सावन मास को शिव मास भी कहा जाता है। इस पूरे माह में भगवान शिव और उनके परिवार की विशेष पूजा अर्चना की जाती है। इस माह में लोग मंदिरों में जाकर भगवान भोलेनाथ का अभिषेक करते है।
Vastu Tips : सावन मास को शिव मास भी कहा जाता है। इस पूरे माह में भगवान शिव और उनके परिवार की विशेष पूजा अर्चना की जाती है। इस माह में लोग मंदिरों में जाकर भगवान भोलेनाथ का अभिषेक करते है। अधिक व्यस्त होने की वजह से कुछ लोग रोज मंदिर नहीं जा पाते है। ऐसी परिस्थिति में लोग घर के मंदिर में ही भगवान शिव की सेवा पूजा करते है। वास्तु के अनुसार, घर में मंदिर के कुछ नियम है। वास्तु के इन नियमों का पालन करने से घर में सुख शांति का वातावरण बना रहता है। मंदिर एक पवित्र स्थल है। घर के मंदिर की शुद्धता और पवित्रता बनाये रखने के लिए कुछ आवश्यक बातें जानना जरूरी है। आइये जानते है वास्तु के अनुसार, घर के मंदिर की शुद्धता बनाए रखने के लिए आवश्यक नियम क्या है।
घर में पूजा स्थल हमेशा उत्तर-पूर्व (ईशान) दिशा में बनाना चाहिए क्योंकि ईशान कोण शुभ प्रभावों से युक्त होता है। घर के मंदिर की ऊंचाई उसकी चौड़ाई से दुगुनी होनी चाहिए। घर के भीतर पूजा घर बनवाते समय हमेशा इस बात का ख्याल रखें कि इसके नीचे या ऊपर या फिर अगल-बगल शौचालय नहीं होना चाहिए।
1.घर के पूजा स्थल में खंडित या टूटी-फूटी भगवान की मूर्ति नहीं रखना चाहिए। इसे नकारात्मकता फैलाने वाला माना जाता है।
2.मंदिर में सुबह के समय चढ़ाए गए फूल रात होने से पहले हटा देने चाहिए।
3.पुराने या सूखे हुए फूल भी भगवान के मंदिर में रखना अशुभ माना जाता है।
4.पूजा स्थल समतल जमीन से कम से कम 2 इंच ऊपर।
5.एल्यूमिनियम या कांच के बर्तन में पानी भरकर मंदिर में रखना अशुभ माना जाता है।
6.पूजा स्थल के आसपास या पूजा घर में कूड़ादान नहीं रखना चाहिए।