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ऑडिट में हुआ खुलासा: अफसरों की मिलीभगत से लूट रहा सरकारी खजाना, बिना कूड़ा उठाए ही ईको ग्रीन को दे दिए करोड़ों, अब होगी वसूली

अफसरों की मेहरबानी इन पर जारी है और बिना कूड़ा उठाए ही इन्हें 53.61 करोड़ का भुगतान किया जा रहा है। नगर निगम ने अपनी ही रिपोर्ट में इसका खुलासा किया है। अपनी रिपोर्ट में नगर निगम ने कहा कि, 50 प्रतिशत घरों से कूड़ा उठाया लेकिन भुगतान किया गया है।

By टीम पर्दाफाश 
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लखनऊ। शहर में गंदगी की भरमार लगी है। लोगों के घरों में कूड़ा का भंडरा जमा है। राजधानी लखनऊ के कई क्षेत्रों में एक-एक हफ्ते या 15 दिनों में कूड़ा उठाने के वाहन आते हैं लेकिन नगर निगम के अफसरों की मिलीभगत से कूड़ा उठाने वाली कंपनी ईको ग्रीन की बल्ले-बल्ले है। अफसरों की मेहरबानी इन पर जारी है और बिना कूड़ा उठाए ही इन्हें 53.61 करोड़ का भुगतान किया जा रहा है। नगर निगम ने अपनी ही
ऑडिट रिपोर्ट में इसका खुलासा किया है। अपनी ऑडिट रिपोर्ट में नगर निगम ने कहा कि, 50 प्रतिशत घरों से कूड़ा उठाया लेकिन भुगतान किया गया है। मुख्य नगर लेखा परीक्षक ने नगर आयुक्त को भेजी रिपोर्ट में जिम्मेदार अफसरों, ईको से वसूली को कहा है। ऐसा पहली बार नहीं हो रहा है कि जब अफसरों की मिलीभगत से इस तरह का खेल हो रहा है। पहले भी इस तरह के मामले सामने आ चुके हैं।

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न कूड़ा उठा न प्लांट में प्रोसेसिंग
प्रदेश के नगर विकास मंत्री एके शर्मा की तरफ से भी लगातार दावे किए जा रहे हैं लेकिन अफसरों की मिलीभगत के सामने ये सब खोखले साबित हो रहे हैं। राजधानी लखनऊ में एजेंसी घरों से कूड़ा उठा पाई, न ही प्लांट में प्रोसेसिंग की। प्लांट में कूड़ा का पहाड़ खड़ा हो गया तो बीती मई में निस्तारण के लिए प्रति टन 550 रुपए अतिरिक्त खर्च का प्रस्ताव बनाया, जबकि यह काम ईको ग्रीन को करना था। हालांकि, शर्तों के अनुपालन न करने से 600000 टन कचरा जमा हो गया। इसका 550 रुपए प्रति टन निस्तारण के लिए निगम पर 33 करोड़ भार पड़ा।

प्लांट में कूड़े की प्रोसेसिंग के नाम पर खेल
नगर निगम के अधिकारियों और कूड़े की प्रोसेसिंग के नाम पर खेल किया जा रहा है। कूड़ा निस्तारण प्लांट में कूड़े की प्रोसेसिंग ही नहीं हो पा रही है। इसके नाम पर सिर्फ लूट—खसोट मची है। कई जगहों पर कूड़े के निस्तारण के नाम पर उसमें आग लगा दी जा रही है तो कहीं कूड़े को गंगा जी में डाल दिया जा रहा है। शुक्रवार को राजधानी लखनऊ के नगर निगम के शिवरी स्थित कूड़ा प्लांट में आग लग गई। जानकारी के बाद नगर निगम ने अपने कई पानी के टैंकर और छोटी गाड़ियां रवाना की गई। करीब पांच घंटे की मशक्कत के बाद आग पर काबू पाया जा सका। कूड़ा निस्तारण प्लांट शिवरी में कई लाख मीट्रिक टन कचरा एकत्र है। आग लगने के बाद कई तरह के सवाल खड़े हो रहे हैं।

गंगा जी में डाल रहे कूड़ा
बता दें कि, सॉलिड वेस्ट मैनेजमेन्ट के तहत ईकोस्टन इण्डिया प्रा०लि० के खिलाफ भी कई शिकायतें की गईं हैं। इस कंपनी को कानपुर नगर निगम से डेढ़ वर्ष पूर्व कूड़े के निस्तारण का कार्य आवंटित हुआ था। लेकिन इस फर्म ने वेस्ट मैनेजमेंट का कार्य देख रहे इंजीनियर्स एवं स्टॉफ के साथ सांठगांठ करके नियमों की ठेंगा दिखाते हुए कूड़े को पवित्र गंगाजी में डाल दिया गया। यही नहीं अधिकारियों की मिलीभगत से करोड़ों रुपयों का पेमेंट भी उठा लिया गया। आज भी लिगेसी वेस्ट का प्रोसेसिंग का कार्य दे रखा है। इस कंपनी के द्वारा लखनऊ और प्रयागराज में भी अधिकारियों की मिलीभगत से भ्रष्टाचार किया गया है।

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