जयराम रमेश (JaiRam Ramesh) ने ट्वीट कर लिखा कि, सबसे पहले राजीव गांधी ने 1989 के मई महीने में पंचायतों और नगर पालिकाओं में महिलाओं के एक तिहाई आरक्षण के लिए संविधान संशोधन विधेयक पेश किया। वह विधेयक लोकसभा में पारित हो गया था लेकिन सितंबर 1989 में राज्यसभा में पास नहीं हो सका।
नई दिल्ली। कांग्रेस ने संसद के विशेष सत्र के दौरान महिला आरक्षण विधेयक को पारित किए जाने की मांग को दोहराई है। इसको लेकर कांग्रेस महासचिव जयराम रमेश ने ट्वीट किया है। उन्होंने इस मुद्दे को लेकर कुछ तथ्य भी रखा है।
जयराम रमेश (JaiRam Ramesh) ने ट्वीट कर लिखा कि, सबसे पहले राजीव गांधी ने 1989 के मई महीने में पंचायतों और नगर पालिकाओं में महिलाओं के एक तिहाई आरक्षण के लिए संविधान संशोधन विधेयक पेश किया। वह विधेयक लोकसभा में पारित हो गया था लेकिन सितंबर 1989 में राज्यसभा में पास नहीं हो सका। अप्रैल 1993 में तत्कालीन प्रधान मंत्री PV नरसिम्हा राव ने पंचायतों और नगर पालिकाओं में महिलाओं के एक तिहाई आरक्षण के लिए संविधान संशोधन विधेयक को फिर से पेश किया। दोनों विधेयक पारित हुए और कानून बन गए।
इसके साथ ही कहा, आज पंचायतों और नगर पालिकाओं में 15 लाख से अधिक निर्वाचित महिला प्रतिनिधि हैं। यह 40% के आसपास है। महिलाओं के लिए संसद और राज्यों की विधानसभाओं में एक तिहाई आरक्षण के लिए तत्कालीन प्रधानमंत्री डॉ. मनमोहन सिंह संविधान संशोधन विधेयक लाए। विधेयक 9 मार्च 2010 को राज्यसभा में पारित हुआ। लेकिन लोकसभा में नहीं ले जाया जा सका।
जयराम रमेश (JaiRam Ramesh) ने कहा, राज्यसभा में पेश/पारित किए गए विधेयक समाप्त (Lapse) नहीं होते हैं। इसलिए महिला आरक्षण विधेयक अभी भी जीवित (Active) है। कांग्रेस पार्टी पिछले नौ साल से मांग कर रही है कि महिला आरक्षण विधेयक, जो पहले ही राज्यसभा से पारित हो चुका है, उसे लोकसभा से भी पारित कराया जाना चाहिए।