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आजमगढ़ : दलितों के घरों में तोड़फोड़ मामले में सियासत तेज, पुलिस आरोपियों की संपत्ति कुर्की की तैयारी

यूपी में आजमगढ़ जिले के रौनापार इलाके में बीते दिनों दलितों के घरों में तोड़फोड़ हुई थी। इसको लेकर राजनीतिक दल अपनी सियासी रोटियां पकाने से नहीं चूक रहे हैं। इस मामले को गंभीरता से लेते हुए पुलिस प्रशासन फरार आरोपियों की संपत्ति कुर्क करने की तैयारी कर रहा है।

By संतोष सिंह 
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आजमगढ़। यूपी में आजमगढ़ जिले के रौनापार इलाके में बीते दिनों दलितों के घरों में तोड़फोड़ हुई थी। इसको लेकर राजनीतिक दल अपनी सियासी रोटियां पकाने से नहीं चूक रहे हैं। इस मामले को गंभीरता से लेते हुए पुलिस प्रशासन फरार आरोपियों की संपत्ति कुर्क करने की तैयारी कर रहा है।

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इस सियासी जंग में समाजवादी पार्टी (सपा) और भीम आर्मी के बाद कांग्रेस महासचिव प्रियंका गांधी वाड्रा और बहुजन समाज पार्टी (बसपा) प्रमुख मायावती तक कूद चुकी हैं। प्रदेश के होने वाले आगामी विधानसभा चुनाव को देखते हुए इस मुद्दे पर दिलचस्पी लेने से दलितों के प्रति सहानुभूति जताने की होड़ मच गयी है। हालांकि पुलिस अधीक्षक सुधीर कुमार ने साफ किया है कि पुलिस पर हमले के आरोपी ग्राम प्रधान और उसके साथियों ने गिरफ्तारी से बचने के लिये अपने घरों को खुद तोड़ा है जिससे कि इसे सियासी रंग दिया जा सके। मगर पुलिस बगैर दवाब के दोषियों के खिलाफ गैंगस्टर एक्ट के तहत कार्रवाई करने से नहीं हिचकिचायेगी और आरोपियाें की संपत्ति कुर्क की जायेगी।

उधर, कांग्रेस महासचिव प्रियंका गांधी वाड्रा के ट्वीट के बाद बसपा सुप्रीमो मायावती ने भी ट्वीट किया। उन्होंने शीघ्र ही पार्टी के पूर्व विधायक गया चरण दिनकर के नेतृत्व में शीघ्र ही एक प्रतिनिधिमंडल भेजने को कहा है। राष्ट्रीय पार्टियों के नेताओं के ट्विटर वार से मामले ने तूल पकड़ लिया है । कांग्रेस के जिला इकाई का धरना तीसरे दिन भी जारी है । अब तक आजमगढ़ प्रशासन की कार्यप्रणाली पर सवाल उठाए जा रहे थे, लेकिन प्रियंका के ट्वीट के बाद प्रदेश की सरकार को दलित विरोधी बताया जा रहा है।

पलिया गांव की घटना के दूसरे ही दिन सपा का प्रतिनिधिमंडल पहुंच गया और पूरे घटनाक्रम पर पुलिस की कार्यप्रणाली पर सवाल उठाए । मामला दलितों से जुड़ा हुआ था इसलिए भीम आर्मी का प्रतिनिधिमंडल भी घटना के तीसरे दिन मौके पर पहुंच गया और आर-पार की लड़ाई का ऐलान कर दिया है।

इस बीच आजमगढ़ प्रशासन भी अपने तेवर दिखाते हुए इस पूरे घटना क्रम से जुड़े ग्राम प्रधान सहित कई के खिलाफ गैंगस्टर एक्ट की कार्यवाही की बात कुर्की करने की तैयारी में है। मौके पर ग्रामीण महिलाएं तंबू के नीचे बैठकर दिन-रात विरोध प्रदर्शन कर रही है।

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बता दें कि रौनापार थाने की पलिया गांव में 29 जून की शाम को गांव के पास ही एक बंगाली डॉक्टर से कुछ लोगों का विवाद हो गया था सूचना के बाद नजदीकी पिकेट ड्यूटी पर तैनात दो सिपाही मौके पर पहुंचे और कहासुनी के दौरान ग्राम प्रधान को थप्पड़ मार दिया । इससे नाराज ग्रामीणों ने पलिया के ग्राम प्रधान के समर्थकों ने पुलिस टीम पर हमला कर दिया इस हमले में दो पुलिसकर्मी घायल हुए जिसमें एक की हालत अभी भी गंभीर बताई जा रही है ।

हमले के बाद ग्रामीणों की माने तो पुलिसकर्मियों ने देर रात पूरी योजनाबद्ध तरीके से दलित बस्ती की घेराबंदी की । मुख्य आरोपी ग्राम प्रधान मुन्ना पासवान के मकान में तोड़फोड़ कर मकान के कई हिस्सों को जमींदोज कर दिया। परिजनों का आरोप है कि पुलिस ने उनके घरों के अंदर भी जमकर तोड़फोड़ व लूटपाट किया । पुलिस ने इस मामले में कुल 11 लोगों के खिलाफ नामजद व 135 अज्ञात के खिलाफ मुकदमा दर्ज कर कार्यवाही शुरू कर दी ।

पुलिस अधीक्षक सुधीर कुमार सिंह ने कहा कि हमला पुलिस के ऊपर हुआ है ,प्रधान ने अपने बचाव में खुद अपना मकान तोड़ा है। अब इसे राजनीतिक तूल दिया जाना कत्तई ठीक नही है । उन्होंने कहा कि पुलिस इस दबाव में आने वाली नहीं है।

तो वहीं राजनीतिक दलों के पदाधिकारियों ने सरकार से इस घटना की उच्चस्तरीय जांच की मांग की है। इसके साथ ही दोषी पुलिसकर्मियों के खिलाफ कार्यवाही करने को कहा है। इतना ही नहीं नुकसान सामान के एवज में मुआवजा देने की बात कही है।

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