भारत के पड़ोसी देश बांग्लादेश (Bangladesh) की राजनीति इस वक़्त बड़े उथल-पुथल का दौर से गुजर रही है। इंटरनेशनल ट्रिब्यूनल कोर्ट (International Tribunal Court) के तरफ से अपदस्थ प्रधानमंत्री शेख हसीना (Deposed Prime Minister Sheikh Hasina) को 'मौत की सजा' सुनाए जाने के बाद देश और विदेश में नई और तीखी बहस छिड़ गई है, लेकिन इस फैसले बांग्लादेश के सिस्टम की पोल खोल कर रख दी है।
नई दिल्ली। भारत के पड़ोसी देश बांग्लादेश (Bangladesh) की राजनीति इस वक़्त बड़े उथल-पुथल का दौर से गुजर रही है। इंटरनेशनल ट्रिब्यूनल कोर्ट (International Tribunal Court) के तरफ से अपदस्थ प्रधानमंत्री शेख हसीना (Deposed Prime Minister Sheikh Hasina) को ‘मौत की सजा’ सुनाए जाने के बाद देश और विदेश में नई और तीखी बहस छिड़ गई है, लेकिन इस फैसले बांग्लादेश के सिस्टम की पोल खोल कर रख दी है। मिली जानकारी के अनुसार ‘बांग्लादेश में महिलाओं के लिए फांसी देने की कोई व्यवस्था ही नहीं है। या यूं कहें महिला कैदियों के लिए फांसी घर बांग्लादेश में मौजूद ही नहीं है। एक रिपोर्ट के अनुसार, साल 1971 में बांग्लादेश की आजादी के बाद से अब तक 100 से अधिक महिलाओं को मौत की सजा सुनाई जा चुकी है, लेकिन इसके बावजूद, आज तक किसी भी महिला को फांसी नहीं दी गई। मौजूदा समय की बात करें तो लगभग 94 महिलाएं ऐसी हैं, जिन्हें मौत की सजा दी जा चुकी है, लेकिन वे सालों से जेल में ही अपनी सजा काट रही हैं।
महिला जेल में फांसी घर क्यों नहीं ?
रिपोर्ट के अनुसार, बांग्लादेश में महिलाओं के लिए गाजीपुर में एक अलग महिला जेल है, लेकिन इस जेल में फांसी घर का निर्माण कभी हुआ ही नहीं। इस पर पूर्व IG जेल ब्रिगेडियर जाकिर हसन (Former IG Prisons Brigadier Zakir Hasan) ने बड़ा बयान दिया है। उनका कहना है कि बीते दशकों में कभी किसी भी महिला पर फांसी की सजा लागू नहीं की गई, इसलिए यह मान लिया गया कि भविष्य में भी ऐसा नहीं किया जाएगा। इसी कारण से महिला जेल में फांसी घर बनाने की आवश्यकता नहीं समझी गई। इसके अलावा, बांग्लादेश में कई मामलों में मौत की सजा राष्ट्रपति के पास माफी याचिका पहुंचने के बाद उम्रकैद में बदल दी जाती है। इसी कारण से फांसी की सजा को लेकर प्रशासनिक ढांचे में ढिलाई देखी गयी।
‘मौत की सजा’ का बांग्लादेश में एक ही है तरीका फांसी
कई मुस्लिम देशों में जहां गोली मारकर, बिजली के झटके से या लेथल इंजेक्शन के माध्यम से मौत की सजा दी जाती है। वहीं बांग्लादेश में एकमात्र तरीका ‘फांसी’ ही है। क्रिमिनल प्रोसीजर कोड 1898 (Criminal Procedure Code 1898) के अंतर्गत मौत की सजा पाए व्यक्ति को गर्दन के सहारे तब तक लटकाया जाता है, जब तक उसकी मौत न हो जाए, लेकिन बांग्लादेश में महिलाओं के लिए फांसी घर न होने के कारण अब यह सवाल खड़े हो रहे हैं कि शेख हसीना या अन्य महिला कैदियों की सजा को कैसे लागू किया जाएगा?
शेख हसीना को भारत से लाने का प्रयास तेज
‘मौत की सजा’ (Death Penalty) सुनाए जाने के बाद बांग्लादेश सरकार की पहली प्राथमिकता शेख हसीना (Sheikh Hasina) को वापस ढाका का प्रयास किया जा रहा है। वो फिलहाल वे भारत की राजधानी दिल्ली में रह रही हैं। बांग्लादेश सरकार ने इस संबंध में भारत सरकार को एक औपचारिक पत्र भी भेजा है। इसके साथ ही, सरकार इंटरपोल के माध्यम से रेड कॉर्नर नोटिस जारी करने की तैयारी कर रही है। बांग्लादेश अपने पक्ष को अंतरराष्ट्रीय मंचों पर भी उठाने वाला है।
जानें अब आगे क्या विकल्प हैं बांग्लादेश की अंतरिम सरकार के पास?
एक तरफ शेख हसीना (Sheikh Hasina) की मौत की सजा को लेकर राजनीतिक पारा बढ़ा रहा है, वहीं दूसरी तरफ़ महिला फांसी घर न होने की समस्या बांग्लादेश की जेल व्यवस्था पर गंभीर सवाल खड़े कर रही है। अब विश्वभर की नज़रे बांग्लादेश की सरकार के अगले कदम पर टिकी है, कि क्या वे नया फांसी घर बनाएंगे या फैसले में कोई परिवर्तन किया जायेगा?