जब महाभारत युद्ध होने का निश्चय किया गया तो युद्ध करने के लिए जगह की तलाश की जाने लगी। श्रीकृष्ण जी बढ़ी हुई असुरता से ग्रसित व्यक्तियों को उस युद्ध के द्वारा नष्ट कराना चाहते थे।
नई दिल्ली: महाभारत का युद्ध कुरुक्षेत्र में लड़ा गया था, ये बात हर किसी को पता है। लेकिन शायद ही कोई ये बात जनता होगा कि ये युद्धकुरुक्षेत्र में ही क्यों लड़ा गया था। दरअसल, यहां पर युद्ध लड़े जाने का फैसला श्रीकृष्ण का था। लेकिन उन्होंने आखिर कुरुक्षेत्र को ही महाभारत के युद्ध के लिए क्यों चुना इसके पीछे की पौराणिक कथा हम आपको यहां बता रहे हैं।
आपको बता दें, जब महाभारत युद्ध होने का निश्चय किया गया तो युद्ध करने के लिए जगह की तलाश की जाने लगी। श्रीकृष्ण जी बढ़ी हुई असुरता से ग्रसित व्यक्तियों को उस युद्ध के द्वारा नष्ट कराना चाहते थे। पर यह डर था कि यह युद्ध भाई-भाइयों का, गुरु शिष्य का, सम्बन्धी कुटुम्बियों का युद्ध था। कहीं ऐसा न हो जाए कि एक-दूसरे को मरता देख संधि न कर बैठें।
इसलिए उन्हें ऐसी भूमि चाहिए थी जहां पर क्रोध और द्वेष के संस्कार पर्याप्त मात्रा में हों। इसके लिए श्रीकृष्ण ने अपने कई दूत, अलग-अलग दिशाओं में भेज दिए और कहां कि वो वहां की घटनाओं का वर्णन उन्हें आकर करे। एक दूत आया और उसने कहा कि एक जगह बड़े भाई ने छोटे भाई को खेत की मेंड़ से बहते हुए वर्षा के पानी को रोकने के लिए कहा।
लेकिन उसने साफ मना करते हुए कहा कि तू ही क्यों न बन्द कर आवे? मैं कोई तेरा गुलाम हूं। यह सुन बड़ा भाई क्रोधित हो गया। उसने छोटे भाई पर छूरे से वार किया। फिर उसकी लाश को पैर पकड़कर घसीटता हुआ उसी मेंड़ के पास ले गया जहां से पानी बह रहा था। वहां, उसने अपने भाई की लाश को पैर से कुचला और लगा दिया इस नृशंसता को सुन श्रीकृष्ण ने सोच लिया कि यह जगह युद्ध के लिए एकदम सही है। यहां पहुंचने पर जो प्रभाव मन पर पड़ेगा उससे किसी के भी मन में सन्धि चर्चा नहीं आएगी। वह स्थान था कुरुक्षेत्र। इसी जगह युद्ध रचा गया।