बांग्लादेश के सुप्रीम कोर्ट ने राष्ट्रीय चुनावों के लिए एक निष्पक्ष कार्यवाहक सरकार प्रणाली को बहाल कर दिया है। हालांकि यह अगले साल के शुरुआती चुनावों पर लागू नहीं होगी। यह प्रणाली 1996 में चुनाव की निष्पक्षता सुनिश्चित करने के लिए लाई गई थी और इसे व्यापक रूप से स्वीकार किया गया था। 2011 में तत्कालीन प्रधानमंत्री शेख हसीना के सुझाव पर इसे समाप्त कर दिया गया था। विरोधियों ने आरोप लगाया था कि हसीना भविष्य के चुनावों में हेरफेर करना चाहती थीं और उनके प्रशासन के तहत हुए बाद के चुनावों की विश्वसनीयता पर भी सवाल उठाए गए थे।
नई दिल्ली। बांग्लादेश के सुप्रीम कोर्ट (Supreme Court of Bangladesh) ने राष्ट्रीय चुनावों के लिए एक निष्पक्ष कार्यवाहक सरकार प्रणाली (fair caretaker government system) को बहाल कर दिया है। हालांकि यह अगले साल के शुरुआती चुनावों पर लागू नहीं होगी। यह प्रणाली 1996 में चुनाव की निष्पक्षता सुनिश्चित करने के लिए लाई गई थी और इसे व्यापक रूप से स्वीकार किया गया था। 2011 में तत्कालीन प्रधानमंत्री शेख हसीना (Then Prime Minister Sheikh Hasina) के सुझाव पर इसे समाप्त कर दिया गया था। विरोधियों ने आरोप लगाया था कि हसीना भविष्य के चुनावों में हेरफेर करना चाहती थीं और उनके प्रशासन के तहत हुए बाद के चुनावों की विश्वसनीयता पर भी सवाल उठाए गए थे।
विपक्षी बांग्लादेश नेशनलिस्ट पार्टी (The opposition Bangladesh Nationalist Party) ने कार्यवाहक प्रणाली की बहाली की मांग करते हुए कई चुनावों का बहिष्कार किया था। अब सुप्रीम कोर्ट की सात सदस्यीय पीठ ने 2011 के अपने फैसले की समीक्षा के लिए दायर अपीलों और याचिकाओं पर सर्वसम्मति से फैसला सुनाते हुए इस प्रणाली को बहाल कर दिया है। अदालत ने कहा है कि यह प्रणाली बांग्लादेश की आजादी के बाद 14वें राष्ट्रीय चुनाव (14th National Elections) पर लागू होगी, लेकिन अगले यानी 13वें स्वतंत्रता-बाद के चुनाव पर नहीं, जिसकी देखरेख नोबेल शांति पुरस्कार विजेता मुहम्मद यूनुस के नेतृत्व वाली अंतरिम सरकार करेगी।