अफगानिस्तान पर तालिबान के नियंत्रण के बाद वहां सड़कों पर महिलाओं द्वारा विरोध प्रदर्शन तेज हो गया है। विरोध की आवाज को दबाने के लिए तालिबान ने अत्याचारी रणनीति से प्रदर्शनों पर काबू पाने की कोशिश कर रहा है।
काबुल: अफगानिस्तान पर तालिबान के नियंत्रण के बाद वहां सड़कों पर महिलाओं द्वारा विरोध प्रदर्शन तेज हो गया है। विरोध की आवाज को दबाने के लिए तालिबान ने अत्याचारी रणनीति से प्रदर्शनों पर काबू पाने की कोशिश कर रहा है।अफगानिस्तान में तालिबानी शासन के खिलाफ महिलाओं का आंदोलन देश भर में फैलता जा रहा है। निहत्थी महिलाओं से हथियारबंद तालिबानी भी डर गए हैं जिसका अंदाजा इसी बात से लगाया जा सकता है कि महिलाओं के विरोध को दबाने के लिए काबुल में इंटरनेट सर्विस बंद कर दी गई है। और महिलाओं के आंदोलन-प्रदर्शन को कवर करने वाले पत्रकारों को बुरी तरह से पीटा जा रहा है।
तालिबान यह नहीं चाहता कि उसके जुल्म की तस्वीर पूरी दुनिया में चर्चा का विषय बने और उनका अत्याचारी चुीरा वेनकाब हो।इसी के तहत तालिबान के आंतरिक मंत्रलय द्वारा विरोध की शर्ते जारी की गई हैं, जिसके अनुसार प्रदर्शनकारियों को विरोध प्रदर्शन करने से पहले तालिबान न्याय मंत्रलय से पूर्व अनुमति लेनी होगी। इस बात की भी जानकारी देनी होगी कि आंदोलन के दौरान क्या-क्या नारे लगाए जाएंगे।
महिलाओं को लेकर तालिबान की पोल खुल गई है।पूरी दूनिया में तालिबान द्वारा लगायी गई पाबंदियों की कड़ी निंदा हो रही है। अफगानिस्तान में महिलाओं पर हो रहे जुल्म और अत्याचार पर पूरी दुनिया सन्न है।महिलाओं को लेकर तालिबान की सोच कितनी घटिया है इसका पता तालिबान के इसी बयान से लग जाता है कि ‘महिलाएं मंत्री नहीं बन सकती हैं, उन्हें केवल बच्चे पैदा करना चाहिए।’ महिलाओं को वहां खेलकूद से रोक दिया गया है और शिक्षा को लेकर भी इतनी बंदिशें लगा दी गई हैं कि वे प्राथमिक शिक्षा भी बमुश्किल हासिल कर सकती हैं।
अफगानिस्तान में बहुमत उदारवादी लोगों का ही है लेकिन तालिबान ने हथियारों के बल पर अपने क्रूरतापूर्ण कृत्यों से उन्हें आतंकित कर रखा है। उन्हें सत्ता में रहने का जितना ज्यादा समय मिलेगा, वे उतना ही देश को गर्त में ले जाएगें। इसलिए वहां की महिलाओं ने अपनी जान की परवाह न करते हुए शांतिपूर्ण विरोध प्रदर्शन का फैसला किया है।