इन दिनों फिल्म पद्मावती को लेकर विवाद और चर्चाएं जोरों पर है। इसके साथ ही रानी पद्मावती और दिल्ली के सुल्तान अलाउद्दीन खिलजी के इतिहास को जानने के लिए लोगों के मन में उत्सुकता भी बढ़ रही है। रानी पद्मावती (Rani Padmavati) और अलाउद्दीन खिलजी (Alauddin Khilji) से जुड़े इतिहास को वैसे तो अधिकांश लोग जानते हैं लेकिन आज हम इससे परे अलाउद्दीन खिलजी (Alauddin Khilji) की बेटी और एक हिंदू राजकुमार की प्रेम कहानी (love story of hindu prince) के बारे में बताने जा रहे हैं
नई दिल्ली: इन दिनों फिल्म पद्मावती को लेकर विवाद और चर्चाएं जोरों पर है। इसके साथ ही रानी पद्मावती और दिल्ली के सुल्तान अलाउद्दीन खिलजी के इतिहास को जानने के लिए लोगों के मन में उत्सुकता भी बढ़ रही है।
रानी पद्मावती (Rani Padmavati) और अलाउद्दीन खिलजी (Alauddin Khilji) से जुड़े इतिहास को वैसे तो अधिकांश लोग जानते हैं लेकिन आज हम इससे परे अलाउद्दीन खिलजी (Alauddin Khilji) की बेटी और एक हिंदू राजकुमार की प्रेम कहानी (love story of hindu prince) के बारे में बताने जा रहे हैं, इस लेख के जरिए हम आपको बताएंगे कि कैसे एक हिंदू राजकुमार की खातिर अलाउद्दीन खिलजी की बेटी फिरोजा ने अपनी जान दे दी थी।
इतिहास की कुछ किताबों में अलाउद्दीन खिलजी की बेटी फिरोजा और हिंदू राजकुमार वीरमदेव की प्रेम कहानी का जिक्र मिलता है। बताया जाता है कि जब अलाउद्दीन खिलजी की सेना गुजरात के सोमनाथ मंदिर (Somnath Temple) को खंडित करने के बाद शिवलिंग को लेकर दिल्ली लौट रही थी तभी जालौर के शासक कान्हड़ देव चौहान (Kanhad Dev Chauhan) ने शिवलिंग को पाने के लिए मुगलों की सेना पर हमला कर दिया था।
इस हमले में अलाउद्दीन की सेना को हार का सामना करना पड़ा औरअपनी जीत के बाद कान्हड़ देव (Kanhad Dev Chauhan) ने उस शिवलिंग को जालौर में स्थापित करवा दिया। बताया जाता है कि जब अलाउद्दीन को अपनी सेना की हार का पता चला तब उसने इस युद्ध के मुख्य योद्धा और कान्हड़ देव चौहान (Kanhad Dev Chauhan) के बेटे वीरमदेव (Veeramdev) को दिल्ली बुलाया। मान्यताओं के अनुसार कहा जाता है कि दिल्ली पहुंचने के बाद अलाउद्दीन खिलजी (Alauddin Khilji) की बेटी फिरोजा की नजर राजकुमार वीरमदेव पर पड़ी और उसे पहली नजर में ही राजकुमार से प्यार हो गया।
फिरोजा ने अपने पिता खिलजी से कहा कि वो राजकुमार से प्रेम करती है और उससे शादी करना चाहती है। आखिरकार अपनी बेटी के इस जिद के आगे अलाउद्दीन हार गया और उसने अपनी बेटी के रिश्ते का प्रस्ताव वीरमदेव (Veeramdev) के सामने रखा। जसके बाद वीरमदेव (Veeramdev) ने वक्त की नजाकत समझते हुए इस रिश्ते पर विचार करने के लिए कहा, लेकिन जालौर लौटने पर इस रिश्ते के लिए मना कर दिया।
जब वीरमदेव ने अलाउद्दीन की बेटी से रिश्ते का प्रस्ताव ठुकरा दिया तब गुस्से में आकर अलाउद्दीन ने अपनी सेना के साथ जालौर पर हमला कर दिया। खिलजी वीरमदेव (Veeramdev) को बंदी बनाकर रखना चाहता था उधर उसकी बेटी वीरमदेव के प्यार को पाने के लिए दिन-रात तड़प रही थी। अलाउद्दीन ने एक बड़ी फौज तैयार करके जालौर भेजा और उसकी सेना से लड़ते हुए वीरमदेव वीरगति को प्राप्त हुए। वीरमदेव की मौत (Veeramdev’s death) की खबर सुनकर फिरोजा अंदर से बिल्कुल टूट सी गई और उसने यमुना नदी में कूदकर अपनी जान दे दी।