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यूपी पंचायत चुनाव 2021: लालू प्रसाद यादव की समधन की सीट हुई अनारक्षित, कायम रहेगी मुलायम परिवार की साख

जब चुनाव में सीटें आरक्षित की गई इसी दौरान सैफई जिला जो की समाजवादी पार्टी के मुखिया मुलायम सिंह यादव के परिवार का गढ़ रहा ​है। सैफई की सीट भी इसी क्रम में आरक्षित हो गयी। ये आरक्षित होने वाली सीट सैफई ब्लाक प्रमुख की थी। जहां से बिहार के पूर्व मुख्यमंत्री लालू प्रसाद यादव की समधन और पूर्व सांसद तेज प्रताप यादव की मां मृदुला यादव ब्लाक प्रमुख हैं। सीट आरक्षित होने की दशा में मुलायम परिवार में निराशा छा गयी थी क्योंकि वर्षो से अपने कब्जे में रहने वाली सीट हांथ से फिसलती नजर आ रही थी। लेकिन 2015 के तर्ज पर चुनाव कराने के फैसले से समाजवादी परिवार के चेहरे पर मुस्कान एक बाद फिर से लौट आई है।

By शिव मौर्या 
Updated Date

सैफई। कुछ दिन पहले ही यूपी पंचायत चुनाव 2021 के प्रत्याशियों के लिए सीटों की आरक्षित या अनारक्षित रहने वाली लिस्ट जारी की गई थी। जिसमें कई सीटों को आरक्षित कर दिया गया था जो सीटें कई सालों से आरक्षित नहीं हुई थी उन्हें आरक्षित करने का काम किया गया था। सरकार के इस फैसले से कई प्रत्याशियों की नींद उड़ गयी थी। लेकिन हाईकोर्ट में सीटों के आरक्षण के मुद्दे को लेकर एक याचिका डाली गई जिस पर उच्च न्यायालय के हस्तक्षेप के बाद रोक लगा दिया गया। उच्च न्यायालय ने फिर इसके बाद 2015 की सीटों के तर्ज पर चुनाव कराने का फैसला किया है।

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जब चुनाव में सीटें आरक्षित की गई इसी दौरान सैफई जिला जो की समाजवादी पार्टी के मुखिया मुलायम सिंह यादव के परिवार का गढ़ रहा ​है। सैफई की सीट भी इसी क्रम में आरक्षित हो गयी। ये आरक्षित होने वाली सीट सैफई ब्लाक प्रमुख की थी। जहां से बिहार के पूर्व मुख्यमंत्री लालू प्रसाद यादव की समधन और पूर्व सांसद तेज प्रताप यादव की मां मृदुला यादव ब्लाक प्रमुख हैं। सीट आरक्षित होने की दशा में मुलायम परिवार में निराशा छा गयी थी क्योंकि वर्षो से अपने कब्जे में रहने वाली सीट हांथ से फिसलती नजर आ रही थी।

लेकिन 2015 के तर्ज पर चुनाव कराने के फैसले से समाजवादी परिवार के चेहरे पर मुस्कान एक बाद फिर से लौट आई है। सैफई ब्लाक प्रमुख पद पर अब फिर से मुलायम परिवार की दावेदारी कायम रहेगी। ये पद 25 साल से लगातार मुलायम परिवार के पास ही रहा है।

बता दें कि 1995 में पहली बार सैफई को ब्लाक बनाया गया था। तब से लेकर अभी तक ये सीट कभी अनारक्षित तो पिछड़ी जाति के लिए आरक्षित रही है। 1995 में ओबीसी, 2000 में अनारक्षित, 2005 में फिर से ओबीसी, 2010 में फिर अनारक्षित और 2015 में ओबीसी महिला के लिए आरक्षित रही। इससे मुलायम परिवार को हर बार ही चुनाव में हिस्सा लेने का मौका मिलता रहा है और जीट भी मिली। अब फिर से सीट अनारक्षित हो गई है, इससे इस परिवार की दावेदारी ब्लाक प्रमुख पद पर बनी रहेगी।

 

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