कोरोना काल के दौरान सरकार पर विपक्ष आंकड़ों में गड़बड़ी करने का लगातार आरोप लगा रहा है। फिर चाहे वह मौत के आंकड़े हो या कोरोना संक्रमितों की संख्या को लेकर। हालांकि सरकार किसी भी गड़बड़ी से विपक्ष के आरोपों को इनकार करती रही है, लेकिन कोई न कोई मामाला ऐसा सामने आ ही जाता है, जो सरकारी दावों की पोल खोल देता है।
नई दिल्ली। कोरोना काल के दौरान सरकार पर विपक्ष आंकड़ों में गड़बड़ी करने का लगातार आरोप लगा रहा है। फिर चाहे वह मौत के आंकड़े हो या कोरोना संक्रमितों की संख्या को लेकर। हालांकि सरकार किसी भी गड़बड़ी से विपक्ष के आरोपों को इनकार करती रही है, लेकिन कोई न कोई मामाला ऐसा सामने आ ही जाता है, जो सरकारी दावों की पोल खोल देता है। हाल के दिनों में लोगों तक जल्द से जल्द कोरोना वैक्सीन पहुंचाने की कवायद की जा रही है। लेकिन इस कवायद के बीच सरकारी सिस्टम की पोल खुल रही है।
गुजरात के उपलेटा में कागजी कार्रवाई पूरा करने के चक्कर में एक मृत व्यक्ति को भी कोरोना वैक्सीन की डोज लगाने का मामला सामने आया है। सरकार के निर्देशों के मुताबिक कोरोना से बचाव के लिए जीवित लोगों को वैक्सीन लगाने की बात कही गई है, लेकिन सरकारी अधिकारियों की लगन तो देखिए वह मृत लोगों तक भी कोरोना वैक्सीन पहुंचाने में कोर कसर नहीं छोड़ रहे हैं।
जानें क्या है मामला?
गुजरात के उपलेटा में रहने वाले हरदास कंरगिया की मौत 2018 में ही हो गई थी। उनके एक रिश्तेदार ने इस बात की पुष्टि करते हुए कहा कि 2018 में ही वह अपने मृतक चाचा का मृत्यु प्रमाण पत्र भी ले आए थे। हरदार कंरगिया के भतीजे अरंविद कंरगिया को ये समझ नहीं आ रहा है कि 2018 में स्वर्ग सिधार गए उनके चाचा को 2021 में कोरोना से बचाव के लिए वैक्सीन कैसे लगा दी गई?
कोरोना वैक्सीन की पहली खुराक दी गई और उनका सर्टिफिकेट भी दिया
परिवार वालों को इस बात की भनक तब लगी जब मोबाइल पर मैसेज आया कि मृतक हरदासभाई करंगिया को वैक्सीन मिल चुकी है। मैसेज के मुताबिक हरदासभाई को 3 मई 2021 को कोरोना वैक्सीन की पहली खुराक दी गई और उनका सर्टिफिकेट भी दिया गया।
यह गुजरात के उपलेटा में हरदासभाई का अकेला मामला नहीं है। ऐसा ही मामला दाहोद से भी सामने आया है। जिसमें रिश्तेदार के मोबाइल पर मैसेज आया कि उनके पिता का कोरोना वैक्सीनेशन हो चुका है। जबकि उनके पिता की मौत 10 साल पहले 93 साल की उम्र में 2011 में ही हो गई थी। ठीक ऐसा ही मामला इसी दाहोद के लीमडी में सामने आया। जहां 72 साल की महिला मधुबेन शर्मा को 2-3-2021 को वैक्सीन की पहली डोज दी गई थी। जबकि उनकी मौत किसी दूसरी वजह से 14 अप्रैल 2021 को हुई थी। उनके बटे को डेढ़ महीने बाद मैसेज आया की उनकी मां का वैक्सीनेशन की दूसरी डोज पूरी हो चुकी है।
इस लापरवाही कहें या घोटाला?
ऐसे में गंभीर सवाल यह है कि यह केवल सरकारी लापरवाही का मामला है या मृतक के नाम पर वैक्सीन कहीं और दी जा रही है। कहीं ये घटनाएं वैक्सीन घोटाले की तरफ तो इशारा नहीं करती? इस मामले को लेकर परिवार वालों ने वैक्सीनेशन सेंटर पर खूब हंगामा किया। परिवार ने इस मामले में पुलिस जांच की मांग की तो जिला हेल्थ अधिकारी ने इस मामले में जांच के आदेश दिए। इस मामले के सामने आते ही सरकारी बाबुओं के पैरों तले जमीन खिसक गयी है। गुजरात में अब तक मृत व्यक्तियों को वैक्सीन लगाए जाने के 10 से अधिक मामले सामने आ चुके हैं।