केंद्र सरकार (Central Government) के आयुष मंत्रालय (Ayush Ministry) ने ‘Y-Break’ app बनाया है। ये मोबाइल एप को खासतौर पर लोगों को योग के प्रति जागरूक करेगा। इस एप को गूगल प्ले-स्टोर और एपल के एप स्टोर से फ्री में डाउनलोड किया जा सकता है। इस एप app का पूरा नाम ‘Y-Break’ है। इस एप app को आयुष मंत्री सर्बानंद सोनोवाल (Ayush Minister Sarbananda Sonowal ) बुधवार को 'आजादी का अमृत महोत्सव' (aajadi ka amrt mahotsav) के तहत छह अन्य केंद्रीय मंत्रियों के साथ मिलकर लॉन्च करेंगे।
नई दिल्ली। केंद्र सरकार (Central Government) के आयुष मंत्रालय (Ayush Ministry) ने ‘Y-Break’ app बनाया है। ये मोबाइल एप को खासतौर पर लोगों को योग के प्रति जागरूक करेगा। इस एप को गूगल प्ले-स्टोर और एपल के एप स्टोर से फ्री में डाउनलोड किया जा सकता है। इस एप app का पूरा नाम ‘Y-Break’ है। इस एप app को आयुष मंत्री सर्बानंद सोनोवाल (Ayush Minister Sarbananda Sonowal ) बुधवार को ‘आजादी का अमृत महोत्सव’ (aajadi ka amrt mahotsav) के तहत छह अन्य केंद्रीय मंत्रियों के साथ मिलकर लॉन्च करेंगे। ‘Y-Break’ app में योग के सभी तरह के आसन और प्राणायाम के बारे में जानकारी दी गई है।
‘Y-Break’ app के जरिए लोगों को योग के एक्सपर्ट से महज पांच मिनट में योग करने के तरीके पता चलेंगे। इस एप को तैयार करने में मोरारजी देसाई राष्ट्रीय योग संस्थान (MDNIY), आयुष मंत्रालय और कई अन्य प्रतिष्ठित संस्थान जैसे कृष्णमाचार्य योग मंदिरम-चेन्नई, रामकृष्ण मिशन विवेकानंद शैक्षिक और अनुसंधान संस्थान-बेलूर मठ, NIMHANS-बंगलूरू और कैवल्यधाम स्वास्थ्य और योग अनुसंधान केंद्र-लोनावाला ने प्रमुख भूमिका निभाई है।
‘Y-Break’ app को एप स्टोर से डाउनलोड करने के बाद नाम, उम्र, ई-मेल एड्रेस और फोन नंबर के साथ लॉगिन करना होगा। एप में कई तरह के योग के बारे में बताया गया है। सभी योग आसनों की प्रैक्टिस करने के लिए समय भी निर्धारित किया गया है। जैसे- चक्रासन के लिए 1.2 मिनट का समय तय है। योग के बारे में एप में ऑडियो फॉर्मेट में भी बताया गया है। ‘Y-Break’ app स्टेप काउंट को भी ट्रैक करेगा, हालांकि इसके लिए फोन का आपके साथ रहना जरूरी है।
आयुष मंत्रालय ने बताया कि ‘Y-Break’ app को योग प्रोटोकॉल (Protocol) के तहत विकसित किया गया है जो काम की दिनचर्या के साथ मूल रूप से एकीकृत हो सकता है। पेशेवरों को तनाव और फिर से ध्यान केंद्रित करने में मदद कर सकता है। मंत्रालय के एक अधिकारी ने कहा कि योग प्रोटोकॉल काम की दिनचर्या के साथ सहज और सहजता से एकीकृत हो सकता है और पेशेवरों को तरोताजा, डी-स्ट्रेस और फिर से ध्यान केंद्रित करने में मदद करता है।
अधिकारी ने बताया कि प्रोटोकॉल (Protocol) एक गहन और मूल्यांकनात्मक शोध और कई अध्ययनों के आधार पर तैयार किया गया है। कई योग विशेषज्ञों और शोधकर्ताओं ने कॉर्पोरेट कर्मचारियों के लिए योग लाने के लिए आधुनिक तकनीक का प्रभावी ढंग से उपयोग किया है और पांच मिनट के भीतर, कोई भी व्यक्ति योग को प्रभावी ढंग से प्राप्त कर सकता है।
योग विशेषज्ञों ने बताया कि लंबे समय तक लगातार बैठे रहने और गतिहीन कार्य जीवन के व्यावसायिक खतरों ने पेशेवरों की काम करने की आदतों को महत्वपूर्ण रूप से बदल दिया है, जिससे वे तनाव के जाल में फंस गए हैं। यह न केवल उनके शारीरिक स्वास्थ्य बल्कि मानसिक स्वास्थ्य को भी प्रभावित करता है। यह देखा गया है कि कॉर्पोरेट पेशेवर अक्सर तनाव का अनुभव करते हैं जो उनकी कार्य उत्पादकता को नकारात्मक रूप से प्रभावित करता है।
पांच मिनट के प्रोटोकॉल का उद्देश्य कार्यस्थल पर लोगों को योग से परिचित कराना है। यह कार्य शेड्यूल से पांच मिनट के ब्रेक के विचार को बढ़ावा देता है ताकि तरोताजा, डी-स्ट्रेस और फिर से ध्यान केंद्रित करने के लिए योग का अभ्यास किया जा सके। अधिकारी ने कहा कि प्रोटोकॉल (Protocol) में ताड़ासन और कटी जैसे स्ट्रेचिंग व्यायाम शामिल हैं।
प्रोटोकॉल (Protocol) की प्रभावकारिता का पता लगाने के लिए छह प्रमुख मेट्रो शहरों में 18 साल और उससे अधिक उम्र के 717 प्रतिभागियों के नमूने के आकार पर एक पायलट अध्ययन किया गया था। देश के छह प्रमुख योग संस्थानों के सहयोग से मोरारजी देसाई राष्ट्रीय योग संस्थान द्वारा पंद्रह दिवसीय परीक्षण किए गए, जिसमें विभिन्न निजी और सरकारी निकायों के प्रतिभागियों ने भाग लिया।
प्रतिभागियों को पीठ के निचले हिस्से में दर्द, सिरदर्द, क्रोध और तनाव जैसी विभिन्न समस्याओं को ध्यान में रखते हुए चुना गया था। अध्ययन ने सकारात्मक परिणाम दिखाए। सभी भाग लेने वाले प्रतिष्ठानों द्वारा उत्साहजनक परिणाम बताए गए। यह भी माना गया कि कार्यस्थल पर योग विराम व्यक्ति को पूरी तरह से आराम करने में सक्षम बनाता है और अभ्यासियों को शारीरिक और मानसिक रूप से मुक्त करता है जो अक्सर अंतर्ज्ञान और रचनात्मकता को बढ़ाता है।
एमडीएनआईवाई के निदेशक ईश्वर वी. बसवरद्दी (MDNIY Director Ishwar V. Basavaraddi) ने कहा कि आसन ओपेन चेस्ट खोलने में मदद करते हैं, फेफड़ों की क्षमता में सुधार करते हैं और कार्डियोपल्मोनरी फ़ंक्शन को बढ़ाते हैं, जिससे शारीरिक गतिविधि लंबे समय तक बनी रहती है।
बसवरद्दी ने बताया कि नाड़ी शोधन प्राणायाम (Nadi Shodhana Pranayama) सहानुभूति और परानुकंपी तंत्रिका तंत्र को संतुलित करता है। भ्रामरी प्राणायाम (Bhramari Pranayama) नाइट्रिक ऑक्साइड (NO) के उत्पादन और रिलीज की सुविधा प्रदान करता है जो तनाव को कम करने में मदद करता है और धमनियों को पतला करके रक्तचाप में मदद करता है, रक्त परिसंचरण (Blood Circulation) में सुधार करता है और हृदय को ऑक्सीजन की आपूर्ति (supply of oxygen to the heart) बनाए रखता है। ध्यान ध्यान और एकाग्रता बनाए रखने में मदद करता है और चिंता, थकान और अवसाद को कम करने में भी मदद करता है।