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विद्युत उपभोक्ताओं को OTS की आड़ में दी जा रही है बिजली चोरी में 65 फ़ीसदी तक छूट,CBI जांच की मांग

उपभोक्ता परिषद अध्यक्ष ने विद्युत नियामक आयोग के अध्यक्ष  अरविंद कुमार व सदस्य  संजय कुमार सिंह से मिलकर सवाल उठाया कहा कि विद्युत अधिनियम 2003 का खुला उल्लंघन हो रहा है । आयोग तत्काल कार्यवाही करें क्योंकि इसका खामियाजा  प्रदेश के आदर्श विद्युत उपभोक्ता भुगतेंगे।

By संतोष सिंह 
Updated Date
लखनऊ : उपभोक्ता परिषद अध्यक्ष ने विद्युत नियामक आयोग के अध्यक्ष  अरविंद कुमार व सदस्य  संजय कुमार सिंह से मिलकर सवाल उठाया कहा कि विद्युत अधिनियम 2003 का खुला उल्लंघन हो रहा है । आयोग तत्काल कार्यवाही करें क्योंकि इसका खामियाजा  प्रदेश के आदर्श विद्युत उपभोक्ता भुगतेंगे।
उपभोक्ता परिषद अध्यक्ष ने संडीला में लगभग 3 करोड 87 लाख की बिजली चोरी और नोएडा में 1 करोड की बिजली चोरी का आंकडा जारी करते हुए उठाया सवाल कहा पावर कॉरपोरेशन प्रबंधन बताएं क्या इन्हें बिजली चोरी में छूट दिया जाना सही गरीबों की आड में अमीरों को छूट दिया जाना गलत   उत्तर प्रदेश सरकार  सीबीआई जांच कराए।
5 किलो वाट के ऊपर पूरे प्रदेश में लगभग 53011 विद्युत चोरी के मामले जिन पर 1250 करोड का राजस्व निर्धारण ऐसे में क्या यह भी है गरीब इन्हें भी बिजली चोरी में छूट दिया जाना कॉरपोरेशन मानता है उचित जिस प्रकार से हो रहा है खेल उसकी उच्च स्तरीय अथवा सीबीआई से जांच करना बेहद जरूरी।
उत्तर प्रदेश में बिजली चोरों को छूट दिए जाने का मामला काफी उलझता जा रहा है पावर कॉरपोरेशन की तरफ से एक मुस्त समाधान योजना के लिए जारी आदेश में बिजली चोरी को  65 प्रतिसत तक छूट दिए जाने के आदेश में एक नया मोड आ गया है जब आज उपभोक्ता परिषद ने पावर कार्पोरेशन प्रबंधन से इस मामले पर बात की तो पावर कॉरपोरेशन व मध्यांचल प्रबंधन  ने कहा बिजली चोरी में छूट सभी कैटेगरी के उपभोक्ताओ के लिए है चाहे 1 किलो वाट का उपभोक्ता हो या  10000 किलो वाट का उपभोक्ता हो या उससे भी अधिक उसके लिए भी है  बिजली चोरी में छूट का आदेश जारी किया गया है।
 उपभोक्ता परिषद ने कहा उत्तर प्रदेश में  मुख्यमंत्री की शक्ति के बावजूद भी पावर कॉरपोरेशन एक करोड से लेकर 4 करोड तक के विद्युत उपभोक्ताओं को भी बिजली चोरी में छूट दे रहा है जो अपने आप में ऊर्जा क्षेत्र के लिए काला अध्याय साबित होगा। गरीब विद्युत उपभोक्ता के नाम पर अमीरों को लाभ देना अपने आप में सीबीआई जांच का मामला है। पूरे उत्तर प्रदेश में 5 किलो वाट के ऊपर जो विद्युत उपभोक्ता बिजली चोरी कर रहे थे उनकी कुल संख्या लगभग 53011 है और उन पर कुल राजस्व निर्धारण लगभग 1250 करोड का हुआ है जो सभी छूट के लेने के लिए लगे हैं। वहीं अब तक कुल विद्युत उपभोक्ताओं जिन्होंने बिजली चोरी की है उनका राजस्व निर्धारण निकल जाए तो वह लगभग 5252 करोड है जो अपने आप में चौंकाने वाला है।
 इसकी भनक लगते ही उत्तर प्रदेश राज विद्युत उपभोक्ता परिषद के अध्यक्ष व राज्य सलाहकार समिति के सदस्य अवधेश कुमार वर्मा ने आज एक बार फिर विद्युत नियामक  आयोग के अध्यक्ष श्री अरविंद कुमार व सदस्य श्री संजय कुमार सिंह से मुलाकात कर बिजली चोरी में छूट दिए जाने के मुद्दे पर आयोग को अभिलंब हस्तक्षेप करने की मांग उठाई और कहा उपभोक्ता परिषद पहले ही विद्युत नियामक आयोग में अपना विरोध प्रस्ताव दाखिल कर चुका है इसलिए इस पर अभिलंब कार्रवाई शुरू की जाए पावर कारपोरेशन का बिजली चोरों को छूट दिए जाने का आदेश विद्युत अधिनियम 2003 के खिलाफ है यानी कि भारत सरकार द्वारा बनाई  गए नियम का खुला उल्लंघन है है इसके पीछे जरूरत पडने पर सीबीआई जांच भी कराई जाए कि कुछ बडे विद्युत उपभोक्ताओं को लाभ देने के लिए यह योजना तो नही लाई गई है गरीब विद्युत उपभोक्ता के नाम पर अमीर विद्युत उपभोक्ता को लाभ देने की साजिश जिनका खुलासा उपभोक्ता परिषद बहुत जल्द करेगा।
 उत्तर प्रदेश राज्य विद्युत उपभोक्ता परिषद के अध्यक्ष अवधेश कुमार वर्मा ने उदाहरण के तौर पर आज दो बिजली चोरी में सनलिप्त उपभोक्ताओं का उदाहरण देते हुए पावर कार्पोरेशन प्रबंधन से सवाल किया कि प्रबंधन को पता ही होगा की विद्युत वितरण खंड संडीला में एक विद्युत उपभोक्ता के परिसर पर 18 अक्टूबर को बिजली चोरी पकडी गई और उपभोक्ता ने स्वीकार भी किया उपभोक्ता के खिलाफ कुल राजस्व निर्धारण बिजली चोरी में 3 करोड 87 लाख 67455 रुपए का किया गया है क्या उसको भी छूट दी जाएगी दूसरा मामला मार्च 2023 में नोएडा में एक विद्युत उपभोक्ता उपभोक्ता के खिलाफ 1  करोड चार लाख रुपए का कुल राजस्व निर्धारण किया जाएगा क्या इनको भी छूट दी जाएगी और यदि इसी प्रकार पूरे प्रदेश में सभी विद्युत उपभोक्ताओं की लिस्ट बनाई जाए तो करोडों रुपए का राजस्व निर्धारण जिन पर बिजली चोरी में हुआ है वह सभी बिजली दफ्तरों में छूट लेने के लिए चक्कर काट रहे हैं और वह कांटे भी क्यों ना क्योंकि पावर कारपोरेशन ने विद्युत अधिनियम 2003 के खिलाफ जाकर बिजली चोरी में छोड दिए जाने का जो आदेश कर रखा है।

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