अयोध्या में 50 सालों से सरकार ने सेना के जवानों को प्रशिक्षण के अलावा यहां फायरिंग रेंज के लिए जमीन आरक्षित रखी थी। उसी जमीन को अब सरकार ने मुक्त करते हुए इसका नामांतरण अड़ाणी समूह (Adani Group) के अलावा बाबा रामदेव (Baba Ramdev) और श्रीश्री रविशंकर (Sri Sri Ravi Shankar) को कर दिया है। प्रदेश सरकार के इस फैसले के बाद 13 हजार 351 एकड़ जमीन पर अब व्यावसायिक कामकाज होगा।
अयोध्या । अयोध्या में 50 सालों से सरकार ने सेना के जवानों को प्रशिक्षण के अलावा यहां फायरिंग रेंज के लिए जमीन आरक्षित रखी थी। उसी जमीन को अब सरकार ने मुक्त करते हुए इसका नामांतरण अड़ाणी समूह (Adani Group) के अलावा बाबा रामदेव (Baba Ramdev) और श्रीश्री रविशंकर (Sri Sri Ravi Shankar) को कर दिया है। प्रदेश सरकार के इस फैसले के बाद 13 हजार 351 एकड़ जमीन पर अब व्यावसायिक कामकाज होगा।
बतातें चलें कि अयोध्या में राम मंदिर से 6 किमी दूर माझा जमथरा गांव में सेना को 13351 एकड़ जमीन प्रशिक्षण के लिए दे रखी गई थी। यहां पर सेना के जवान बड़ी तादाद में फायरिंग जोन में भी इसका इस्तेमाल करते थे। बफर जोन की इस जमीन का प्रदेश सरकार द्वारा डिनोटिफाईड करने के बाद अब यह जमीन गौतम अड़ाणी समूह (Gautam Adani Group) के नाम पर चढ़ गई है। जबकि इससे पहले यहां पर किसी भी प्रकार के व्यावसायिक निर्माण की अनुमति पहले नहीं थी, अब अडाणी समूह (Adani Group) को यहां निर्माण के लिए ग्रीन सिग्नल मिलने के बाद यह जमीन अब अरबों रुपये की हो गई है, क्योंकि यहां से केवल 6 किलोमीटर दूर ही राम मंदिर है। इसका कुछ हिस्सा बाबा रामदेव के पतंजलि और श्रीश्री रविशंकर (Sri Sri Ravi Shankar) के संस्थान को भी मिली है।
मीडिया रिपोर्ट में प्रदेश के कई वीआईपी शख्सियतों तथा उद्योग और आध्यात्म जगत की बड़ी हस्तियों ने अयोध्या के आसपास बड़ी मात्रा में जमीनों की खरीददारी की खबरें सामने आ रही हैं। प्रदेश के बड़े अधिकारियों के अलावा इनमें योग गुरु बाबा रामदेव (Yoga Guru Ramdev) के करीबी, श्री-श्री रविशंकर (Sri Sri Ravi Shankar) और अडानी ग्रुप (Adani Group) की एक सहयोगी कंपनी को जमीन देने के लिए नियमों को बौना कर देने की खबरें सामने आई हैं। कहा जा रहा है कि इन तीनों ने जिस जगह पर जमीन खरीदी है। वह जमीन सेना के बफर जोन के रूप में नोटिफाई (अधिसूचित) किया गया था। इस खरीद-फरोख्त के कुछ महीनों बाद अब राज्यपाल ने इन इलाकों को डिनोटिफाई कर दिया है।
जानें क्या है मामला?
बीते दिनों इंडियन एक्सप्रेस की एक रिपोर्ट प्रकाशित की थी, जिसमें अयोध्या के आसपास जमीनों की खरीद को लेकर आरटीआई से प्राप्त जानकारी का प्रकाशन किया गया था। इसमें बताया गया था कि अयोध्या के राम मंदिर से सिर्फ 5 किमी दूर माझा जमथरा (Majha Jamthara) नाम के निर्जन गांव में अडानी ग्रुप की सहायक कंपनी होमक्वेस्ट इंफ्रास्पेस ने 1.4 हेक्टेयर के आसपास जमीन खरीदी थी। यह खरीददारी नवंबर 2023 में पूर्व भाजपा विधायक सीपी शुक्ला (Former BJP MLA CP Shukla) की फर्म से की गई थी। शुक्ला की फर्म के ने इस जमीन को एक साल पहले ही अयोध्या के एक निवासी से खरीदा था। होमक्वेस्ट इंफ्रास्पेस से पहले इसी गांव में फरवरी 2022 में श्री-श्री रविशंकर (Sri Sri Ravi Shankar) की धर्मार्थ संस्था आर्ट ऑफ लिविंग ने भी 5.31 हेक्टेयर जमीन खरीदी थी। हरियाणा के योग आयोग के अध्यक्ष जयदीप आर्य और राकेश मित्तल समेत चार लोगों ने माझा जमथरा में ही 3.035 हेक्टेयर की जमीन जुलाई 2023 में खरीदी थी। ये चारों योगगुरु रामदेव (Yoga Guru Ramdev) के भारत स्वाभिमान ट्रस्ट (Bharat Swabhiman Trust) से भी जुड़े हैं।
अब ‘द प्रिंट’ की एक रिपोर्ट में दावा किया गया है कि ये खरीददारी जिन इलाकों में हुई है, उसे यूपी सरकार ने बफर जोन के रूप में अधिसूचित कर रखा था। बताया गया कि ये जमीनें सेना की फील्ड फायरिंग और तोपखाना प्रैक्टिस के लिए आरक्षित सेना की जमीन के ठीक बगल में है। नियम ये है कि अधिसूचित (नोटिफाई) भूमि में किसी की निजी संपत्ति हो सकती है, जिसे वे खरीद या बेच सकते हैं लेकिन इसके लिए उन्हें यह सुनिश्चित करना होगा कि वे इसका उपयोग सीमित तौर पर करेंगे ताकि सेना जब राज्य सरकार को फील्ड फायरिंग प्रैक्टिस को लेकर सूचित करे तब इन इलाकों को खाली कराया जा सके। मोटे तौर पर इन जमीनों का प्रयोग खेती के लिए किया जाना चाहिए।
अयोध्या के जिलाधिकारी चंद्र विजय सिंह ने इस फैसले की पुष्टि की, बोले-विकास के लिए महत्वपूर्ण
मिली जानकारी के अनुसार माझा जमथरा की इन जमीनों को अब डिनोटिफाई कर दिया गया है। अयोध्या के जिलाधिकारी चंद्र विजय सिंह (Ayodhya District Magistrate Chandra Vijay Singh) ने इस फैसले की पुष्टि की है। प्रशासन ने सफाई देते हुए कहा है कि यह गांव विकास की दृष्टि से महत्वपूर्ण भूमि पर है, इसलिए इसे डिनोटिफाई करने का फैसला लिया गया है। यह भी बताया गया कि सरकार इस जमीन पर मंदिर और संग्रहालय बनाने की योजना पर काम कर रही है। अधिकारियों का कहना है कि डिनोटिफिकेशन के इस फैसले का उन संस्थाओं या व्यक्तियों से कोई संबंध नहीं है, जिन्होंने वहां जमीनें खरीदी हैं। जाहिर है कि इस खरीददारी के महीनों बाद जमीनों को डिनोटिफाई किया गया है, जिसे लेकर सवाल भी उठने लगे हैं।
राज्यपाल ने 30 मई 2024 को माझा जमथरा गांव के इस क्षेत्र को डिनोटिफाई कर दिया
नई अधिसूचना के मुताबिक, अगस्त 2020 से जुलाई 2025 तक 14 गांवों में 5 हजार 419 हेक्टेयर जमीनों को अधिसूचित किया गया था, लेकिन इनमें से सिर्फ 894.7 हेक्टेयर जमीन जो माझा जमथरा (Majha Jamthara) के अंतर्गत आती है। उसे ही खासतौर पर डिनोटिफाई किया गया है। इन जमीनों को नोटिफाई या डिनोटिफाई करने का अधिकार राज्यपाल के पास है, जिन्होंने 30 मई 2024 को माझा जमथरा गांव के इस क्षेत्र को डिनोटिफाई कर दिया।