सुप्रीम कोर्ट (Supreme Court) में सोमवार को एक 'वकील' ने मुख्य न्यायाधीश बीआर गवई (Chief Justice of India Justice BR Gavai) पर हमला करने की कोशिश की। वह मंच के पास गया और अपना जूता निकालकर जज पर फेंकने की कोशिश की, लेकिन अदालत में मौजूद सुरक्षाकर्मियों ने ऐन मौके पर हस्तक्षेप किया और आरोपी 'वकील' को बाहर निकाला।
लखनऊ। सुप्रीम कोर्ट (Supreme Court) में सोमवार को एक ‘वकील’ ने मुख्य न्यायाधीश बीआर गवई (Chief Justice of India Justice BR Gavai) पर हमला करने की कोशिश की। वह मंच के पास गया और अपना जूता निकालकर जज पर फेंकने की कोशिश की, लेकिन अदालत में मौजूद सुरक्षाकर्मियों ने ऐन मौके पर हस्तक्षेप किया और आरोपी ‘वकील’ को बाहर निकाला। बाहर निकलते हुए वकील को यह कहते सुना गया, कि हम सनातन का अपमान नहीं सहेंगे (Sanatan Ka Apman Nahi Sahenge)। इस दौरान जस्टिस गवई पूरी तरह शांत रहे।
न्याय और कानून के शासन की नींव पर एक खुला हमला
इस घटना कांग्रेस पार्टी ने अपने अधिकारिक एक्स पोस्ट पर लिखा कि आज सुप्रीम कोर्ट के अंदर हुई घटना भारत के लोकतांत्रिक इतिहास में एक चौंकाने वाली और खतरनाक नई गिरावट का प्रतीक है। पार्टी ने लिखा कि भारत के मुख्य न्यायाधीश पर हमला न केवल अभूतपूर्व और शर्मनाक है, बल्कि यह न्याय और कानून के शासन की नींव पर एक खुला हमला है।
The incident inside the Supreme Court today marks a shocking and dangerous new low in India's democratic history.
An attempt to attack the Hon’ble Chief Justice of India is not only unprecedented and disgraceful — it is an open assault on the very foundation of justice and the…
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— Congress (@INCIndia) October 6, 2025
यह सत्ता में बैठे लोगों द्वारा प्रोत्साहित की गई दंडहीनता और घृणा की संस्कृति को दर्शाता है
लिखा कि यह केवल एक व्यक्ति पर हमला नहीं है। यह संस्थाओं को कमज़ोर करने, ईमानदार आवाज़ों को डराने और न्यायपालिका में जनता के विश्वास को कम करने के एक निरंतर अभियान का परिणाम है। जब भारत के मुख्य न्यायाधीश जो योग्यता, ईमानदारी और दृढ़ता के बल पर देश के सर्वोच्च संवैधानिक पद पर पहुंचे और सामाजिक बाधाओं को तोड़ा—ऐसी बेशर्मी का निशाना बनते हैं, तो यह सत्ता में बैठे लोगों द्वारा प्रोत्साहित की गई दंडहीनता और घृणा की संस्कृति को दर्शाता है।
वर्षों से, मोदी सरकार ने स्वतंत्र संस्थाओं पर हमलों को सामान्य बना दिया है, असहमति को किया बदनाम
कांग्रेस ने लिखा कि वर्षों से, मोदी सरकार ने स्वतंत्र संस्थाओं पर हमलों को सामान्य बना दिया है, असहमति को बदनाम किया है और धमकी को पुरस्कृत किया है। आज की घटना उस पतन का सबसे भयावह परिणाम है। भारतीय राष्ट्रीय कांग्रेस इस घृणित कृत्य की कड़े शब्दों में निंदा करती है। न्यायपालिका की सुरक्षा, गरिमा और स्वतंत्रता को राजनीतिक हस्तक्षेप और धमकी से बचाया जाना चाहिए। पार्टी ने लिखा कि न्यायपालिका की गरिमा और स्वतंत्रता को राजनीतिक हस्तक्षेप और धमकी से बचाया जाना चाहिए।