नई दिल्ली: जीवन सुख-दुख का संगम है और हमें अपने जीवन में कई तरह की मुश्किलें और सुख देखना पड़ता है। भगवान ने किसी को बहुत अमीर बनाया है तो किसी को अत्यंत निर्धन लेकिन फिर भी हर किसी के मन में धन की लालसा है।
धन है तो सब कुछ है और अगर आप दरिद्र हैं या धन की कामना रखते हैं तो ज्योतिष की मदद से अपने जीवन को संपन्न और सुखी बना सकते हैं। शास्त्रों में हर काम को करने का एक निर्धारित समय होता है। जैसे सूरज के निकलने से लेकर सूर्यास्त का समय निर्धारित है सकी प्रकार दिन के पाचंवे और छठे पहर को कामदेव की पत्नी रति को समर्पित किया गया है और इस समय को रात्रि माना जाता है।
पैसों की कमी
- शास्त्रों की मानें तो रात के समय कुछ काम करने से आप अपने घर में फैली हुई दरिद्रता और नकारात्मक एनर्जी को दूर कर सकते हैं। इस काम को अपन अपने रोज के कामों के साथ भी कर सकते हैं।
- पूजन घर या देव स्थान में रात के समय में दीपक जलाने से घर में लक्ष्मी का वास होता है और मां लक्ष्मी की कृपा सदैव बनी रहती है।
अगर आपके घर में तनाव और प्रेम की कमी रहती है तो बेडरूम में कपूर जलाने से सकारात्मक ऊर्जा आती है जिससे पति-पत्नी के संबंध भी मधुर रहते हैं।
धन प्राप्ति के अन्य उपाय
- घर के बड़े-बुजुर्गों और माता-पिता के सोने के बाद सोना चाहिए। इससे घर का वातावरण अच्छा बनता है। रात के समय घर के दक्षिण और पश्चिम के कोने में दीपक या बल्ब जलाएं। इससे पितरों का मार्ग प्रशस्त होता है और घर में संपन्नता आती है।
- किसी भी शुभ दिन सुबह जल्दी उठकर स्नान करें और इसके बाद सूर्य देव को जल अर्पित करें। घर के मंदिर में महालक्ष्मी के समक्ष आसन लगाकर बैठ जाएं।
- अक्षत के 21 दानों को हल्दी में थोड़ा जल मिलाकर पीला कर लें। इस बात का ध्यान रखें कि इनमें से एक भी दाना खंडित ना हो। अब इन दोनों को किसी लाल रंग के रेशमी कपड़े में बांध दें और छोटी सी पोटली बना लें। इसके पश्चात् इस पोटली को मां लक्ष्मी के आगे रखकर विधिपूर्वक लक्ष्मीजी का पूजन करें। पूजन के बाद पोटली को अपने घर में धन रखने के स्थान पर एवं तिजोरी में रख दें। इस उपाय से धन से संबंधित सभी तरह की परेशानियां दूर हो जाती हैं।
- घी के दीपक के सम्मुख महालक्ष्मी सूक्त का पाठ करते हुए महालक्ष्मी को पुष्प अर्पित करें। इस उपाय से निश्चित ही आपको लाभ होगा।
21 पत्तों पर राम का नाम लिखकर उन्हें बहते जल में प्रवाहित कर दें। धन का अपव्यय रूकेगा और आपको धन लाभ होगा। - देवी-देवताओं के पूजन में कई तरह की चीज़ों का प्रयोग किया जाता है और इनमें चावल यानि अक्षत का भी मुख्य स्थान है। अक्षत का अर्थ होता है जो टूटा हुआ ना हो। किसी भी पूजा में हल्दी, अबीर या कुमकुम अर्पित करने के बाद अक्षत चढ़ाए जाते हैं। इनके बिना कोई भी पूजन संपूर्ण नहीं होता है। ज्योतिष में अक्षत को पूर्णता का प्रतीक माना जाता है।