ग्रह मंडल में सुख के कारक देवता शुक्र ग्रह जीवन के सभी भैतिक सुख सुविधा के कारक ग्रह माने गए है। जातक की कुडली में शुक्र देव का स्थान शुभ माना गया है।
Venus In Astrology : ग्रह मंडल में सुख के कारक देवता शुक्र ग्रह जीवन के सभी भैतिक सुख सुविधा के कारक ग्रह माने गए है। जातक की कुडली में शुक्र देव का स्थान शुभ माना गया है। यदि जातक की कुंड़ली में शुक्र देव सही स्थान पर विराजमान है तो जातक वैवाहिक सुख, भोग-विलास, शौहरत, कला, प्रतिभा, सौन्दर्य, रोमांस, काम-वासना और सारे प्रकार के डिजाइनिंग आदि का कारक का सुख प्राप्त करेगा। यदि जातक की कुंडली में शुक्र उचित स्थान विराज माना नहीं है तो जातक इन सारे भौति सुखों से वचिंत रह जाएगा। संसार के सभी प्रकार के सुख कारक ग्रह शुक्र है.
शुक्र देव की स्वयं की दो राशियाँ है।, वृषभ और तुला राशि, तथा मीन राशि शुक्र की उच्चतम राशि है। कन्या राशि शुक्र की नीच राशि मानी गयी है। शुक्र 27 नक्षत्रों में से भरणी, पूर्वा फाल्गुनी और पूर्वाषाढ़ा नक्षत्रों का स्वामि है। शुक्र बुध का मित्र तथा शनि परम मित्र ग्रह है। सूर्य और चन्द्रमा शुक्र के शत्रु माने जाते है।
जातक की कुंडली में शुक्र का प्रभाव होने से वह कला जगत में उन्न्ति करता है। ऐसा जातक चित्रकार, गायक, नर्तक, कलाकार, अभिनेता आदि बनता है।
शुक्र का वैदिक मंत्र
ॐ अन्नात्परिस्त्रुतो रसं ब्रह्मणा व्यपिबत् क्षत्रं पय: सोमं प्रजापति:।
ऋतेन सत्यमिन्द्रियं विपानं शुक्रमन्धस इन्द्रस्येन्द्रियमिदं पयोऽमृतं मधु।।
शुक्र का तांत्रिक मंत्र
ॐ शुं शुक्राय नमः
शुक्र का बीज मंत्र
ॐ द्रां द्रीं द्रौं सः शुक्राय नमः
शुक्र का रत्न – हीरा
रुद्राक्ष – छः मुखी रुद्राक्ष
शुक्र का रंग – गुलाबी
शुक्र का यंत्र – शुक्र यंत्र