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99 % लोगो को नहीं पता होगा ट्रेन के नीले और लाल रंग के डिब्बों में क्या होता है फर्क, सवाल का जवाब पढ़ कर हिल जाएगा आपका दिमाग

By टीम पर्दाफाश 
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नई दिल्ली: इस देश में ऐसे बहुत से लोग है जो हर रोज ट्रेन से सफर करते है, लेकिन फिर भी जो जानकारी आज हम आपको ट्रेन के बारे में देने वाले है, यक़ीनन उसके बारे में बहुत कम लोग ही जानते होंगे. अब ये तो सब को मालूम है कि आज कल ट्रेनों में दो तरह के कोच आने लगे है. इनमे से एक कोच नीले रंग का होता है तो दूसरा लाल रंग का होता है. बता दे कि जो कोच नीले रंग का होता है, उसमे ही ज्यादातर लोग सफर करते है. अब लोग नीले कोच का चुनाव क्यों करते है, ये जानने के लिए तो आपको पूरी खबर पढ़नी पड़ेगी.

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हालांकि आज कल लाल रंग के इलावा सिल्वर रंग का कोच भी देखा जा सकता है. बरहलाल ट्रेन के कोचों के बारे में तो हमने आपको बता दिया, लेकिन क्या आप जानते है कि इन दोनों में वास्तव में क्या अंतर होता है. हमें यकीन है कि आपने कभी ट्रेनों के कोच के बारे में इतनी गहराई से नहीं सोचा होगा. तो चलिए आज आपको इस दिलचस्प जानकारी के बारे में विस्तार से बताते है. गौरतलब है कि सबसे पहले हम यहाँ नीले कोच की बात करेंगे. वो इसलिए क्यूकि इसी कोच में ज्यादातर लोग सफर करते है. वैसे आपकी जानकारी के लिए बता दे कि इसे इंटीग्रल कोच भी कहा जाता है.

दरअसल इसे इंटीग्रल कोच फैक्ट्री में तैयार किया जाता था. यानि अगर हम सीधे शब्दों में कहे तो भारत में सबसे ज्यादा इसी कोच का इस्तेमाल किया जाता था. गौरतलब है कि यह कोच फैक्ट्री तमिलनाडु के चेन्नई शहर में स्थित है. वही अगर इसकी शुरुआत की बात करे तो इसकी स्थापना साल 1952 में की गई थी. बता दे कि अब यह फैक्ट्री इंडियन रेलवे के अधीन वर्तमान में काम कर रही है. गौरतलब है कि इस फैक्ट्री में हर तरह के कोच तैयार किए जाते है. जिनमे जनरल एसी स्लीपर, नॉन एसी आदि कोचों को तैयार किया जाता है. वैसे आप सब ने लाल रंग के कोच को भी जरूर देखा होगा. बता दे कि इसे लिंक हॉफमैन बुश यानि एलएचबी कहा जाता है.

गौरतलब है कि इसे बनाने की फैक्ट्री भारत के कपूरथला में स्थित है. दरअसल साल दो हजार में एचएफ की खोज को जर्मनी से लाया गया था. वैसे आपकी जानकारी के लिए बता दे कि हमारे देश की फ़ास्ट ट्रेन गतिमान एक्सप्रेस, शताब्दी एक्सप्रेस और राजधानी एक्सप्रेस के लिए भी एलएचबी कोच का इस्तेमाल किया जाता है. इसकी एवरेज स्पीड एक सौ सात से दो सौ किलोमीटर प्रति घंटा है. जब कि आम रेलवे कोच की स्पीड सत्तर से एक सौ चालीस किलोमीटर प्रति घंटा होती है. इसके इलावा इसमें एंटी टेलिस्कोप ऑफिस सिस्टम भी होता है. जिसके कारण यह आसानी से पटरी से नहीं उतर पाती.

इसके साथ ही इसके डिब्बे भी एल्युमिनियम और स्टेनलेस स्टील के बने होते है. जब कि नीले रंग के कोच के डिब्बे माइल्ड स्टील के बने होते है. जो कभी भी पटरी से उतर सकते है और इससे दुर्घटना का खतरा रहता है. गौरतलब है कि एलएचबी कॉल काबिल बेस नीले रंग के कोच के मुकाबले छोटा होता है. जो हाई स्पीड होने पर तेल को सुरक्षित रखता है और दुर्घटना होने से बचाता है. इसके इलावा एलएचबी कोच को हर पांच सौ हजार किलोमीटर पर मेंटेनेंस की जरूरत होती है, जब कि नीले कोच को हर दो सौ हजार किलोमीटर से लेकर चार सौ हजार किलोमीटर के बीच ही मेंटेनेंस की जरूरत होती है.

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