डॉ. अम्बेडकर विश्वविद्यालय आगरा में परीक्षा संचालन की जिम्मेदारी देने के आरोपी कमीशन खोर सीएसजेएमयू कानपुर के कुलपति विनय पाठक पर आखिरकार गुरुवार को भ्रष्टाचार की धाराएं भी बढ़ाने में सफल हो पाई है। अब यह सवाल उठना लाजिमी है कि इस हाईप्रोफाइल भ्रष्टाचार के मामले में कमीशन खोर कुलपति विनय पाठक को यूपी पुलिस पूछताछ के कब तक हिम्मत जुटा पाएगी। जबकि इलाहाबाद हाईकोर्ट बीते 15 नवंबर को उनकी जमानत याचिका खारिज कर चुका है।
लखनऊ। डॉ. अम्बेडकर विश्वविद्यालय आगरा में परीक्षा संचालन की जिम्मेदारी देने के आरोपी कमीशन खोर सीएसजेएमयू कानपुर के कुलपति विनय पाठक पर आखिरकार गुरुवार को भ्रष्टाचार की धाराएं भी बढ़ाने में सफल हो पाई है। अब यह सवाल उठना लाजिमी है कि इस हाईप्रोफाइल भ्रष्टाचार के मामले में कमीशन खोर कुलपति विनय पाठक को यूपी पुलिस पूछताछ के कब तक हिम्मत जुटा पाएगी। जबकि इलाहाबाद हाईकोर्ट बीते 15 नवंबर को उनकी जमानत याचिका खारिज कर चुका है।
बता दें कि विनय पाठक और उनके करीबी अजय मिश्र पर 26 अक्तूबर को इंदिरानगर कोतवाली में डेविड मारियो ने केस दर्ज कराया था। इसमें अजय मिश्र, पाठक का कमीशन मैनेज करने के लिये फर्जी ई- वे बिल लगाने का आरोपी अजय जैन इस समय जेल में है। जैन की गिरफ्तारी के बाद अजय मिश्र और पाठक पर धोखाधड़ी, साजिश रचने और गुरुवार भ्रष्टाचार की धाराएं बढ़ाकर अपनी मजबूरी को ही उजागर कर रही है।
कुलपति के कमीशन को मैनेज करने के लियेकई फर्जी बिल और ई-वे बिल हुए जारी
एसटीएफ ने बीते छह नवम्बर को जैसे अजय जैन को गिरफ्तार किया, तो उसके बाद हुए खुलासे ने पाठक की मुसीबत बढ़ा दी थी। पहले धोखाधड़ी की धारायें इसलिये बढ़ी कि कमीशन मैनेज करने के लिये गुरुग्राम निवासी अजय जैन ने फर्जी ई-वे बिल लगा दिये थे। तब पूछताछ में सामने आया कि अजय जैन की फर्म रजिस्टर्ड थी, लेकिन उन्होंने भ्रष्टाचार के रुपयों का लेन-देन कम्पनी के जरिये फर्जी तरीके से दिखाया। पूछताछ के दौरान अजय मिश्र ने कुबूला था कि कुलपति विनय पाठक के कमीशन के रुपयों को मैनेज करने के लिये ही कई फर्जी बिल और ई-वे बिल जारी किये थे। इस मामले में अजय जैन को साजिश रचने का आरोपित बनाया गया था।
आगरा विश्वविद्यालय में भ्रष्टाचार की गवाही दे रहा है 44 करोड़ रुपये से बना संस्कृति भवन,10 महीने में टूटने लगी टाइल्स
आगरा। डॉ. भीमराव आंबेडकर विश्वविद्यालय आगरा में करोड़ों के निर्माण में किस कदर भ्रष्टाचार हुआ है। इसकी गवाही 44 करोड़ रुपये से बना संस्कृति भवन दे रहा है। उद्घाटन के महज 10 महीने में इसकी टाइल्ट टूटने लगी हैं। फॉल्स सीलिंग जगह-जगह से गिर गई है। दीवार और कमरों का प्लास्टर भी झड़ रहा है।
बता दें कि डॉ. अम्बेडकर विश्वविद्यालय आगरा के पूर्व कुलपति डॉ. अरविंद दीक्षित के कार्यकाल में 2017-18 में बाग फरजाना स्थित ललित कला संकाय की पुरानी इमारत को तोड़कर संस्कृति भवन का निर्माण किया गया था। 2020-21 में इसका निर्माण पूरा हुआ और 2022 में प्रभारी कुलपति रहे विनय पाठक ने इसका शुभारंभ कराया। 10 महीने में ही पांच मंजिला इमारत के कक्षों की दीवार और फर्श की टाइल्स टूट रही हैं। फर्श भी चटक रहा है, गैलरी और कंप्यूटर लैब समेत अन्य कक्षों की सीलिंग भी गिर गई है। इससे यहां पढ़ रहे छात्रों को भी खतरा है। दीवार और कक्षों के प्लास्टर भी झड़ रहा है।
चार करोड़ के हेल्थ सेंटर नहीं नजर आ रहा है धरातल पर
संस्कृति भवन में चार करोड़ रुपये की लागत से कर्मचारियों के लिए हेल्थ वेलनेस सेंटर प्रस्तावित था। इसका बिल दर्शा दिया, लेकिन कर्मचारियों के लिए सेंटर का पता नहीं है। ये राष्ट्रीय उच्चतर शिक्षा अभियान के तहत खर्च दिखाया है। संस्कृति भवन के लिए फर्नीचर की खरीद में भी घोटाले की शिकायत हुई है। इसकी जांच भी एसटीएफ कर रही है। यहां करीब पांच करोड़ रुपये के कुर्सी, मेज, अलमारी, रैक समेत अन्य फर्नीचर की खरीद हुई। इसमें मनमानी कीमत के बिल लगाकर धांधली की।
एसटीएफ कर रही जांच
कुलपति प्रोफेसर आशु रानी ने कहा कि संस्कृति भवन का निर्माण उनके कार्यकाल से पूर्व हुआ है। इसमें भ्रष्टाचार की शिकायतों पर इमारत की आंतरिक ऑडिट हो रही है। इसके लिए समिति की बैठक भी हुई है। वैसे इस मामले की जांच एसटीएफ कर रही है।
भ्रष्टाचार के खेल में आगरा विवि के कुछ प्रोफेसर भी थे शामिल
विश्वविद्यालय शिक्षणेत्तर कर्मचारी संघ के अध्यक्ष अखिलेश चौधरी ने आरोप लगाया कि संस्कृति भवन में पूर्व कुलपति डॉ. अरविंद दीक्षित और प्रो. विनय पाठक के कार्यकाल में भ्रष्टाचार हुआ। इसमें कुछ प्रोफेसर भी शामिल हैं। इसमें भ्रष्टाचार के खिलाफ कर्मचारी संघ ने विरोध भी किया था।