UP Election 2022 : सियासत में कब भूचाल आ जाये किसी को पता नहीं होता है। कभी कभी कुछ मौसम विज्ञानी मौसम का मिजाज भांप लेते है। यूपी में इन दिनों विधानसभा चुनाव को लेकर तापमान बढ़ घट रहा है। 11 जनवरी की सुबह कड़ाके की ठंड का माहौल दोपहर के आते आते बदल गया। प्रदेश के चुनावी तापमान में उस समय पारा एकदम शिखर पर पहुंच गया जब प्रदेश के सत्ताधारी दल के एक दिग्गज नेता की इस्तीफे की खबर सोशल मीडिया और टीवी चैनलों पर चलने लगी।
UP Election 2022 : सियासत में कब भूचाल आ जाये किसी को पता नहीं होता है। कभी, कभी कुछ मौसम विज्ञानी मौसम का मिजाज भांप लेते है। यूपी में इन दिनों विधानसभा चुनाव को लेकर तापमान बढ़ घट रहा है। 11 जनवरी की सुबह कड़ाके की ठंड का माहौल दोपहर के आते, आते बदल गया। प्रदेश के चुनावी तापमान में उस समय पारा एकदम शिखर पर पहुंच गया जब प्रदेश के सत्ताधारी दल के एक दिग्गज नेता की इस्तीफे की खबर सोशल मीडिया और टीवी चैनलों पर चलने लगी।
अचानक प्रदेश का राजनीतिक तापमान बढ़ गया। कल विधानसभा चुनाव के लिए जो समीकरण थे ध्वस्त होने लगे। ये इस्तीफा उत्तर प्रदेश के श्रम, सेवायोजन और समन्वय विभाग मंत्री स्वामी प्रसाद मौर्य का था। मंगलवार के दिन बीजेपी को एक बड़ा झटका लगा। इस्तीफे की खबर के बाद राजनीतिक पंडित नफा नुकसान जोड़ घटा रहे थे कि फिर राजनीति में भूचाल लाने वाली खबर ब्रेक होने लगी। इस बार बारी थी विधायकों के इस्तीफे की।
बिल्हौर विधानसभा सीट से बीजेपी विधायक भगवती सिंह सागर,तिलहर विधानसभा से बीजेपी विधायक रोशन लाल वर्मा व बांदा से बीजेपी विधायक बृजेश प्रजापति ने भी इस्तीफा दे दिया है। शाहजहांपुर के विधायक लालजी वर्मा ने भी पार्टी छोड़ने के संकेत दिए हैं। उन्होंने कहा कि स्वामी प्रसाद मौर्य मेरे नेता हैं और वह जैसा कहेंगे, वैसा करूंगा।
प्रदेश की राजनीति में स्वामी प्रसाद मौर्य को पिछड़ों का बड़ा नेता माना जाता है। स्वामी प्रसाद मौर्य बसपा से भाजपा में आए थे। राजनीति का मिजाज भांपने वाले पंडित भाजपा से स्वामी प्रसाद के इस्तीफे को प्रदेश की राजनीति में बहुत बड़ा टर्न मान रहे है। सत्ताधारी भाजपा पिछड़े वोटों की गोलबंदी में जो प्रयास कर रही थी उसमे सेंध मारी हुई है।
कहने वाले तो यहां तक कह रहें है कि भाजपा को इस तरह की सेंधमारी की बहुत बड़ी कीमत चुकानी होगी। कानों कान ये खबर भी चल रही है कि कुछ और इस्तीफों का बम फट सकता है। मंगलवार के दिन यूपी चुनाव का तापमान बहुत अधिक बढ़ गया। यूपी चुनाव में जातीय समीकरण साधने की कलाबाजी में भाजपा कमजोर होती जा रही है। आने वाले 10 मार्च तक तो ठंड का असर बना रहेगा लेकिन चुनावी प्रदेश उत्तर प्रदेश के तापमान में लगातार पारा ऊपर नीचे होता रहेगा।