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आजादी के 77 साल बाद आपराधिक न्याय प्रणाली पूर्णतया स्वदेशी हो रही है : अमित शाह

देश में आज से तीन नए कानून लागू हो गए हैं। तीन नए कानून के लागू होने के बाद गृहमंत्री अमित शाह ने नई दिल्ली में संसद पुस्तकालय में एक संवाददाता सम्मेलन को संबोधित किया। इस दौरान उन्होंने कहा, दंड की जगह न्याय लेगा, देरी की जगह स्पीडी ट्रायल और स्पीडी जस्टिस मिलेगा और पहले सिर्फ पुलिस के अधिकारों की रक्षा की गई थी अब पीड़ितों व शिकायतकर्ता के अधिकारों की रक्षा होगी।

By शिव मौर्या 
Updated Date

नई दिल्ली। देश में आज से तीन नए कानून लागू हो गए हैं। तीन नए कानून के लागू होने के बाद गृहमंत्री अमित शाह ने नई दिल्ली में संसद पुस्तकालय में एक संवाददाता सम्मेलन को संबोधित किया। इस दौरान उन्होंने कहा, दंड की जगह न्याय लेगा, देरी की जगह स्पीडी ट्रायल और स्पीडी जस्टिस मिलेगा और पहले सिर्फ पुलिस के अधिकारों की रक्षा की गई थी अब पीड़ितों व शिकायतकर्ता के अधिकारों की रक्षा होगी। इस नए नजरिए के साथ ये तीनों कानून देश में लागू हुए हैं। 75 साल बाद इन कानूनों पर विचार हुआ। ये कानून जब आज से हर थाने में अपना काम करना चालू करेंगे तब अंग्रेजों के बनाएं हुए कानून निरस्त होंगे और भारत की ससंद में बनाए गए कानून आएंगे।

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उन्होंने आगे कहा, देश की जनता को मैं बहुत-बहुत बधाई देना चाहता हूं कि आजादी के 77 साल बाद आपराधिक न्याय प्रणाली (Criminal Justice System) पूर्णतया स्वदेशी हो रही है और भारतीय Ethos के आधार पर चलेगी। साथ ही कहा, ‘राजद्रोह’ एक ऐसा कानून था, जिसे अंग्रेजों ने अपने शासन की रक्षा के लिए बनाया था। महात्मा गांधी, तिलक महाराज, सरदार पटेल… सभी ने इसी कानून के तहत 6-6 साल की सजा काटी थी। इसी कानून के तहत केसरी पर प्रतिबंध लगाया गया था। राजद्रोह कानून को हमने समाप्त कर दिया ​है और इसकी जगह देशविरोधी हरकतों के लिए नई धारा लेकर आए हैं।

गृहमंत्री अमित शाह ने आगे कहा कि, भारत की आपराधिक न्याय प्रणाली में आमूल-चूल परिवर्तन करते हुए, भारतीय न्याय संहिता, 2023 आईपीसी, 1860 का स्थान लेगी, भारतीय नागरिक सुरक्षा संहिता, 2023 सीआरपीसी, 1898 की जगह लेगी और भारतीय साक्ष्य अधिनियम, 2023 भारतीय साक्ष्य अधिनियम, 1872 की जगह लेगी। सुधार समाज के सभी वर्गों के लिए कल्याण सुनिश्चित करेंगे और वर्तमान की जरूरतों को पूरा करेंगे।

उन्होंने आगे कहा कि, संहिता को लेकर कुछ विपक्ष के मित्र अलग-अलग बातें मीडिया के सामने रख रहे हैं कि अभी ट्रेनिंग नहीं हुई है, चर्चा नहीं हुई है। लोकसभा में 9 घंटा 34 मिनट चर्चा हुई है, 34 सदस्यों ने हिस्सा लिया। राज्यसभा में 7 घंटा 10 मिनट चर्चा हुई है, 40 सदस्यों ने हिस्सा लिया। साथ ही कहा, भारत की आजादी के बाद किसी भी कानून को पारित कराने के लिए इतनी लंबी चर्चा का प्रोसेस नहीं हुआ है। 4 साल तक इस कानून पर विचार हुआ और आपको अभी भी कुछ कहना है, तो आप जरूर आइए मैं सुनने को तैयार हूं। लेकिन कृपया इस कानून को जनता की सेवा करने का मौका देना चाहिए। समय पर न्याय मिलेगा तो देश का भला होगा।

 

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