संसद का शीतकालीन सत्र (Winter Session of Parliament) 29 नवंबर से 23 दिसंबर तक चलेगा। समाचार एजेंसी पीटीआई ने बताया था कि संसद का शीतकालीन सत्र नवंबर के चौथे सप्ताह से शुरू होने की संभावना है। इस दौरान कोविड-19 प्रोटोकाल (Covid-19 protocol) का सख्ती से पालन किया जाएगा। बताया गया कि सत्र क्रिसमस से पहले समाप्त हो जाएगा और इस दौरान लगभग 20 सत्र आयोजित होने की संभावना है।
नई दिल्ली। संसद का शीतकालीन सत्र (Winter Session of Parliament) 29 नवंबर से 23 दिसंबर तक चलेगा। समाचार एजेंसी पीटीआई ने बताया था कि संसद का शीतकालीन सत्र नवंबर के चौथे सप्ताह से शुरू होने की संभावना है। इस दौरान कोविड-19 प्रोटोकाल (Covid-19 protocol) का सख्ती से पालन किया जाएगा। बताया गया कि सत्र क्रिसमस से पहले समाप्त हो जाएगा और इस दौरान लगभग 20 सत्र आयोजित होने की संभावना है।
शीतकालीन सत्र (Winter Session) महत्वपूर्ण है क्योंकि यह राजनीतिक रूप से महत्वपूर्ण उत्तर प्रदेश सहित पांच राज्यों में विधानसभा चुनाव से महीनों पहले आयोजित किया जा रहा है। महंगाई से संबंधित मुद्दों, ईंधन की कीमतों में वृद्धि, खाद्य तेल की कीमतों में वृद्धि, कश्मीर में नागरिकों पर हालिया हमलों और किसान समूहों द्वारा जारी विरोध प्रदर्शनों को विपक्ष द्वारा सरकार को घेरने के लिए उठाए जाने की संभावना है।
इस सत्र में केंद्र की नरेंद्र मोदी सरकार वित्तीय क्षेत्र से जुड़े दो महत्वपूर्ण विधेयक ला सकती है, जिनकी घोषणा सरकार ने बजट में की थी। इनमें से एक विधेयक सार्वजनिक क्षेत्र के बैंकों के निजीकरण को सुगमता से पूरा करने से संबंधित है। इसके अलावा सरकार राष्ट्रीय पेंशन प्रणाली न्यास (NPS) को पेंशन कोष नियामक एवं विकास प्राधिकरण (PFRDA ) से अलग करने के लिए पीएफआरडीए, अधिनियम, 2013 में संशोधन का विधेयक भी ला सकती है। इससे पेंशन का दायरा व्यापक हो सकेगा।
सूत्रों ने बताया कि संसद के आगामी शीतकालीन सत्र (Winter Session) में सरकार बैंकिंग नियमन अधिनियम, 1949 में संशोधन संबंधी विधेयक ला सकती है। इसके अलावा बैंकों के निजीकरण के लिए बैंकिंग कंपनीज (अधिग्रहण और उपक्रमों का स्थानांतरण) अधिनियम, 1970 और बैंकिंग कंपनीज (अधिग्रहण एवं उपक्रमों का स्थानांतरण) अधिनियम, 1980 में संशोधन करने की जरूरत होगी।
सूत्रों ने बताया कि इन कानूनों के जरिये दो चरणों में बैंकों का राष्ट्रीयकरण किया गया था। अब बैंकों के निजीकरण के लिए इन कानूनों के प्रावधानों में बदलाव करने की जरूरत होगी। 25 दिन तक चलने वाले संसद के इस शीतकालीन सत्र में अनुदान की अनुपूरक मांगों की दूसरी किस्त को भी रखा जाएगा। वित्त विधेयक के अलावा सरकार इसके जरिये अतिरिक्त खर्च कर सकती है।