झारखंड विधानसभा चुनाव (Jharkhand Assembly Elections) के दौरान कांग्रेस पार्टी ने मंगलवार को प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी पर निशाना साधते हुए कांग्रेस के प्रभारी महासचिव (संचार) जयराम रमेश (Congress in-charge General Secretary ,Communication, Jairam Ramesh) ने कुछ सवाल दागा है।
नई दिल्ली। झारखंड विधानसभा चुनाव (Jharkhand Assembly Elections) के दौरान कांग्रेस पार्टी ने मंगलवार को प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी पर निशाना साधते हुए कांग्रेस के प्रभारी महासचिव (संचार) जयराम रमेश (Congress in-charge General Secretary ,Communication, Jairam Ramesh) ने कुछ सवाल दागा है। जयराम रमेश (Jairam Ramesh)ने मंगलवार को एक्स पोस्ट पर लिखा कि झारखंड से किए गए वादों को पूरा करने में नॉन-बायोलॉजिकल प्रधानमंत्री (Non-Biological PM) के ट्रैक रिकॉर्ड पर एक नज़र डालिए।
झारखंड से किए गए वादों को पूरा करने में नॉन-बायोलॉजिकल प्रधानमंत्री के ट्रैक रिकॉर्ड पर एक नज़र डालिए:
1. कोडरमा में मेडिकल कॉलेज: यह कॉलेज 70 एकड़ भूमि पर बनाया जाना था और इसमें 100 MBBS की सीटें होनी थीं। नॉन-बायोलॉजिकल प्रधानमंत्री ने छह साल पहले 2018 में इसकी आधारशिला रखी…
— Jairam Ramesh (@Jairam_Ramesh) November 12, 2024
कोडरमा में मेडिकल कॉलेज: यह कॉलेज 70 एकड़ भूमि पर बनाया जाना था और इसमें 100 MBBS की सीटें होनी थीं। नॉन-बायोलॉजिकल प्रधानमंत्री ने छह साल पहले 2018 में इसकी आधारशिला रखी थी। 2019 में फिर से इस प्रोजेक्ट को पूरा करने का वादा किया था, लेकिन यह अभी तक पूरा नहीं हुआ है।
इंजीनियरिंग कॉलेज: झारखंड के 2014 के विधानसभा चुनाव के लिए अपने प्रचार अभियान के दौरान, मोदी जी ने एक प्रमुख आईटी संस्थान और कई इंजीनियरिंग कॉलेजों सहित कई औद्योगिक एवं शैक्षिक प्रोजेक्ट्स का वादा किया था। लेकिन, अब तक केवल दो संस्थान ही स्थापित किए गए हैं, राष्ट्रीय इलेक्ट्रॉनिक्स और सूचना प्रौद्योगिकी संस्थान (NIELIT रांची) और केंद्रीय प्लास्टिक इंजीनियरिंग और प्रौद्योगिकी संस्थान (CIPET खूंटी)। इनका भी क्रमशः 9 और 7 वर्षों के बाद कोई स्थायी परिसर नहीं है।
रेलवे: अक्टूबर 2022 में रेल मंत्रालय ने चतरा-गया रेल परियोजना को मंजूरी दी लेकिन दो साल बाद भी कोई प्रगति नहीं हुई है। भाजपा नेताओं ने लगातार कोरबा-लोहरदगा लाइन का भी वादा किया है, लेकिन इसे भी चुपचाप ठंडे बस्ते में डाल दिया गया है।
मंडल बांध: 2019 के लोकसभा चुनाव से ठीक पहले नॉन-बायोलॉजिकल प्रधानमंत्री ने बड़े धूमधाम से इस परियोजना का शिलान्यास किया था। झारखंड और बिहार में कृषि संकट को दूर करने के लिए संकल्पित यह परियोजना अभी भी लटकी हुई है, जबकि राज्य को हाल के वर्षों में लगातार सूखे का सामना करना पड़ा है।
जमशेदपुर हवाई अड्डा: 2016 तक जमशेदपुर में एक फंक्शनल हवाई अड्डा था लेकिन 2018 में UDAN योजना में शामिल होने के बावजूद, नए हवाई अड्डे की योजना साकार नहीं हुई। दिसंबर 2022 तक धालभूमगढ़ हवाई अड्डे के निर्माण के लिए जनवरी 2019 में झारखंड सरकार और भारतीय विमानपत्तन प्राधिकरण के बीच एक समझौता ज्ञापन पर हस्ताक्षर किए गए। इससे औद्योगिक क्षेत्र के टाटा जैसे प्रमुख प्लेयर्स समेत आदित्यपुर में एमएसएमई को अच्छा बढ़ावा मिलेगा। जब दिसंबर 2022 की तय समय सीमा में काम नहीं हुआ तो भाजपा के अपने सांसद इस मुद्दे को संसद में उठाने के लिए मजबूर हुए। 27 फरवरी, 2023 को केंद्रीय नागरिक उड्डयन मंत्री ने जवाब दिया और पुष्टि की कि इस प्रोजेक्ट को छोड़ दिया गया है।
आश्चर्य की बात नहीं है कि मोदी की गारंटी वाले प्रचार अभियान की 4 जून 2024 को पूरी तरह से हवा निकल गई थी। 13 और 20 नवंबर को झारखंड की जनता बची-खुची कसर भी पूरी कर देगी।
कांग्रेस महासचिव संचार प्रभारी जयराम रमेश ने कहा कि झारखंड में प्रधानमंत्री, गृह मंत्री और भाजपा के अन्य लोगों के चुनाव प्रचार से स्पष्ट रूप से पता चलता है कि वे डरे हुए हैं। वे 2024 के चुनावों के परिणामों से उबर नहीं पाए हैं। प्रधानमंत्री मोदी, अमित शाह, योगी आदित्यनाथ और असम के मुख्यमंत्री का एकमात्र एजेंडा सामाजिक ध्रुवीकरण है। बड़े पैमाने पर ध्रुवीकरण… ध्रुवीकरण के अलावा उनके पास कोई एजेंडा नहीं है। महाराष्ट्र में कांग्रेस, NCP-SCP, शिवसेना (UBT) की महा विकास अघाड़ी ने किसानों, महिलाओं, युवाओं, सामाजिक न्याय के मुद्दों पर अभियान चलाया है। लेकिन वे महाराष्ट्र में ध्रुवीकरण करते हैं।
झारखंड जाइए – हम, JMM और कांग्रेस, किस बारे में प्रचार कर रहे हैं? 5 साल में हमारा काम और अगले 5 साल के लिए हमारा रोडमैप, आदिवासियों, SC, ST, OBC हर वर्ग के लिए काम। ये हमारे मुद्दे हैं। लेकिन झारखंड में भी भाजपा का एकमात्र एजेंडा ध्रुवीकरण है। ये साफ तौर पर दिखाते हैं कि भाजपा हैरान और डरी हुई है। मैं प्रधानमंत्री से कहना चाहूंगा कि जब जनगणना होगी, तभी आप आगे बढ़ पाएंगे। सामाजिक न्याय का आधार क्या है? जनगणना। वे जनगणना पर पीछे क्यों हट रहे हैं? यदि आप जाति सर्वेक्षण, जाति जनगणना नहीं कराएंगे, तो आप सामाजिक न्याय कैसे देंगे?