नई दिल्ली: WHATSAPP की नई पॉलिसी के चलते कई जगह इसका बायकॉट किया जा रहा है। साथ ही साथ कई लोग इससे छुटकारा पाना चाहतें हैं। दरअसल, उपभोक्ता के लिए प्रस्तावित नई प्राइवेसी पॉलिसी को लेकर वाट्सएप गवर्नमेंट से वार्तालाप के लिए तैयार है लेकिन वाट्सएप फिलहाल अपनी प्राइवेसी पॉलिसी को वापस लेने के पक्ष में नहीं है।
वाट्सएप से मिली जानकारी के अनुसार भारत में डाटा प्रोटेक्शन को लेकर कोई कानून नहीं होने से भी उन्हें हिन्दुस्तान के लिए प्राइवेसी पॉलिसी या डाटा प्रोटेक्शन के मानक तय करने में मुश्किल हो रही है। वाट्सएप की प्रस्तावित पॉलिसी आगामी 8 फरवरी से लागू होने वाली थी जिसे आगामी 15 मई तक के लिए टाला जा चुका है।
मीडिया रिपोर्ट्स के अनुसार यूरोप और हिन्दुस्तान के उपभोक्ता के लिए अलग-अलग प्राइवेसी पॉलिसी के बारे में कंपनी सूत्रों का बोला है कि यूरोप में जनरल डाटा प्रोटेक्शन रेगुलेशन (GDPR) है। इसलिए किसी भी नीति या मानक को तय करने के दौरान उस रेगुलेशन का ध्यान दिया जाता है लेकिन हिन्दुस्तान में अब तक कोई डाटा प्रोटेक्शन कानून ही नहीं बना है। ऐसे में नीति बनाते समय किसका ध्यान रखा जाए और किसका नहीं, यह तय करना परेशानी से कम नहीं है।
जंहा इस बात का पता चला है कि दिसंबर 2019 में गवर्नमेंट ने निजी डाटा सुरक्षा बिल को संसद में पेश किया जा चुका था लेकिन अब तक उसे कानून का रूप नहीं दिया गया है। जहां इलेक्ट्रॉनिक्स व आइटी मंत्रालय ने वाट्सएप को अपनी प्रस्तावित प्राइवेसी पॉलिसी को वापस लेने के लिए बोला जा चुका है। मंत्रालय ने वाट्सएप से 14 प्रश्नों का जवाब भी मांगा है लेकिन मंत्रालय की तरफ से जवाब देने की कोई समय सीमा निर्धारित नहीं की गई है।
वहीँ इस बात का पता चला है कि इन प्रश्नों में एक सवाल यह भी है कि वाट्सएप की प्राइवेसी पॉलिसी यूरोप और हिंदुस्तान के लिए अलग-अलग क्यों है। जानकारी के मुताबिक यूरोप में डाटा सुरक्षा कानून के उल्लंघन पर कंपनियों पर भारी जुर्माने लगाए जा रहे हैं और डाटा सुरक्षा कानून के पालन में काफी सख्ती बरती जाती है लेकिन भारत में कानून ही नहीं बना है।