यूपी पुलिस विभाग अक्सर अपने अनोखे कारनामों को लेकर चर्चा का विषय बनती रहती है। ऐसा इस बार एक मामला सामने आया है, जिसमें यूपी पुलिस का एक हेड कांस्टेबल दयाशंकर वर्मा ने फर्जीवाड़े करते हुए विभाग में जारी लापरवाही व भ्रष्टाचार की कलई खोल कर रख दी है। इसके साथ ही विभाग की कार्यशैली पर बड़ा प्रश्न चिन्ह खड़ा कर दिया है।
लखनऊ। यूपी पुलिस विभाग अक्सर अपने अनोखे कारनामों को लेकर चर्चा का विषय बनती रहती है। ऐसा इस बार एक मामला सामने आया है, जिसमें यूपी पुलिस का एक हेड कांस्टेबल दयाशंकर वर्मा ने फर्जीवाड़े करते हुए विभाग में जारी लापरवाही व भ्रष्टाचार की कलई खोल कर रख दी है। इसके साथ ही विभाग की कार्यशैली पर बड़ा प्रश्न चिन्ह खड़ा कर दिया है।
बता दें कि यूपी पुलिस में दयाशंकर वर्मा हेड कांस्टेबल है, लेकिन पिछले चार साल से दरोगा के पद पर नौकरी कर रहा है। इसके साथ ही वह इसी पद की सैलरी भी उठा रहा है। यही नहीं दरोगा स्तर के करीब 150 मामलों की विवेचनाएं भी कर कर चुका। बता दें कि इस मामले में पुलिस विभाग के अफसरों व बाबुओं की भी मिलीभगत को उजागर किया है।
मिली जानकारी के अनुसार उरई निवासी दयाशंकर वर्मा 1981 बैच का सिपाही है। बता दें कि कुछ समय पहले कमिश्नरी के नजीराबाद थाने में तैनात हुआ था। दयाशंकर वर्मा वर्तमान में पुलिस लाइन में तैनाती है। विभाग से मिली जानकारी के अनुसार कई मामलों की जांच दयाशंकर के खिलाफ चल रही है। वर्तमान में उसका पद एचसीपी (हेड कांस्टेबल प्रमोटी) है, लेकिन, विभागीय लिखा पढ़ी में वह 2018 से दरोगा यानी सब इंस्पेक्टर है।
सूत्रों के मुताबिक मार्च-अप्रैल 2018 में दयाशंकर की तैनाती घाटमपुर थाने में थी। इसी दौरान किसी मामले में उसने उच्चाधिकारी को प्रार्थना पत्र दिया था। इसमें उसने अपना पद दरोगा लिखा था। इसके बाद उसी दस्तावेज के आधार पर आगे कई दस्तावेज तैयार होते गए।
इसी दौरान जब दरोगाओं के तबादले हुए तो उसमें दयाशंकर का भी नाम शामिल था। यहां से उसे चौबेपुर थाने भेजा गया। इसके बाद थाने बदलते रहे और वह दरोगा ही रहा। कई चौकियों का प्रभारी भी बना।
विभागीय अफसरों की लापरवाही या मिलीभगत
दयाशंकर जब दरोगा बना तब केस भी चल रहा था। आज तक किसी अफसर व विभाग के बाबू ने इस पर सवाल नहीं खड़े किए। अब ये जांच का विषय है कि वक्त के साथ अफसर बदलते गए, लेकिन फर्जीवाड़े पर कोई कार्रवाई क्यों नहीं हुई? इसमें लापरवाही है या किसी की मिलीभगत।
विवादों से रहा नाता, जेल भी जा चुका
2017 में जब दयाशंकर बर्रा थाने में तैनात था, तो रिश्वतखोरी में जेल गया था। आज भी केस चल रहा है। इसी मामले में उसने तत्कालीन बर्रा इंस्पेक्टर पर आरोप लगाए थे। इसकी भी जांच चल रही है। दो महीने पहले उसने इसी संबंध में प्रेसवार्ता करने का एलान किया था। इसके बाद तत्कालीन पुलिस कमिश्नर असीम अरुण ने उसे निलंबित कर दिया था। 10 दिन बाद ही वह बहाल भी हो गया था।
हत्या के प्रयास, दुष्कर्म, लूट जैसे मामलों की जांच की
दयाशंकर ने दरोगा स्तर की करीब 150 केसों की विवेचनाएं की है। हत्या के प्रयास, दुष्कर्म, लूट जैसे गंभीर मामले भी शामिल हैं। इन विवेचनाओं को करने का उसका अधिकार नहीं था।
इस मामले में एसीपी दयाशंकर वर्मा ने बताया कि मुझे खुद नहीं पता कैसे दरोगा पद पर प्रमोशन दे दिया? उन्होंने कहा कि लगता कि साजिशन ऐसा किया गया। जिसकी मैंने उच्चाधिकारियों से शिकायत भी की थी।
ज्वाइंट पुलिस कमिश्नर, कानून व्यवस्था आनंद प्रकाश तिवारी ने बताया कि अभी मामला संज्ञान में नहीं है। उन्होंने कहा कि संबंधित अधिकारी से इस संबंध में जानकारी ली जाएगी। जो भी तथ्य सामने आएंगे उस आधार पर जांच कर कार्रवाई की जाएगी।