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एशियाई खेलों के स्वर्ण पदक विजेता पूर्व मुक्केबाज डिंको सिंह का निधन,कैंसर से जूझ रहे थे

खेल जगत के  एक और सितारे ने दुनिया को अलविदा कह दिया। दिग्गज मुक्केबाज डिंको सिंह का निधन हो गया है। गुरुवार सुबह डिंको सिंह ने आखिरी सांस ली।

By अनूप कुमार 
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नई दिल्ली: खेल जगत के  एक और सितारे ने दुनिया को अलविदा कह दिया। दिग्गज मुक्केबाज डिंको सिंह का निधन हो गया है। गुरुवार की सुबह डिंको सिंह ने आखिरी सांस ली। एशियाई खेलों के स्वर्ण पदक विजेता मुक्केबाज  लिवर कैंसर से जूझ रहे थे और साल 2017 से उनका इलाज चल रहा था। वह 42 साल के थे । उनके परिवार में पत्नी बाबई नगंगोम तथा एक पुत्र और पुत्री है। यह बैंटमवेट (54 किग्रा भार वर्ग) मुक्केबाज कैंसर से पीड़ित होने के अलावा पिछले साल कोविड—19 से भी संक्रमित हो गए थे और वह पीलिया से भी पीड़ित रहे थे।

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ओलंपिक की तैयारियों में लगे मुक्केबाज विकास कृष्णन ने कहा, हमने एक दिग्गज खो दिया।डिंको सिंह ने 1998 में एशियन गेम्स में गोल्ड मेडल अपने नाम किया था। दिग्गज मुक्केबाज डिंको को साल 1998 में अर्जुन पुरस्कार और 2013 में पद्मश्री से नवाजा गया था।  मुक्केबाज डिंको को देखकर ही मैरीकॉम जैसे दिग्गज खिलाड़ियों ने बॉक्सिंग में हाथ आजमाने का फैसला किया था।

खेल मंत्री कीरेन रीजीजू ने ट्वीट कर कहा, मैं श्री डिंको सिंह के निधन से बहुत दुखी हूं। वह भारत के सर्वश्रेष्ठ मुक्केबाजों में से एक थे। डिंको के 1998 बैंकाक एशियाई खेलों में जीते गए स्वर्ण पदक ने भारत में मुक्केबाजी क्रांति को जन्म दिया। मैं शोक संतप्त परिवार के प्रति गहरी संवेदना व्यक्त करता हूं। ईश्वर उनकी आत्मा को शांति प्रदान करे। मणिपुर के इस सुपरस्टार ने 10 वर्ष की उम्र में अपना पहला राष्ट्रीय खिताब (सब जूनियर) जीता था।

भारतीय नौसेना में काम करने वाले डिंको मुक्केबाजी से संन्यास लेने के बाद कोच बन गये थे। वह भारतीय खेल प्राधिकरण के इम्फाल केंद्र में कोचिंग दिया करते थे लेकिन बीमारी के कारण बाद में अपने घर तक ही सीमित हो गये थे। उन्हें पिछले साल कैंसर के लिये जरूरी रेडिएशन थेरेपी करने के लिये दिल्ली लाया गया था।
बता दें कि साल 1997 में डिंको सिंह ने अपने बॉक्सिंग करियर का आगाज किया था। डिंको सिंह को बड़ी कामयाबी तब मिली जब वह 1998 एशियन गेम्स में 54 किलोग्राम कैटेगरी का गोल्ड मेडल अपने नाम करने में कामयाब रहे।

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