ठंड के मौसम में गरमागरम रज़ाई में घुसकर नींद लेने में काफी मज़ा आता है। जैसे ही धीरे धीरे तापमान में गिरावट आनी शुरू होती है, हम सभी का मन घर में बंद होकर नींद लेने का करने लगता है। सर्दियों में धूप भी कम निकलती है
ठंड के मौसम में गरमागरम रज़ाई में घुसकर नींद लेने में काफी मज़ा आता है। जैसे ही धीरे धीरे तापमान में गिरावट आनी शुरू होती है, हम सभी का मन घर में बंद होकर नींद लेने का करने लगता है। सर्दियों में धूप भी कम निकलती है, जिसकी वजह से हम बाहर जाने की जगह घर में ही हीटर के आगे बैठकर चाय या फिर कॉफी पीना पसंद करते हैं।
हालांकि, ऐसा सिर्फ आपके साथ ही नहीं होता, बल्कि सर्दी में हम सभी आलसी हो जाते हैं, और खूब नींद भी आती है। सर्दी का मौसम हमारे सर्कडियन लय को प्रभावित करता है।
सर्दी के मौसम में क्यों आती है ज़्यादा नींद?
सर्कडियन स्लीप साइकल हमारे शरीर की प्रोग्रामिंग है, जो हमें यह बताती है कि हमें कब सोना है और कब उठना है। आमतौर पर मनुष्य तब सोते हैं जब अंधेरा हो जाता है और धूप नहीं निकलती, वहीं मनुष्य सुबह के समय एक्टिव होते हैं।
अंधेरा स्लीप हॉर्मोन, मेलाटोनिन के उत्पादन को बढ़ावा देता है, जो हमारी नींद को नियंत्रित करने में मदद करता है। वहीं, रोशनी इस प्रोसेस को धीमा करती है। हालांकि, सर्दी के मौसम में दिन छोटे होते हैं, सेरोटोनिन हॉर्मोन का स्तर कम हो जाता है, जिससे घबराहट और अवसाद बढ़ता है। इसी वजह से हमारा शरीर धीमा पड़ने लगता है।
मेलाटोनिन हमारी आंखों में मौजूद फोटोरिसेप्टर सेल्स के मुताबिक काम करता है। जैसे ही यह हमारे दिमाग तक पहुंचती है तो रोशनी कम होने लगती है, मेलोटोनिन का स्तर बढ़ता है और हमें नींद आने लगती है।
सर्दी में आलस से कैसे छुटकारा पाए ?
मेडिकल सर्किल के मुताबिक, हम अपने दिमाग को कई तरह से नियंत्रित कर सकते हैं। जिसकी मदद से आप सर्दियों में होने वाले आलस से भी बच सकते हैं: