केंद्र की मोदी सरकार 24 जून को जम्मू-कश्मीर की सभी क्षेत्रीय पार्टियों से बातचीत करेगी। इसके पीछे केंद्र शासित प्रदेश में विधानसभा चुनाव कराने सहित राजनीतिक प्रक्रियाओं को बढ़ावा देने की पहल के तहत उठा रही है। बताया जा रहा है कि केंद्रीय नेतृत्व इस बातचीत के लिए नेशनल कॉन्फ्रेंस के प्रमुख फारूक अब्दुल्ला, पीडीपी प्रमुख महबूबा मुफ्ती, जम्मू-कश्मीर अपनी पार्टी के अल्ताफ बुखारी, पीपुल्स कॉन्फ्रेंस के मुखिया सज्जाद लोन को भी बुला सकता है।
नई दिल्ली। केंद्र की मोदी सरकार 24 जून को जम्मू-कश्मीर की सभी क्षेत्रीय पार्टियों से बातचीत करेगी। इसके पीछे केंद्र शासित प्रदेश में विधानसभा चुनाव कराने सहित राजनीतिक प्रक्रियाओं को बढ़ावा देने की पहल के तहत उठा रही है। बताया जा रहा है कि केंद्रीय नेतृत्व इस बातचीत के लिए नेशनल कॉन्फ्रेंस के प्रमुख फारूक अब्दुल्ला, पीडीपी प्रमुख महबूबा मुफ्ती, जम्मू-कश्मीर अपनी पार्टी के अल्ताफ बुखारी, पीपुल्स कॉन्फ्रेंस के मुखिया सज्जाद लोन को भी बुला सकता है।
इसे जम्मू और कश्मीर के केंद्रशासित प्रदेश में चुनावी लोकतंत्र की पूर्ण बहाली की दिशा में पहला बड़ा कदम माना जा रहा है। आर्टिकल 370 और 35A के निरस्त होने की दूसरी वर्षगांठ से कुछ हफ्ते पहले होने वाली इस बैठक को नई दिल्ली द्वारा केंद्रशासित प्रदेश में क्षेत्रीय राजनीतिक दलों के लिए बढ़ाया गया एक कदम माना जा रहा है।
दरअसल जम्मू-कश्मीर के लोग और राजनीतिक पार्टियां लंबे समय से राज्य को लेकर केंद्र सरकार के रोडमैप का इंतजार कर रहे थे। बता दें कि केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह ने शुक्रवार को जम्मू-कश्मीर में विकास कार्यों और सुरक्षा संबंधी स्थिति की समीक्षा के लिए जम्मू-कश्मीर के उपराज्यपाल मनोज सिन्हा और शीर्ष नौकरशाहों के साथ बैठक की थी।
इस बैठक में एनएसए अजीत डोभाल और केंद्रीय गृह सचिव अजय भल्ला भी मौजूद थे। गृहमंत्री के साथ हुई इस उच्च स्तरीय बैठक को एक ऐसी राजनीतिक प्रक्रिया के रूप में देखा जा रहा है, जिस पर पिछले कई महीनों से काम चल रहा है और बहुत जल्द ये सामने आ सकता है। दो सप्ताह से भी कम समय में यह दूसरी बार है जब जम्मू-कश्मीर के उपराज्यपाल मनोज सिन्हा नई दिल्ली पहुंचे हैं।