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उप्र शासन-प्रशासन ‘हाथरस हादसे’ में छोटी-मोटी गिरफ़्तारियां दिखाकर अपनी ज़िम्मेदारी से पल्ला झाड़ना चाहता है: अखिलेश यादव

हाथरस में हुए दर्दनाक हादसे में 121 लोगों की जान चली गई है, जबकि बड़ी संख्या में लोग घायल हैं। घायलों का उपचार कराया जा रहा है। वहीं, इस घटना के बाद पुलिस ने एफआईआर दर्जकर कार्रवाई शुरू कर दी है। वहीं, अब सपा अध्यक्ष अखिलेश यादव ने पुलिस की कार्रवाई पर सवाल उठाया है। उन्होंने कहा कि, ये गिरफ़्तारियां स्वयं में एक षड्यंत्र हैं। इन गिरफ़्तारियों की तुरंत न्यायिक जांच हो, जिससे उप्र की भाजपा सरकार का खेल जनता के सामने लाया जा सके।

By शिव मौर्या 
Updated Date

लखनऊ। हाथरस में हुए दर्दनाक हादसे में 121 लोगों की जान चली गई है, जबकि बड़ी संख्या में लोग घायल हैं। घायलों का उपचार कराया जा रहा है। वहीं, इस घटना के बाद पुलिस ने एफआईआर दर्जकर कार्रवाई शुरू कर दी है। वहीं, अब सपा अध्यक्ष अखिलेश यादव ने पुलिस की कार्रवाई पर सवाल उठाया है। उन्होंने कहा कि, ये गिरफ़्तारियां स्वयं में एक षड्यंत्र हैं। इन गिरफ़्तारियों की तुरंत न्यायिक जांच हो, जिससे उप्र की भाजपा सरकार का खेल जनता के सामने लाया जा सके।

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दरअसल, मैनपुरी के ग्राम भानपुर, नौगांव निवासी अंकित यादव ने सपा अध्यक्ष अखिलेश यादव को एक पत्र लिखा है। इसमें उन्होंने बताया कि उनके पिता को पुलिस ने ​गिरफ्तार किया है, जबकि वो घटना के दिन आयोजन स्थल से करीब दो किलोमीटर दूर थे। इस पत्र को शेयर करते हुए अखिलेश यादव ने ​एक्स पर लिखा कि, उप्र शासन-प्रशासन ‘हाथरस हादसे’ में अपनी नाकामी छुपाने के लिए, छोटी-मोटी गिरफ़्तारियां दिखाकर सैकड़ों लोगों की मौत से अपनी ज़िम्मेदारी का पल्ला झाड़ना चाहता है। अगर ऐसा हुआ तो इसका मतलब ये निकलेगा कि इस तरह के आयोजन में हुई शासनिक-प्रशासनिक विफलता से किसी ने कोई सबक़ नहीं लिया और ऐसी दुर्घटनाएं भविष्य में भी दोहरायी जाती रहेंगी।

उन्होंने आगे लिखा कि, शासन-प्रशासन किसी ख़ास मंशा से व्यर्थ में ऐसे लोगों को गिरफ़्तार कर रहा है, जो मूल आयोजन स्थल से दूर थे और गिरफ़्तारी के बाद उनको ही दोषी ठहराये जाने की तैयारी कर रहा है। ये गिरफ़्तारियां स्वयं में एक षड्यंत्र हैं। इन गिरफ़्तारियों की तुरंत न्यायिक जांच हो, जिससे उप्र की भाजपा सरकार का खेल जनता के सामने लाया जा सके।

अगर भाजपा सरकार ये कहती है कि ऐसे आयोजन से उसका कोई लेना-देना नहीं था, तो फिर भाजपा सरकार को सत्ता में रहने का कोई हक़ नहीं। इस कार्यक्रम में आये अधिकांश ग़रीब लोग दुखी, शोषित, पीड़ित, वंचित, दमित थे, इस आधार पर इसका मतलब तो ये भी निकलता है कि ऐसे लोगों से भाजपा सरकार का कोई सरोकार नहीं है। जबकि सबसे पहले सरकार का ध्यान ऐसे लोगों की तरफ़ ही जाना चाहिए।

 

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