्गज नेताओं के पार्टी छोड़कर से पार्टी के सियासी समीकरण पहले से ही गड़बड़ा दिया है। वहीं, अब बीजेपी ने बलिया के बैरिया सीट के सिटिंग विधायक सुरेंद्र सिंह का टिकट काटकर बलिया सदर सीट से विधायक और यूपी सरकार के मंत्री आनंद स्वरूप शुक्ला को प्रत्याशी बनाया है।
इसके बाद बीजेपी के खिलाफ बगावती रुख अख्तियार करते हुए सिटिंग विधायक सुरेंद्र सिंह ने यहां निर्दलीय चुनाव लड़ने का ऐलान कर पार्टी की मुश्किलें बढ़ा दी हैं, जिससे योगी के मंत्री आनंद स्वरूप शुक्ला के साथ-साथ बलिया जिले का सियासी समीकरण बिगड़ता नजर आ रहा है। इस बगावत के बाद बीजेपी के लिए बलिया जिले में 2017 जैसे नतीजे दोहारना आसान नजर नहीं आ रहा है , क्योंकि इस बार सपा-सुभासपा ने गठबंधन किया है।
सुरेंद्र सिंह आरएसएस से जुड़े रहे हैं और जमीनी नेता माने जाते हैं। सुरेंद्र सिंह सियासत में काफी पहले से सक्रिय हैं, लेकिन विधायक 2017 में पहली बार बैरिया सीट से बने। विधायक बनने के बाद से सुरेंद्र सिंह कभी अपने बयानों के लिए तो कभी विपक्ष पर बेबाक टिप्पणी के लिए है। सुरेंद्र सिंह टिकट कटने के बाद आक्रामक तेवर में हैं और अपने पार्टी के ही नेताओं के खिलाफ साजिश का आरोप लगा रहे हैं।
बता दें कि बलिया से बीजेपी सांसद वीरेंद्र सिंह और सुरेंद्र सिंह के बीच पटरी नहीं खाती है। दोनों की अदावत कई बार सड़कों पर भी दिख चुकी है। यही वजह है कि टिकट कटने का आरोप सुरेंद्र सिंह ने सांसद वीरेंद्र सिंह मस्त आरोप लगाया और कहा कि सांसद की सपा से मिली भगत है। वह भाजपा को हराने के लिए इस तरह का कृत्य किए हैं। 10 मार्च के बाद ऐसे लोगों को माकूल जवाब दूंगा।
बैरिया विधायक सुरेंद्र सिंह ने बीजेपी के शीर्ष नेताओं को चुनौती देते हुए कहा कि आप लोगों ने मेरा टिकट काट दिया। सभी को यह समझना होगा कि टिकट भले ही पार्टियां देतीं हैं, लेकिन विधायक जनता बनाती है। टिकट के दम पर जनता के मन को नहीं बदला जा सकता। टिकट तय करने वाले आकर देख ले बैरिया की जनता किसके साथ है। सुरेंद्र सिंह के समर्थन में उमड़े हुजूम को देखने के बाद बीजेपी के लिए बैरिया से काफी असहज स्थिति हो गई है।
बैरिया सीट ठाकुर बहुल मानी जाती है। बैरिया सीट के सियासी समीकरण को देखें तो साढ़े तीन लाख से अधिक मतदाता हैं, लेकिन ठाकुर और यादव वोटरों का वर्चस्व है। यादव मतदाता 85 हजार हैं, और क्षत्रिय मतदाताओं की संख्या 80 हजार के करीब है। दलित वोटर 60 हजार और ब्राह्मण वोटर करीब 40 हजार हैं। बीजेपी ने ठाकुर का टिकट काटकर ब्राह्मण समुदाय से आने वाले आनंद स्वरूप को प्रत्याशी बनाया है जबकि सपा ने यादव समाज से आने वाले पूर्व विधायक जयप्रकाश अंचल को उतारा है।
सुरेंद्र सिंह निर्दलीय चुनावी मैदान में उतरने के बाद बीजेपी के कोर वोटबैंक में बटना तय माना जा रहा है। ठाकुर मतदाता सुरेंद्र सिंह से साथ जा सकता है तो ब्राह्मण वोटर बीजेपी के आनंद स्वरूप शुक्ला के पक्ष में हो सकता है। बता दें कि 2017 के विधानसभा चुनाव में बीजेपी को महज इसीलिए जीत मिली थी, क्योंकि ठाकुर और ब्राह्मण मतदाता एकजुट थे । इसके अलावा ओमप्रकाश राजभर के साथ गठबंधन के चलते राजभर समाज का भी वोट मिला था। इस बार राजभर सपा के साथ है तो सुरेंद्र सिंह निर्दलीय चुनावी ताल ठोंक रहे हैं, जिससे योगी सरकार के मंत्री के लिए चुनौती बढ़नी तय मानी जा रही है।
बैरिया सीट पर बीजेपी ने बलिया से विधायक व योगी सरकार में मंत्री आनंद स्वरूप शुक्ला को उतारा है, जो बलिया क्षेत्र के रहने वाले हैं। वहीं, सुरेंद्र सिंह बैरिया से हैं। ऐसे में बाहरी बनाम क्षेत्रीय का भी मुद्दा बन गया है। ऐसे ही बलिया शहर सीट पर भी बीजेपी का गणित बिगड़ गया है। बीजेपी ने बलिया शहर सीट पर दयाशंकर सिंह को प्रत्याशी बनाया है, जबकि सपा ने पूर्व मंत्री नारद राय को उतारा है। दयाशंकर सिंह मूलरूप से बलिया के रहने वाले हैं, लेकिन काफी समय से लखनऊ में रह रहे हैं। वहीं, नारद राय क्षेत्र के हैं। बैरिया सीट ठाकुर बहुल तो बलिया शहर सीट ब्राह्मण बहुल मानी जाती है। बीजेपी ने बलिया सीट पर ठाकुर प्रत्याशी उतारा है।
सपा ने भूमिहार समाज पर दांव खेलते हुए नारद राय को प्रत्याशी बना दिया है। नारद राय ने नागेंद्र पांडेय को अपने पक्ष में मना लिया है। ऐसे में बैरिया के साथ-साथ बलिया सीट पर बीजेपी के लिए सियासी समीकरण बिगड़ता नजर आ रहा है।